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पढाई पूरी करने के बाद किसान के बेटे ने अपने पिता के साथ किन्नू के बाग को संभाला, अब हो रही 40 लाख रुपए सालाना कमाई

 18 एकड़ भूमि में किन्नू का बाग लगाने से परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हुई,
 
vikas poonia narayan khera

नरेश बैनीवाल 9896737050

Choptaplus News--  आमतौर पर युवा पढाई करने के बाद नौकरी की तरफ भागते हैं। लेकिन गांव नारायण खेड़ा के युवा किसान विकास पूनिया ने बीए तक पढ़ाई करने के बाद नौकरी की दौड़ में शामिल ना होकर अपने पिता द्वारा लगाए गए बाग में पिता दलीप सिंह नंबरदार के साथ मिलकर बाग की देखभाल कर कमाई करने का बीड़ा उठाया।

गांव नारायण खेड़ा (सिरसा) के किसान विकास पूनिया ने बताया कि नहरी पानी की कमी, बारिश समय पर ना होना, फसलों में विभिन्न प्रकार की बिमारियंा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के आने से किसानों को परम्परागत खेती से घाटा ही होने लगा। जब परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है।

ऐसे में उसके पिता दलीप सिंह नंबरदार  ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा। उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए 12 वर्ष पूर्व में 18 एकड़ भूमि में किन्नू का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। ऐसे में उसने भी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश ना करके अपने पिता को बागवानी में सहयोग करने का फैसला किया। अब उन्हें 40 लाख रुपए से अधिक सालाना आमदनी हो रही है। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने दोनों बाप बेटे को हरियाणा के साथ- साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गये। 

समाचार पत्रों में सरकार द्वारा बाग लगाने की स्कीमों की जानकारी को पढ़कर लगाया बाग-- विकास पूनियां ने बताया कि  रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी  के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता।  12 वर्ष पूर्व ततकालीन हुड्डा सरकार ने समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया कि किसान खेतों में बाग लगाए तो उनहें कई  प्रकार की रियायतें दी जाएगी।

समाचार पत्रों से पढ़कर स्कीम के बारे में  विभाग से जानकारी लेकर अपने पिता को जानकारी दी। उसके पिता दलीप सिंह नंबरदार ने  18 एकड़ जमीन में किन्नू का बाग लगाया।  और देखभाल शुरू कर दी। इस दौरान उसने भी बीए तक पढ़ाई पूरी कर ली। पढ़ाई के बाद अपने पिता के साथ बाग की देखभाल में जुट गया।   किन्नू के पौधों में जल्दी सिंचाई की जरूरत नहीं होती। विकास पूनियां  ने बताया कि अब इस जमीन में किन्नू के पौधौ के साथ साथ मौसमी  फसले गेंहू, सरसों, ग्वार बाजरा व कपास नरमें की खेती भी करता है। किन्नू के बाग से उसे पहले 40 लाख रूपये सालाना अतिरिक्त आमदनी होने लगी है।

सौर ऊर्जा चालित ड्रीप सिस्टम से करता है पौधों की सिंचाई-- विकास पुनियां ने बताया कि सरकार के सहयोग से हमने खेत में एक पानी की डिग्गी भी बना ली है। उस डिग्गी में पानी इक्टठा करके रखता है जब भी सिचांई की जरूरत होती है, तभी किन्नू के पौधों व फसलों मे सिंचाई कर लेता है। सौर ऊर्जा चालित  ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई की जाती है , जिससे पानी व ,खाद व दवाई सीधे  पौधों  को मिल जाती है। तथा पानी बेकार नहीं जाता।  

विकास पूनियां ने बताया कि  उसके बाग को देखकर गांव के कई किसानों ने भी किन्नू के बाग लगाकर कमाई शुरू कर दी है। पास लगते  कई गांवों के किसान किन्नू क ा बाग देखनें के लिए आते हैं और परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई का जरिया देखकर खुश होते हैं। विकास ने  बताया कि वह सब्जियां अपने खेत में ही उगाता है कभी भी बाजार से नहीं लाता।  इस बार उसने 8 एकड़ में घीया सब्जी लगाई है। जिसकी पैदावार शुरू हो गई है।

मंडी दूर होने के कारण यातायात खर्च ज्यादा हो जाता है-- विकास पूनियां ने बताया कि उसके गांव से सिरसा मण्डी  दूर पड़ती है। जिससे फलों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। तथा बचत कम होती है। उसका कहना है कि अगर फलों की मण्डी या फ्रूट प्रोसैसिंग प्लांट नाथूसरी चौपटा में विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी।

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