Wheat Rate: सरकार अब नहीं खरीदेगी समर्थन मूल्य में गेहूं , किसानो को लगा बड़ा झटका , जानिए इसके पीछे की वजह
Wheat Rate: सरकार अब नहीं खरीदेगी समर्थन मूल्य में गेहूं , किसानो को लगा बड़ा झटका , जानिए इसके पीछे की वजह, ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत आटा मिलों, थोक खरीदारों और सरकारी एजेंसियों आदि को रियायती दर पर 33 लाख टन गेहूं बेचने के बाद भी सरकार के पास इसका पर्याप्त भंडार मौजूद है. एक अप्रैल को 84 लाख टन गेहूं का स्टॉक था, जो कि बफर स्टॉक नॉर्म्स से अधिक है. एक अप्रैल को गेहूं का बफर स्टॉक 74.60 लाख टन ही चाहिए होता है. ऐसे में सरकार अगर इस साल 341.50 लाख टन गेहूं खरीदने के लक्ष्य को पूरा कर लेगी तब न सिर्फ उसके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी के तहत बांटने के लिए पर्याप्त गेहूं होगा बल्कि फिर से दाम को काबू में करने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम लाने के लिए भी भंडार मौजूद होगा.
दरअसल, ऐसा गेहूं को लेकर गुणा भाग भारतीय खाद्य निगम के सीएमडी अशोक कुमार मीणा ने लगाया है. हालांकि, इससे किसानों की कमाई पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि ओएमएसएस की वजह से इस साल की तरह दाम कम हो जाएगा. किसान कह रहे हैं कि पर्याप्त भंडार मौजूद है तो सरकार गेहूं एक्सपोर्ट क्यों नहीं खोलती. इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं का दाम 3200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है. ऐसे में एक्सपोर्ट खोलने से किसानों की आय बढ़ेगी, उनका गेहूं एमएसपी से अधिक दाम पर बिकेगा.
एमएसपी पर खरीद का हाल क्या है?
Updated: Apr 11, 2023, 06:10 IST

भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के सीएमडी अशोक कुमार मीणा को पूरी उम्मीद है कि इस साल सरकार 341.50 लाख टन गेहूं खरीदने के लक्ष्य को पूरा कर लेगी. एमएसपी पर हो रही खरीद के आंकड़े को देखते हुए वो ऐसा कह रहे हैं. दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मीणा ने कहा कि इस साल गेहूं की खरीद पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा अच्छी है. साल 2022 में 6 अप्रैल तक सिर्फ 2 लाख मिट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी, जबकि इस बार 7 लाख टन हो चुकी है. पिछले साल गेहूं क्राइसिस शुरू होने के बाद एक्सपोर्ट पर बैन लगाया गया था, इस बार पहले से ही लगा हुआ है, इसलिए दाम नियंत्रण में है.
गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता का दावामीणा ने कहा कि हम किसानों से गेहूं लेते हैं और उसे पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) में उपलब्ध करवाते हैं. इस साल जब गेहूं का दाम ज्यादा हो गया था तब सरकार ने सही समय पर ओपन मार्केट सेल स्कीम को शुरू करके रेट को नियंत्रण में किया. इसके लिए जितनी मात्रा में हमने गेहूं बाहर निकाला उसके बावजूद 84 लाख टन गेहूं हमारे पास मौजूद था, जो बफर स्टॉक के नॉर्म्स से ज्यादा था. मीणा ने कहा कि भारत में गेहूं की जो अपनी जरूरत है उतने गेहूं की उपलब्धता है.
अगर हम 341.50 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा करते हैं और उस वजह से हमारी स्टॉक होल्डिंग बढ़ती है तो तो हम पीडीएस में देने का काम तो पूरा कर ही लेंगे. उसके बाद हमारे पास ओपन मार्केट सेल स्कीम लाने के लिए भी गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी. गेहूं और आटे की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि को रोकने के लिए सरकार ने इस साल 25 जनवरी को ओपन मार्केट सेल का ऐलान किया था. जिसके तहत सरकार ने रियायती दाम पर 33 लाख टन गेहूं बेचकर दाम काबू में कर लिया है.
