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animal husbandry:पशु और मुर्गी पालन इसी के लिए मशहूर है...असली मुनाफा तो ये कीड़े हैं, भारत ही नहीं विदेशों में भी इनकी डिमांड है!

animal husbandry:खेती के साथ-साथ लोग अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए पशुपालन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कीड़े भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं? यहां जानें कैसे?
 
 
animal husbandry:


कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग हो रहे हैं। किसानों को अपनी आय दोगुनी करने के लिए कृषि गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। आमतौर पर फसल उत्पादक गाय, भैंस, बकरी, मुर्गियां या मछली पाल रहे हैं, लेकिन कई कीट किसानों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। इन कीड़ों से बने उत्पादों का इस्तेमाल भारत के लोग खुद करते हैं। विदेशों में कई चीजों का कारोबार होता है।
 
सरकार का मानना ​​है कि रेशम के कीड़ों को पालने से किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। रेशमकीट की खेती महज 1.5 एकड़ जमीन में शहतूत के पेड़ लगाकर लाखों की कमाई कर सकती है। ये कीट शहतूत की पत्तियों को खाते हैं और लार्वा को मुंह से बाहर निकाल देते हैं। ये सूखकर कोकून में बदल जाते हैं, जिससे रेशम के धागे निकाले जाते हैं। इन कीड़ों का उपयोग पोल्ट्री फीड के लिए किया जाता है। वे रेशम निकालते हैं और इसे कपड़ा निर्माता को बेचते हैं।

 
दुनिया भर में शहद की बढ़ती मांग के बीच मधुमक्खी पालन एक अत्यधिक सक्रिय ग्रामीण व्यवसाय के रूप में उभर रहा है। ये मधुमक्खियाँ परागण द्वारा फसल की गुणवत्ता में सुधार करती हैं और बदले में पोषक तत्वों से भरपूर शहद का उत्पादन करती हैं। भारत सरकार भी अब राष्ट्रीय शहद मिशन के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है।
 
फसल उत्पादन बढ़ाने वाली सबसे अच्छी खाद केंचुओं द्वारा तैयार की जाती है, जिसे हम वर्मी कम्पोस्ट कहते हैं। आज कृषि से लेकर बागवानी तक हर चीज में वर्मी कम्पोस्ट का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसे बनाने के लिए एक यूनिट लगाई जाती है, जिसमें खाद और जैविक कचरे से खाद बनाने के लिए केंचुए डाले जाते हैं। ये केंचुए सारे कचरे को खाद में बदल देते हैं, जिसका इस्तेमाल फसल की पैदावार बढ़ाने में किया जाता है। बाद में इन केंचुओं का उपयोग पोल्ट्री फीड के रूप में किया जाता है

 
आज हमारी पृथ्वी का 40 प्रतिशत हिस्सा कीड़ों का है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक हैं। इनकी कीमत समझेंगे तो ये कीड़े पर्यावरण में संतुलन बनाए रखते हुए आमदनी का जरिया बन सकते हैं। इन कीटों में ब्लैक सोल्जर फ्लाई लार्वा शामिल हैं। ये कीड़े प्रोटीन और वसा के अच्छे स्रोत होते हैं। इसका उपयोग पोषक तत्वों को निकालने और मछली और पोल्ट्री के लिए फ़ीड बनाने के लिए किया जाता है। भारत में एक स्टार्टअप इस कीड़े का अच्छा फायदा उठा रहा है।

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