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जानिये गोगाजी लोकदेवता के चमत्कारो बारे मे..............................................

हमारे भादरा तहसील के गोगामेड़ी गाव में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी लोकदेवता का मेला लगता है। यहा पर राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार से लाखों श्रद्धालु आते है । इस मेले की खास बात यह है कि यहाँ सभी धर्मों के लोग पूजा करते है। गोगाजी गुरुभक्त, वीर योद्ध ओ‍र प्रतापी राजा थे
 
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हमारे भादरा तहसील के गोगामेड़ी गाव में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी लोकदेवता का मेला लगता है। यहा पर राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार से लाखों श्रद्धालु आते है । इस मेले की खास बात यह है कि यहाँ सभी धर्मों के लोग पूजा करते है। गोगाजी गुरुभक्त, वीर योद्ध ओ‍र प्रतापी राजा थे

वे गुरु गोरखनाथ के परमशिष्य थे जिनकि याद में ये मेला लगता है। गौरतलब है कि गुरु गोरखनाथ जी ने यहाँ 12 साल तपस्या की थी। यहां धुने पर भी लोग शीश टेकते है और अपनी मन्नत मांगते है।

गोगाजी जी का यह पूजा स्थान राजस्थान के लोकप्रियों मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के प्रमुख लोकदेवता गोगाजी महाराज है जिन्हें जाहरवीर गोगाजी के नाम से भी पुकारा जाता है। हर साल यहां भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की नवमी को मेले का आयोजन किया जाता है जिसको गोगाजी मेलानाम से जाना जाता है।

यह मंदिर गोगामेड़ी शहर, जिला हनुमानगढ़, राजस्थान, भारत में स्थिति है। गोगा महाराज को सभी धर्मो के लोग पूजते की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गोगाजी गुरुगोरखनाथ जी के परम शिष्य थे। नाथ पंथ में नौ सिद्ध थे , उनमें से सबसे प्रमुख श्री गोरख नाथ जी हैं जो एक कुशल योगी थे।

यह स्थान श्री गोरख नाथ के भक्ति की जगह के नाम से जाना जाता है जहां उनकी अग्निशाला (धूना) आज भी मान्य है। इसके साथ यह भी माना जाता है कि श्री गोगाजी श्री गोरख नाथजी से यहां मिले थे और उनके प्रमुख शिष्य बने थे। गोरख नाथजी ने उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा और निर्देश दिए थे गोगाजी का मंदिर केवल 3 किलोमीटर दूर है

यहा पर इस मंदिर में भगवान शिव और उनके परिवार के साथ भैरवजी और देवी की मूर्ति की भी पूजा की जाती है। गोरख नाथजी की धूना की पूजा का अहम भाग माना जाता है। इस मंदिर में देवी कालिका की एक पत्थर की प्रतिमा है जो पत्थर से निर्मित है और 3 फीट के आकार वाले आसन में स्थित है। देवी की मूर्ति के पास  एक समान आकार की काले पत्थर की मूर्ति है जो भैरव जी महाराज की है। इस मंदिर में उनके परिवार और अन्य योगियों की समाधि भी शामिल हैं। गोगाजी जी को लोक देवता के रूप में भी पूजा जाता है, भारत के उत्तरी राज्यों में विशेषकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड पंजाब क्षेत्र और उत्तर प्रदेश में पूजा जाता है। वह इस क्षेत्र के एक सेना-नायक थे, एक संत और एक साँप-देवताके रूप में विख्यात थे। गोगाजी हिंदुओं में एक सहकर्मी के रूप में भी पूजा की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि गोगाजी गुरू गोरखनाथ के आशीर्वाद से जन्म हु थे, जिन्होंने गूगल धूप को गोगा की मां बछल को प्रसाद के रूप में दिया था। चूंकि गूगल धूप उनके जन्म का कारण था, इसलिए उन्हें गोगा कहा जाता था। जबकि भक्त उन्हें सम्मानपूर्वक गोगाजीकहते थे। एक और विश्वास यह है कि उन्हें गाव के लिए उनकी उल्लेखनीय सेवा की जिसकी वजह से गोगा जी कहा गया था। इस मंदिर को पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष मंदिर के रूप देखा जा सकता हैं जहां सभी धर्मों, संप्रदायों, समुदायों, जाति के लोग आते हैं और दर्शन करने के लिए आते हैं। पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से भद्रापदा के महीने में आते हैं। वे सब से पहले गुरु गोरखनाथ के स्थान पर जाते हैं जो गोगाजी के गुरु थे। वहां के बाद वे गोगाजी के मंदिर वाले स्थान पर जाते हैं।

नाथ संप्रदाय बहुत पुराना है। यह संप्रदाय तन्त्रिक और सिद्ध प्रथाओं के सुधार और शुद्धिकरण के रूप में सामने आया था और उनके घृणात्मक रहस्यों और अनुष्ठानों के साथ गोरख नाथ ने पहली बार चुना था। गोरख नाथ, मत्स्येंद्र नाथ के शिष्य थे। एक प्राचीन संप्रदाय के रूप में इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। नाथपंथ के अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। मंदिर में किसी भी प्रकार का रास्ता नहीं है, लेकिन एक खुला चोका जैसा है। मंदिर परिसर में हॉल का निर्माण भी किया गया है। जिसमे श्रद्धालु ठहरते है  होली त्योहार में लोगों द्वारा भण्डारा और अन्य कई धर्मार्थ कार्य का आयोजन बड़े रूप से किया जाता है।

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