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हरियाणा में भट्टूकलाँ क्षेत्र में 35 किसान 104 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती कर उठा रहे योजनाओं का लाभ

योजना के मुताबिक 1 साल से 2 या 2 से अधिक एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को देसी गाय अनुदान का लाभ मिलेगा
 
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द्देश्य से सरकार द्वारा लागू की गई देसी गाय पर अनुदान लाभ में इन किसानों को फायदा होगा

हरियाणा में भट्टूकलाँ क्षेत्र में 35 किसान 104 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती कर उठा रहे हैं योजनाओं का लाभ। भट्टूकलां प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। पिछले एक साल से प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को अब अनुदान का फायदा मिलेगा।

कृषि विभाग आंकड़ों के मुताबिक भट्टू क्षेत्र के 35 किसान पिछले कई सालों से प्राकृतिक खेती को अपना रखा है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लागू की गई देसी गाय पर अनुदान लाभ में इन किसानों को फायदा होगा। योजना के मुताबिक 1 साल से 2 या 2 से अधिक एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को देसी गाय अनुदान का लाभ मिलेगा।

23 गांवों में से 15 गांवों के कई किसान प्राकृतिक खेती कर रहे

भट्टू क्षेत्र अंतर्गत आने वाली 23 गांवों में से 15 गांवों के कई किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। क्षेत्र के 35 किसान 104 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को अपना रखा है। यह किसान अपनी देखरेख में फसलों में प्राकृतिक पदार्थों का ही उपयोग करते हैं।

इन गांवों में होती है प्राकृतिक खेती

  1. भट्टू क्षेत्र के गांव पीलीमंदोरी में एक किसान 15 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती करता है।
  2. गांव भट्टू में 4 किसान 16 एकड़ भूमि,
  3. बनमंदोरी में 5 किसान 10 एकड़ भूमि,
  4. दैयड़ में 2 किसान 5 एकड़ भूमि,
  5. ढ़िंगसरा में 3 किसान 7 एकड़ भूमि,
  6. बोदीवाली में एक किसान 3 एकड़ भूमि,
  7. सरवरपूर में 4 किसान 10 एकड़ भूमि,
  8. कुकड़ावाली में एक किसान 2 एकड़ भूमि,
  9. मेहूवाला में 2 किसान 5 एकड़ भूमि,
  10. खाबड़ा कलां में 3 किसान 7 एकड़ भूमि,
  11. ठुईयां में एक किसान 2 एकड़ भूमि,
  12. जांडवाला बांगड़ में 3 किसान 10 एकड़ भूमि,
  13. किरढ़ान में 2 किसान 6 एकड़ भूमि,
  14. सिरढान में एक किसान करीब 2 एकड़ भूमि,
  15. बनावाली में 2 किसान 5 एकड़ भूमि व
  16. ढांड में 2 किसान 8 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती करते हैं।

खाने के लिए किसान देसी गेहूं करते हैं तैयार

खाने के लिए देसी गेहूं किसान खुद तैयार करते हैं। भट्टूकलां के किसान रोशनलाल ने बताया कि वे पिछले 7 सालों से प्राकृतिक खेती करते हैं। एक एकड़ में खाने के लिए देसी गेहूं तैयार करते हैं। गेहूं को तैयार करने में देसी गाय के गोबर व मूत्र से जीवामृत का ही उपयोग करते हैं। उनके तैयार की गई देसी गेहूं की डिमांड सिरसा जिले में भी रहती है। सिरसा जिले के कई किसान देसी गेहूं का बीज लेकर जाते हैं।

गांव बोदिवाली के किसान दारा सिंह ने बताया कि वे पिछले 14 सालों से प्राकृतिक खेती करते हैं। हर बार 2 एकड़ भूमि पर देसी गेहूं, प्याज व हरा चारा तैयार करते हैं। खाने के लिए देसी गेहूं की डिमांड रहती है। पीलीमंदोरी के किसान ओमप्रकाश लेगा ने बताया कि वे पिछले 5 सालों से प्राकृतिक खेती करते हैं।

प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा कृषि विभाग के सहायक तकनीकी प्रबंधक डॉ. संजीव सहारण ने बताया कि क्षेत्र के कई गांवों में किसान पिछले 2 से 10 वर्षों से प्राकृतिक खेती को अपना रखा है। पिछले एक साल से 2 एकड़ या अधिक भूमि पर प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को देसी गाय अनुदान का फायदा मिलेगा।

प्राकृतिक खेती के लिए गुरुकुल कुरूक्षेत्र से प्रशिक्षण लेना भी जरूरी होता है। अब तक देसी गाय अनुदान योजना में क्षेत्र के 500 से भी अधिक किसानों ने आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि किसानों को आवेदन करने से पहले कृषि विभाग से पूरी जानकारी लेना बहुत जरूरी है। ताकि पात्र किसान ही अपना आवेदन कर सके।

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