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जानें कब हैं, आषाढ़ अमावस्या, शुभ मुहूर्त और महत्व।

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है।
 
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आषाढ़ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

Chopta plus:  आषाढ़ अमावस्या सनातन धर्म में विशेष  मानी जाती है। यह तिथि पितरों को भी  समर्पित होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पितरों का श्राद्ध करना  भी शुभ माना जाता है।

इस बार आषाढ़ अमावस्या पर वृद्धि योग, वेशी योग और गुरु आदित्य योग का शुभ संयोग बन रहा है। ऐसे में जानिए आषाढ़ अमावस्या की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व।

आषाढ़ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, ध्यान पूजन करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है।

इसके साथ ही आषाढ़ अमावस्या पर विधिपूर्वक पूजन करने और दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। जानिए इस साल आषाढ़ अमावस्या कब है और इसका क्या महत्व है।

आषाढ़ अमावस्या का शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 जून को शाम 7 बजे शुरू होगी और 25 जून को शाम 4.02 बजे समाप्त होगी। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025 यानी बुधवार को मान्य होगी। ऐसे में पितृ कर्म से संबंधित कार्य 25 जून को मान्य होंगे। सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 25 जून को होगी इसलिए स्नान दान भी इसी दिन शुभ होंगे। इस दिन वृद्धि योग, वेशी योग, गुरु आदित्य योग का शुभ संयोग बनेगा।

इस समय दान पुण्य आदि काम उत्तम माने जाएंगे। साथ ही साथ आषाढ़ अमावस्या पर गजकेसरी योग का भी सुंदर संयोग बनेगा।

आषाढ़ अमावस्या पर पितृ दोष शांति के उपाय

आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करें। जरूरतमंदों को दान करें और गाय, कौवा, चींटी आदि को आहार दें। इसके साथ ही ब्राह्मणों को दान करना भी पुण्यकारी माना गया है।

आषाढ़ अमावस्या के दिन तामसिक पदार्थों के सेवन से बचें। पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी। इस दिन बाल काटने, नाखून काटने, झाड़ू आदि खरीदने से बचें।

आषाढ़ अमावस्या के उपाय

आषाढ़ अमावस्या पर घर में घी का दीया जलाएं।

पीपल के पेड़ पर जल दें और एक दीया जलाकर उसकी 7 बार परिक्रमा करें।

बहते हुए साफ पानी में 5 लाल फूल और 5 दीये प्रवाहित कर दें।

कम से कम 9 कन्याओं को भोजन कराएं।

पितृ स्तोत्र का पाठ करें।

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