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सीकर का मीठा प्याज : प्याज वाला गांवरसीदपुरा जहाँ प्याज का करोड़ो का कारोबार, हरियाणा सहित देश में भारी डिमांड

रसीदपुरा में कैसे हुई प्याज खेती की शुरुआत?

 
प्याज की प्रोसेसिंग यूनिट्स
सीकर का राज्य में दूसरा स्थान, भारत में पांचवा-छठा

सीकर का मीठा प्याज : राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में एक अनोखा गांव है, जिसकी पहचान प्याज से जुड़ी हुई है। यह गांव है रसीदपुरा, जिसे लोग प्यार से 'प्याज वाला गांव' कहते हैं। सीकर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में प्याज की खेती किसानों की पुश्तैनी विरासत बन चुकी है। यहां 400 में से 350 परिवार generations से प्याज उगा रहे हैं। इस गांव में सालाना 200 करोड़ रुपये का प्याज का कारोबार होता है, जो इसे राजस्थान के प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्रों में से एक बनाता है।

 

 

रसीदपुरा में कैसे हुई प्याज खेती की शुरुआत?

रसीदपुरा और इसके आसपास के इलाकों में प्याज की खेती कोई नया काम नहीं है। यहां 1971 में जब बिजली आई, तभी से किसानों ने प्याज उगाने की शुरुआत की। पहले पानी की कमी के कारण खेती सीमित थी, लेकिन बिजली और modern irrigation techniques के आने के बाद किसानों ने बड़े स्तर पर प्याज उगाना शुरू कर दिया।

 गांव के एक अनुभवी किसानों ने बताया की "हमारे पूर्वज भी प्याज की खेती करते थे, लेकिन 1971 के बाद यह खेती तेज हुई। मैं खुद 1999 से प्याज उगा रहा हूं और अब यह हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है।"

मीठा प्याज और उसकी डिमांड

रसीदपुरा का प्याज flavour में खास है। यह बहुत ज्यादा तीखा नहीं होता, जिससे इसकी डिमांड Delhi, Punjab, Haryana, Himachal Pradesh समेत कई राज्यों में रहती है। यहां के प्याज की सबसे बड़ी खासियत इसका balanced taste है, जो इसे सामान्य लाल प्याज से अलग बनाता है।

प्याज व्यापारी खुद गांव में आते हैं और किसानों से सीधा सौदा करके प्याज खरीदते हैं। इससे किसानों को middlemen पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है।

बंपर उत्पादन और अच्छी कमाई

इस बार की प्याज फसल शानदार हुई है। किसान ने बताया की "मैं 15 साल से प्याज की खेती कर रहा हूं। मेरे पास 50 बीघा जमीन है। प्रति बीघा 50-60 क्विंटल प्याज हो जाता है। लागत 10,000-12,000 प्रति बीघा आती है और मुनाफा 50,000-60,000 तक हो जाता है।"

प्याज से बदल रही है किसानों की जिंदगी

प्याज की खेती ने कई किसानों की financial condition सुधार दी है। दुर्गा प्रसाद  जो रसीदपुरा के एक किसान हैं, बताते हैं,

"प्याज की खेती से मैं सालाना 25 से 30 लाख रुपये तक कमा लेता हूं। मेरी बेटी MBBS कर रही है और बाकी बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। अगर प्याज की खेती न होती, तो शायद यह संभव नहीं होता।"

प्याज के बीज और पौधों की भी मांग

रसीदपुरा के कुछ किसान प्याज के बीज और पौधे भी तैयार करते हैं, जिनकी अलग से अच्छी डिमांड है। यहां के बीज और पौधों को खरीदने के लिए सीकर, झुंझुनूं, चूरू और आसपास के जिलों के किसान आते हैं।

सीकर का राज्य में दूसरा स्थान, भारत में पांचवा-छठा

राजस्थान में प्याज उत्पादन के मामले में सीकर जिला दूसरे स्थान पर है। पूरे जिले में प्याज का सालाना 700 करोड़ का कारोबार होता है, जिसमें रसीदपुरा गांव अकेले 200 करोड़ का योगदान देता है। भारत के स्तर पर देखें तो सीकर का स्थान पांचवे-छठे नंबर पर आता है।

Market Prices और किसानों का मुनाफा

इस बार प्याज के rate किसानों के लिए फायदेमंद हैं। Wholesale market में प्याज 16-18 प्रति किलो बिक रहा है।

कुछ साल पहले 2022-23 में प्याज के दाम 5-6 प्रति किलो तक गिर गए थे, जिससे किसानों को नुकसान हुआ था। लेकिन इस बार high production और अच्छे market rate के चलते किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है।

Farming Challenges: मौसम और पानी की कमी

हालांकि प्याज की खेती फायदेमंद है, लेकिन किसानों को climate change और water shortage जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई जगह पानी की कमी के कारण प्याज की खेती पर असर पड़ा है। लेकिन अब किसान smart farming techniques अपना रहे हैं।

सीकर के कृषि सुधार सलाहकार समिति के कोऑर्डिनेटर दिनेश सिंह ने बताया की 

"अब किसान drip irrigation और organic farming जैसी techniques अपना रहे हैं, जिससे कम पानी में ज्यादा उत्पादन हो सके।"

फसल कटाई और प्याज की सप्लाई

रबी सीजन में प्याज की roopai दिवाली के बाद की जाती है और February से April तक harvesting चलती है।

इस समय खेतों में प्याज की sorting और packing चल रही है। प्याज को local mandis के साथ-साथ दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बड़े व्यापारी भी खरीद रहे हैं।

बॉलीवुड तक पहुंची रसीदपुरा के प्याज की पहचान

2023 में शेखावाटी महोत्सव के दौरान मशहूर गायक कैलाश खेर ने भी सीकर के प्याज की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था,

"सीकर का प्याज ग़ज़ब का है! इसका स्वाद संतुलित है, तीखा नहीं लगता, बल्कि आराम से खाने लायक प्याज है।"

Future Plans: प्याज की प्रोसेसिंग यूनिट्स और Export

अब किसान चाहते हैं कि सीकर में प्याज की प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाई जाएं, ताकि प्याज को लंबे समय तक store किया जा सके और इसकी value addition हो।

कुछ किसान और व्यापारी इसे export करने की भी योजना बना रहे हैं, ताकि सीकर के प्याज को international markets में भी पहचान मिले।

Conclusion: रसीदपुरा की सफलता की कहानी

रसीदपुरा का प्याज अब सिर्फ राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे North India में मशहूर हो चुका है। यहां के किसानों की मेहनत और स्मार्ट खेती ने इसे एक सफल मॉडल बना दिया है।

अगर सरकार किसानों को better storage facilities और export opportunities दे, तो यह गांव भविष्य में भारत का Onion Hub बन सकता है।

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