https://www.choptaplus.in/

जानें महाशिवरात्रि पर 4 पहर की पूजा का महत्व।

महाशिवरात्रि की रात को चार पहरों में विभाजित किया जाता है,
 
mahasivratri
रात के पहले भाग में भगवान शिव के ध्यान और उनके पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" के जप का विशेष महत्व होता है।

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है। इस दिन रात्रि जागरण और 4 पहर की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त पूरे समर्पण भाव से चार पहरों में भगवान शिव की पूजा करता है, वह शिव कृपा प्राप्त करता है और उसके सभी पापों का नाश होता है।

चार पहरों की पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि की रात को चार पहरों में विभाजित किया जाता है, और हर पहर में अलग-अलग विधि से भगवान शिव की उपासना की जाती है।

1. प्रथम पहर (रात का पहला भाग) – ध्यान और मंत्र जाप

रात के पहले भाग में भगवान शिव के ध्यान और उनके पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" के जप का विशेष महत्व होता है। इस समय साधक को मानसिक रूप से शुद्ध होकर ध्यान और साधना में लीन रहना चाहिए। इस पहर में भगवान शिव की महिमा को समझने और उन्हें आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए।

2. द्वितीय पहर (रात का दूसरा भाग) – शिव महिमा का गान और भक्ति

इस समय भक्त को शिव की महिमा का गान करना चाहिए। शिव तांडव स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या अन्य शिव भजनों का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह पहर भक्त के मन और आत्मा को शुद्ध करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

3. तृतीय पहर (रात का तीसरा भाग) – विशेष पूजा और अभिषेक

यह पहर शिवलिंग की पूजा और अभिषेक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही, घी, गंगाजल और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। इस विशेष पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और साधक को आत्मिक शांति प्राप्त होती है। यह समय शिव की गहन आराधना करने और अपने जीवन की समस्त बाधाओं को दूर करने के लिए सर्वोत्तम होता है।

4. चतुर्थ पहर (रात का चौथा भाग) – अंतिम प्रार्थना और मोक्ष की कामना

यह अंतिम पहर भगवान शिव के चरणों में समर्पित होने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का समय होता है। इस समय रात्रि जागरण करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। यह पहर भक्तों के लिए आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

शास्त्रों के अनुसार 4 पहर की पूजा का महत्व

  • शिव महापुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति महाशिवरात्रि की रात 4 पहर की पूजा करता है, वह शिव कृपा से समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
  • विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन जागरण और साधना करने से जीवन के समस्त दुख समाप्त हो जाते हैं और साधक मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
  • गणेश उपनिषद में उल्लेख है कि चार पहर की पूजा करने से व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। चार पहर की पूजा और रात्रि जागरण से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और आत्मा को परम शांति प्राप्त होती है। भगवान शिव की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

4o

Rajasthan