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हरियाली सोमवती अमावस्या : क्या हैं पितृ दोष निवारण के सरल उपाय

जानिए सोमवती अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
 
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सावन महीने की अमावस्या सोमवार, 17 जुलाई को है। इसके बाद 18 तारीख से अधिक मास शुरू हो जाएगा। सावन माह की अमावस को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस साल ये तिथि सोमवार को होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। 17 जुलाई को पूजा-पाठ के साथ ही पितरों का धूप-ध्यान और पौधारोपण भी जरूर करें। हरियाली अमावस्या प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का और प्रकृति को कुछ देने का पर्व है।

 

 ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, हरियाली अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण आदि करेंगे तो घर-परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है। साथ ही, किसी सार्वजनिक जगह पर या किसी मंदिर में पीपल, नीम, बिल्व, आंवला, आम या किसी और वृक्ष का पौधा लगाएं। पौधा लगाने के साथ ही उस पौधे की देखभाल करने का संकल्प लेना चाहिए।

हरियाली अमावस्या कब है? जानें सोमवती अमावस्या की पूजा विधि उपाय

जानिए सोमवती अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...

हर महीने की अमावस्या पर नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। अभी बारिश का समय है, ऐसे में अगर किसी नदी में स्नान करना चाहते हैं तो सतर्कता जरूर रखें। नदी में पानी ज्यादा हो तो घर पर ही स्नान करें। अगर किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से भी नदी स्नान का पुण्य मिल सकता है।

किसी पौराणिक महत्व वाले मंदिर में दर्शन और पूजन करें। अभी सावन महीना चल रहा है तो इस अमावस्या पर किसी शिव मंदिर में अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाकर श्रृंगार करें। हार-फूल चढ़ाकर पूजा करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

सोमवार और अमावस्या के योग में शिव जी के साथ ही चंद्र देव की पूजा भी जरूर करें। चंद्र देव का दूध से अभिषेक करें। चंद्र के लिए दूध का दान करें। जरूरतमंद लोगों को वस्त्रों का दान करें।

जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें इस दिन किसी पीपल के पास दीपक जलाना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। हरियाली अमावस्या पर अपने पितरों के नाम से किसी छायादार वृक्ष का पौधा जरूर लगाएं।

अमावस्या की दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। इसके लिए गाय के गोबर से बने कंडे के अंगारों पर गुड़ और घी डालें। इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। पितरों का ध्यान करें।

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