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रंग पंचमी 2025: शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजाविधि।

रंग पंचमी न केवल रंगों का त्यौहार है बल्कि एक आध्यात्मिक और धार्मिक परंपरा भी है,
 
रंग पंचमी
रंग पंचमी को देवी-देवताओं की आराधना का पर्व माना जाता है

रंग पंचमी कब है?
रंग पंचमी का त्योहार होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी 19 मार्च 2025 को मनाई जाएगी।

  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 18 मार्च, रात 10:09 बजे
  • पंचमी तिथि समाप्त: 20 मार्च, रात 12:37 बजे
  • उदया तिथि के अनुसार, रंग पंचमी 19 मार्च को मनाई जाएगी।

रंग पंचमी का महत्व

रंग पंचमी को देवी-देवताओं की आराधना का पर्व माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी ने होली खेली थी। मान्यता है कि स्वर्ग से देवी-देवता भी इस दिन पुष्पवर्षा करते हैं। रंगों को हवा में उड़ाकर देवताओं को अर्पित किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

होली और रंग पंचमी दोनों रंगों के त्योहार हैं, लेकिन इनका उद्देश्य अलग-अलग होता है। होली आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक मानी जाती है, जबकि रंग पंचमी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन और बरसाना) में उत्सव की धूम देखने को मिलती है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन गुलाल उड़ाने से दैवीय शक्तियां प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। इस पर्व से घर में सुख-समृद्धि आती है और लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। इस दिन लक्ष्मी माता और राधा रानी की प्रतिमा पर गुलाल चढ़ाने से घर में धन और खुशहाली आती है।

रंग पंचमी की पूजाविधि

रंग पंचमी के दिन धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी-नारायण की पूजा की जाती है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

पूजा की विधि:

  1. लक्ष्मी-नारायण की स्थापना: घर की उत्तर दिशा में कमल के फूल पर विराजमान लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  2. जल अर्पण करें: प्रतिमा के सामने जल से भरा एक लोटा रखें।
  3. दीप जलाएं: गाय के घी का दीपक जलाकर भगवान की आरती करें।
  4. फूल अर्पित करें: लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं और गुलाल अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप करें: "ॐ श्रीं श्रीये नमः" मंत्र की तीन माला जाप करें।
  6. भोग लगाएं: गुड़ और मिश्री का भोग अर्पित करें।
  7. गुलाल उड़ाएं: देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गुलाल को हवा में उड़ाएं।
  8. प्रसाद ग्रहण करें: पूजा के बाद गुड़ और मिश्री को प्रसाद के रूप में बांटें।

रंग पंचमी का आध्यात्मिक संदेश

रंग पंचमी खुशियों, रंगों और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। यह पर्व नकारात्मकता को दूर कर जीवन में सुख-शांति लाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है और समृद्धि का वास होता है।

इस प्रकार, रंग पंचमी न केवल रंगों का त्यौहार है बल्कि एक आध्यात्मिक और धार्मिक परंपरा भी है, जो हमें ईश्वर से जोड़ती है और जीवन में खुशियां लाने का संदेश देती है।

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