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जानें कब हैं वैशाख पूर्णिमा:नदी स्नान और भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा ।

पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत करने की परंपरा
 
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बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा पर हुआ था।

वैशाख पूर्णिमा सोमवार, 12 मई को है। इस तिथि से कई धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हैं। इसी तिथि पर भगवान विष्णु का कूर्म अवतार हुआ था। गौतम बुद्ध का जन्म भी इसी तिथि पर हुआ था, इसी वजह से इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। जानिए वैशाख पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें...

गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान, और महापरिनिर्वाण

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा पर हुआ था। इसी तिथि पर बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया और उनका महापरिनिर्वाण भी इसी दिन हुआ था।

पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत करने की परंपरा

इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा करने के साथ ही उनकी कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा है। स्कंद पुराण में सत्यनारायण व्रत कथा के बारे में बताया गया है।

नदी स्नान और दान करने की परंपरा

वैशाख पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इस तिथि पर तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। धर्म-कर्म के साथ ही दान-पुण्य भी करें, खासतौर इस पूर्णिमा के दिन जल, छाता, वस्त्र, अन्न का दान करना चाहिए।

पद्म पुराण, मत्स्य पुराण में वैशाख मास में किए गए दान को श्रेष्ठ कहा गया है। इस संबंध में इन ग्रंथों में लिखा है कि - वैशाखे मासि स्नानं च, दानं च विशेषतः।

धर्मराज यमराज और पितर देव को जल चढ़ाएं

इस तिथि पर मृत्यु के देवता यमराज और पितर देव को जल अर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से घर-परिवार के पितरों को तृप्ति मिलती है और वे कुटुंब के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। गरुड़ पुराण, विष्णु धर्मसूत्र में पूर्णिमा पर जलदान और तर्पण के बारे में बताया गया है।

उपवास से मिलता है एकादशी व्रत जैसा पुण्य

वैशाख पूर्णिमा पर किए गए उपवास से वैसा ही पुण्य मिलता है जैसा एकादशी व्रत से मिलता है। इसलिए इस दिन दिनभर निराहार रहकर उपवास करना चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें, पूजा-पाठ करें।

हनुमान जी को चढ़ाएं सिंदूर का चोला

चढ़वा सकते हैं। भगवान के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

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