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गुसाईयाना के किसान भगत राम ने रेतीली जमीन में थाई एप्पल बेर का बाग लगाकर खोजा अतिरिक्त कमाई का जरिया

बेर का बड़ा आकार,  मीठा व सेब जैसा स्वाद लोगों को खूब पसंद आ रहा
 
kisan rambhagat

नाथुसरी चोपटा।किसान के पास जमीन थोड़ी मात्रा में हो और पूरे परिवार का पालन पोषण खेती की आमदनी पर निर्भर हो परंपरागत खेती से आमदनी कम होने पर काफी मुश्किल उठानी पड़ती है। नहरी पानी की कमी, सेम के कारण जमीन का खारा पानी, बारिश समय पर ना होना, फसलों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के आने से किसानों को परंपरागत खेती से घटा होने लगा है इस घाटे को पूरा करने के लिए किसान खेती के साथ-साथ नई तरकीब सोच कर आमदनी बढ़ाने की कोशिश करता है।

इसी कड़ी में गांव गुसाईयाना के किसान भगतराम ने अपने खेत में चार साल पहले एक एकड़ में थाई एप्पल बेर का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ आमदनी का जरिया बढ़ाया। रेतीली व कम पानी वाली जमीन में थाई एप्पल बेर का बाग लगा कर अतिरिक्त आमदनी शुरू की। जिससे करीब एक लाख रुपए प्रतिवर्ष अतिरिक्त कमाई होने लगी। बेर का बड़ा आकार व मीठा व सेब जैसा स्वाद लोगों को खूब पसंद आ रहा है।
 

गांव गुसाईयाना के  किसान भगत राम बताया कि  घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए खेती के साथ-साथ कोई अन्य कमाई का जरिया खोजना शुरू किया। तो उसने चार साल पहले  1 एकड़ भूमि में थाई एप्पल बेर का बाग लगया। उन्होंने बताया कि बिना किसी सरकारी सहायता के अपने खर्चे से ही राजस्थान के टोपरिया की नर्सरी से थाई एप्पल बेर के 275 पौधे लाकर  अपने खेत में लगाए।  उन्होंने बताया कि इस बाग में खर्चा कम होता है ।  ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है और पैदावार अच्छी हो जाती है पहली बार तो कम पैदावार हुई। अब तो  एक लाख रुपए साल के बेर हो जाते हैं।

उन्होंने बताया कि थाई एप्पल बेर में  मिठास ज्यादा होती है खाने में सेब जैसा स्वाद होता है। तथा स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है। उन्होंने बताया कि खेती के साथ-साथ बेर के बाग से कमाई होने से उनके घर की आर्थिक हालत अच्छी हो गई। उन्होंने बताया कि थाई एप्पल बेर  साल में दो बार चलाते हैं लेकिन गर्मियों के मौसम में इसके फल खराब होने का अंदेशा ज्यादा हो जाता है सर्दियों के मौसम में फलों की बढ़वार भी ज्यादा होती है और बिक्री भी ज्यादा होती है। 

बेर का बाग लगाने के बाद किसान भगतराम को आस-पास के गांव में अच्छी पहचान मिली आसपास के गांव के लोग थाई एप्पल बेर के बाग को देखकर उनसे जानकारी लेकर अब बाग लगाने लगे हैं। भगतराम का कहना है कि किसान परंपरागत खेती के साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति के अनुसार किन्नू, अमरूद, थाई एप्पल बेर, अंगूर इत्यादि का बाग लगा कर कमाई करके पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
 

मंडी दूर होने के कारण यातायात खर्च हो जाता है ज्यादा
किसान भगत राम ने बताया कि उनके गांव के आसपास फलों की मंडी या  फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट ना होने के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है फलों को बेचने के लिए सिरसा में लेकर जाना पड़ता है जिससे यातायात खर्चा ज्यादा हो जाता है इनकी मांग है कि  नाथूसरी चोपटा में फलों की मंडी या फ्रूट प्रोसेसिंग प्लांट विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके साथ ही सरकार को फलों की खेती करने के लिए अनुदान या लोन का सरलीकरण किया जाना चाहिए।

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