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जानिए गुलाबी सुण्डी को जड़ से खत्म करने के कारगर उपाय

 
gulabi sundi
कपास की फसल में सफेद मक्खी (फ ाका) का प्रबंधन :

उप कृषि निदेशक  सिरसा, डा. बाबूलाल ने बताया कि वर्षा के बाद कपास की फ सल में रस-चुसक कीड़े जैसे सफेद मक्खी, हरा तेला व गुलाबी सुण्डी का प्रकोप बढऩे की सम्भावना बनी रहती है। इनसे बचाव के लिए किसान लगातार खेत का निरीक्षण करते रहें व कीटों व गुलाबी सुण्डी का आर्थिक कगार ज्यादा होने पर ही कीटनाशकों का स्प्रै करें। दो या दो से अधिक कीटनाशन मिलाकर स्प्रै न करें।

 

गुलाबी सुण्डी को जड़ से खत्म करने के कारगर उपाय

1 फसल की बिजाई के 40 से 50 दिन के पश्चात् दो फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं तथा इनमें 5-8 पतंगे प्रति ट्रैप लगातार तीन दिन तक आने पर।

2 बीटी नरमा के पौधे पर लगे हुए 100 फू लों में से 5-10 फू ल गुलाब की तरह बंद (रोजेटी फू ल) दिखाई देने पर।

3 20 हरे टिण्डों (10-15 दिन पुराने बड़े आकार के टिण्डे) को खोलने पर 1-2 टिण्डों में सफेद या गुलाबी लार्वा (सुण्डी) दिखाई देने पर।

 

गुलाबी सुण्डी के नियंत्रण के लिए आर्थिक कगार पर सुझाए गये कीटनाशक :

1 कपास की फ सल 60 दिन की होने तक नीम का तेल (5 मि.ली.) $ एन.एस.के.ई. 5 प्रतिशत (50 मि.ली.) $ कपड़े धोने का पाउडर (1 ग्राम) प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें या नीम आधारित कीटनाशक 5 मि.ली. प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें।

2 कपास की फ सल 61-120 दिन की होने पर प्रोफेनोफोस 50ई.सी. 500-800 मि.ली. या एमोमेेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी. 100 ग्राम या क्लोरपाइरीफोस 20 ई.सी. 500 मि.ली. या क्विनालफोस 20 ए.एफ 500-90 मि.ली या थीयोडीकार्ब 75 डबल्यू. पी. 225-400 ग्राम या इण्डोक्साकार्ब 14.5 ई.सी. 200 मि.ली. को 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

3 कपास की फ सल 121-150 दिन की होने पर इथियोन 20 ई.सी. 800 मि.ली. या फेनवेलरेट 20 ई.सी. 100-200 मि.ली. या साइप्रमेथ्रिन 10 ई.सी. 200-250 मि.ली. या साइप्रमेथ्रिन 25 ई.सी. 80-100 मि.ली. या लेम्डा साइहलोथ्रिन 5 ई.सी. 200 मि.ली. या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ई.सी. 100-200 मि.ली. या अल्फामेथ्रिन 10 ई.सी. 100-125 मि.ली. या फेनप्रोपेथ्रिन 10 ई.सी. 300 मि.ली. को 175-200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

कपास की फ सल में सफेद मक्खी (फ ाका) का प्रबंधन :

1. कपास की फ सल में जुलाई एंव अगस्त महिनो के दौरान प्रति एकड़ 50-100 पीले स्टिकी ट्रैप (पी.सी.आई. निर्मित या अन्य कम कीमत वाले ट्रैप) की स्थापना करें

2. सफेद मक्खी के प्रकोप को कम करने के लिए शुरु में दो छिड़काव 1.0 प्रतिशत नीम तेल$0.1 øकपड़े धोने के पाउडर का घोल अथवा निम्बिसिडिन (0.03 प्रतिशत या 300 पी.पी.एम.) 1 लीटर प्रति एकड़ तथा बाद में दो छिड़काव 2 प्रतिशत अरंडी का तेल$0.1 प्रतिशत कपड़े धोने के पाउडर का घोल करें।

3. सफेद मक्खी के आर्थिक कगार पर पहुंचने पर 300 मिलीलीटर डाईमेथोएट (रोगोर) 30 ई.सी या ऑक्सीडेटोन मिथाइल (मेटासिस्टोक्स) 25 ई.सी. के साथ 1 लीटर नीम आधारित कीटनाशक (नीमबीसीडीन या अचूक) या 400 मिलीलीटर पाइरिप्रोक्सिफेन (डायटा) 10 ई.सी. या 240 मिलीलीटर स्पाइरोमेसिफेन (ओबेरोन) 22.9 एस.सी. को 200 से 250 लीटर पानी घोलकर प्रति एकड़ की दर से 10 से 12 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार बारी-बारी से छिड़काव करें।

4. यदि पत्तों के निचले भाग में सफेद मक्खी के अन्डे एवं बच्चों की संख्या अधिक है तो स्पाइरोमेसिफेन (200 मि.ली. प्रति एकड़), या पाइराप्रोक्सिफेन (400-500 मि.ली. प्रति एकड़) का प्रयोग अधिक लाभकारी होगा।

5. कपास की फसल में सफेद मक्खी एवं हरे तेले का मिश्रित प्रकोप होने पर फलोनिकामिड 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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