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बरानी जमीन में लगाया बाग़, गांव जमाल के किसान ओमप्रकाश ज्याणी ने 15 एकड़ में रेतीली जमीन में किन्नू और माल्टा का बाग लगाकर खोजा कमाई का जरिया,

 
farmer om parkash jamal

गांव जमाल  के किसान ओमप्रकाश ज्याणी ने 2 साल पहले

15 एकड़ जमीन में किन्नू और माल्टा का बाग लगा कर

परंपरागत खेती के साथ बागवानी की खेती शुरू की।  

चौपटा ( नरेश बैनीवाल  9896737050 ) राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र में सिंचाई के पानी की कमी  की समस्या से झूझते किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके कमाई करके अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने में जुटे हुए हैं।

नहरी पानी की कमी के कारण  बंजर हो रही जमीन में आधुनिक तकनीक अपनाकर किसान बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर कमाई कर रहे हैं। इसी कड़ी में गांव जमाल  के किसान ओमप्रकाश ज्याणी ने 2 साल पहले 15 एकड़ जमीन में किन्नू और माल्टा का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ बागवानी की खेती शुरू की।  

ओमप्रकाश का कहना है कि नहरी पानी की कमी के कारण जमीन में फसलों का उत्पादन कम होता जा रहा है। इससे निजात पाने के लिए उन्होंने किन्नू और माल्टा का बाग लगाया है अभी बाग में  पैदावार शुरू नहीं हुई है तो उन्होंने किन्नू और माल्टा  के पौधों की कतारों में चना, सरसों की बिजाई करके कमाई का जरिया खोजा है। 

इनका कहना है कि किसान आधुनिक तरीके से खेती की तकनीक अपनाकर बंजर जमीन से भी पैदावार लेकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

बरानी जमीन में लगाया बाग़-- गांव जमाल के प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश ज्याणी ने बताया कि सूखे  की बढ़ती समस्या, प्राकृतिक आपदाओं बीमारियों आती से परंपरागत खेती में फसलों का उत्पादन कम होने लगा है और बचत भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में उसने खेती में आमदनी बढ़ाने का जरिया खोजना शुरू किया तो अपने परिजनों से सलाह मशवरा करके 2 साल पहले 15 एकड़ जमीन में किन्नू और माल्टा का बाग  लगाया‌।

उन्होंने तेजा खेड़ा से पोधे लाकर 9 एकड़ में किन्नू और  6 एकड़ में माल्टा  के पौधे लाकर लगाए। अभी तक फल लगने शुरू नहीं हुए हैं ऐसे में पौधों की कतारों में उन्होंने सरसों व चना की बिजाई करने का फैसला किया। 

उनका कहना है कि सूखे के कारण बंजर होती जमीन में पैदावार लेने के आधुनिक तरीके ही खोजने पड़ेंगे जिससे कि घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत रखा जा सके। इस महंगाई के जमाने में किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती को अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

सरकार की सहायता से खेत में बनाईं पानी की डिग्गी, ड्रीप सिस्टम से करता है सिंचाई-- ओमप्रकाश ज्याणी ने बताया कि उन्होंने सरकार की सहायता से खेत में पानी की डिग्गी बना ली है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है।

और जब जरूरत होती है तो उस पानी से ड्रिप सिस्टम द्वारा सिंचाई कर पौधों को खाद और पानी सीधा जड़ो में दिया जाता है जिससे एक तो पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी व  खाद इत्यादि मिल जाती है । यह सब सरकार के सहयोग से मिला है।

नाथूसरी चौपटा में सब्जी मंडी व वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए-- ओमप्रकाश ज्याणी ने बताया कि उनके गांव से सिरसा मंडी करीब 22 किलोमीटर दूर पड़ती है जिससे फलों व सब्जियों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। बचत कम होती है।

इसके अलावा नजदीक में कोई वैक्सिंग प्लांट भी नहीं है। जिससे कि फलों को संभाल कर रखा जाए उसका कहना है कि अगर फलों व सब्जियों की मंडी नाथूसरी चौपटा विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचा ज्यादा हो जाएगी तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए।

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