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कल मनाई जाएगी षट्तिला एकादशी, इस दिन भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां.

इस दिन भगवान विष्ण की विधि-विधान से पूजा और व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
 
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इस वर्ष षट्तिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी यानी कल रखा जाएगा.

  

माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षट्तिला एकादशी का व्रत रखा जाता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्ण की विधि-विधान से पूजा और व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन जो साधक भगवान विष्णु को तिल अर्पित करता है, तिल का दान करता है और स्वयं भी तिल का सेवन करता है, उसके जीवन के  सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. इस वर्ष षट्तिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी यानी कल रखा जाएगा. आइए आपको इस व्रत के नियमों के बारे में बताते हैं.

षट्तिला एकादशी पर न करें ये गलतियां

1. षटतिला एकादशी के दिन भूलकर भी बैंगन और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.

2. इस दिन मांस, मदिरा-पान का बिल्कुल और पूर्णत: ब्रह्माचर्य का पालन करें.

3. व्रत का संकल्प लेने वाले साधक पलंग की बजाए जमीन पर सोएं, विश्राम करें.

4. षट्तिला एकादशी के दिन मुंह से अपशबन निकालें. झूठ बोलने से बचें.

5. षट्तिला एकादशी पर सुबह के वक्त दातून करना भी वर्जित होता है. इस दिन पेड़ से फूल, पत्तियां या टहनियों को बिल्कुल न तो

एकादशी पर जरूर करें ये काम

1. षटतिला एकादशी तिल के दान का विशेष महत्व बताया गया है. आप तिल से बनी चीजों का भी दान कर सकते हैं.

2. इस दिन श्री हरि विष्णु को तिल का भोग लगाना शुभ माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि इस दिन विष्णु जी को तिल अर्पित करने से मन की हर इच्छा पूरी हो जाती है.

3. षट्तिला एकादशीके व्रत का संकल्प लेने वाले व्यक्ति को तिल का उबटन लगाना चाहिए और पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए.

4. षटतिला एकादशी पर व्रत की कथा सुनने के बाद  तिल का तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद हमें मिलता है.

एकादशी की महिमा

सालभर में कुल 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. वैदिक शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सबसे उत्तम और सबसे बड़ा व्रत माना गया है. ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, एकादशी के व्रत का सीधा प्रभाव मन और  शरीर पर पड़ता है. इस व्रत से चन्द्रमा के हर नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सकता है. इस व्रत से ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.

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