पर्याप्त गेहूं है तो एक्सपोर्ट खोले सरकारमीणा के बयान के बाद किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि अगर सरकार के पास पर्याप्त गेहूं मौजूद है तो वो एक्सपोर्ट खोल दे न कि ओपन मार्केट सेल लाकर किसानों का नुकसान करे. एक्सपोर्ट खुलेगा तो किसानों को ओपन मार्केट में एमएसपी से अधिक दाम मिलना शुरू हो जाएगा. ओपन मार्केट सेल से उपभोक्ताओं को सस्ता आटा मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है, लेकिन इस बात की गारंटी है कि किसानों का नुकसान हो जाएगा. एक बार ओपन मार्केट सेल स्कीम लाने से किसानों को प्रति क्विंटल करीब एक-एक हजार रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में दोबारा रियायती दर पर गेहूं बेचने की बात करना तो किसानों की निगाह में पाप से कम नहीं है.
कितना कम हो गया दाम
केंद्र ने 25 जनवरी 2023 को जब गेहूं के ओपन मार्केट सेल का एलान किया तब ओपन मार्केट में 3500 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा था. यह सेल उस वक्त लाई गई जब नई फसल आने वाली थी. सरकार के इस दांव से दाम तो कम हो गए लेकिन किसानों को नुकसान हुआ. बहरहाल, उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक 7 अप्रैल को देश में गेहूं का औसत भाव 2582.32 रुपये था. अधिकतम भाव 4200 और न्यूनतम 1700 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय है. ऐसे में जहां पर दाम कम है वहां किसान एमएसपी पर बेचना पसंद कर रहे हैं.पिछले साल पूरा नहीं हो पाया था लक्ष्य
पिछले वर्ष यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में सरकार ने 444 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था. लेकिन, किसानों ने व्यापारियों को गेहूं बेचना शुरू कर दिया. क्योंकि ओपन मार्केट में एमएसपी से अच्छा दाम मिल रहा था. इसकी वजह हीटवेव से फसल को नुकसान और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हमारे यहां से रिकॉर्ड एक्सपोर्ट था. ऐसे में सरकार ने अपने लक्ष्य को संशोधित करके 195 लाख मीट्रिक टन किया. लेकिन, रिवाइज्ड लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया. खरीद सिर्फ 187.9 लाख टन ही हुई. इसलिए इस बार सरकार ने खुद ही खरीद लक्ष्य को पिछले साल के मूल टारगेट 444 लाख टन के मुकाबले घटाकर 341.50 लाख टन कर दिया है. देखना यह है कि इस बार यह लक्ष्य पूरा होता है या नहीं.
कितना कम हो गया दाम
केंद्र ने 25 जनवरी 2023 को जब गेहूं के ओपन मार्केट सेल का एलान किया तब ओपन मार्केट में 3500 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा था. यह सेल उस वक्त लाई गई जब नई फसल आने वाली थी. सरकार के इस दांव से दाम तो कम हो गए लेकिन किसानों को नुकसान हुआ. बहरहाल, उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक 7 अप्रैल को देश में गेहूं का औसत भाव 2582.32 रुपये था. अधिकतम भाव 4200 और न्यूनतम 1700 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय है. ऐसे में जहां पर दाम कम है वहां किसान एमएसपी पर बेचना पसंद कर रहे हैं.पिछले साल पूरा नहीं हो पाया था लक्ष्य
पिछले वर्ष यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में सरकार ने 444 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था. लेकिन, किसानों ने व्यापारियों को गेहूं बेचना शुरू कर दिया. क्योंकि ओपन मार्केट में एमएसपी से अच्छा दाम मिल रहा था. इसकी वजह हीटवेव से फसल को नुकसान और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हमारे यहां से रिकॉर्ड एक्सपोर्ट था. ऐसे में सरकार ने अपने लक्ष्य को संशोधित करके 195 लाख मीट्रिक टन किया. लेकिन, रिवाइज्ड लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया. खरीद सिर्फ 187.9 लाख टन ही हुई. इसलिए इस बार सरकार ने खुद ही खरीद लक्ष्य को पिछले साल के मूल टारगेट 444 लाख टन के मुकाबले घटाकर 341.50 लाख टन कर दिया है. देखना यह है कि इस बार यह लक्ष्य पूरा होता है या नहीं.