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जानें कब हैं , विजया एकादशी 2025: तिथि, महत्व और व्रत विधि.

भगवान राम द्वारा किए गए इस व्रत का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में भी सफलता और विजय प्राप्त कर सकता है।
 
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यह व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।

   

विजया एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह एकादशी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में आती है और इसका वर्णन स्कंद पुराण में भी किया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को रखने से जीवन में विजय और सफलता प्राप्त होती है।

2025 में विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा, क्योंकि एकादशी तिथि इसी दिन उदया तिथि में रहेगी।

विजया एकादशी 2025 की तिथि और समय

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 फरवरी 2025, दोपहर 1:56 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 24 फरवरी 2025, दोपहर 1:45 बजे
  • व्रत पारण (समाप्ति) का समय: 25 फरवरी 2025
    • सुबह 6:52 बजे से 9:08 बजे तक
    • दोपहर 12:45 बजे तक भी पारण कर सकते हैं

विजया एकादशी का महत्व

विजया एकादशी को करने से व्यक्ति को जीवन के सभी कार्यों में सफलता और विजय प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी इस व्रत को किया था जब वे लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुद्र किनारे पहुंचे थे।

कथानुसार, भगवान राम जब अपनी वानर सेना के साथ समुद्र किनारे पहुंचे, तब समुद्र पार करने की समस्या उत्पन्न हो गई। तब उन्होंने महर्षि दालभ्य से उपाय पूछा। महर्षि ने भगवान श्रीराम को विजया एकादशी व्रत करने की सलाह दी।

भगवान राम, लक्ष्मण और उनकी सेना ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया, जिसके बाद उन्हें समुद्र पार करने और रावण पर विजय प्राप्त करने का मार्ग मिला। इसलिए, इस व्रत को करने से असाध्य कार्य भी संभव हो जाते हैं।

व्रत विधि (कैसे करें विजया एकादशी व्रत?)

  1. व्रत की तैयारी:

    • एक दिन पहले (दशमी तिथि) को सात्त्विक भोजन करें और व्रत का संकल्प लें।
    • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  2. पूजा विधि:

    • सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करें।
    • पीले फूल, तुलसी दल और फल अर्पित करें।
    • विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता का पाठ करें।
    • दिनभर व्रत रखें और सत्संग, भजन-कीर्तन करें।
  3. रात्रि जागरण और कथा श्रवण:

    • इस दिन रात्रि जागरण करने का भी विशेष महत्व है।
    • विजया एकादशी की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
  4. पारण (व्रत तोड़ने का समय):

    • द्वादशी तिथि को प्रातः काल भगवान विष्णु की पूजा करके, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान देकर पारण करें।
    • अनाज रहित भोजन (फलाहार) के साथ व्रत खोलें।

विजया एकादशी के लाभ

  • जीवन में किसी भी कार्य में सफलता और विजय प्राप्त होती है।
  • कष्टों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • यह व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से धन, समृद्धि और सुख-शांति आती है।

निष्कर्ष

विजया एकादशी व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। यह व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। भगवान राम द्वारा किए गए इस व्रत का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में भी सफलता और विजय प्राप्त कर सकता है।

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