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जाने आहार नियोजन का अर्थ एवं महत्व (Meaning and Importance of Meal Planning)

आ हार आयोजन का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि गृहिणी अपने  समय ,शर्म व धन की बचत कर सकती हैं । 
 
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गृहिणी के लिये परिवार का सुचारु रूप से पालन-पोषण करने हेतु आहार आयोजन का बहुत महत्व है ।

आधार नियोजन से भाव है किसी व्यक्ति विशेष की पौष्टिक आवश्यकताओं के अनुसार रंग , स्वाद ,सुनगधित आदि को ध्यान  में रखते हुए ऐसे आहार का प्रबंधन करना जो पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट व आकर्षक  भी हो तथा ग्रहण करने वाले की  शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उसे मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करता हो। बड़ी संस्थाओं जैसे-आवास गृहों, फौज या पुलिस की कंपनियों, बड़े होटलों या  रोगियों के लिय अस्पतालों में आहार नियोजन   डाइटीशियनज के द्वारा किया जाता है।

घर में परिवार के लिए आहार नियोज यही कारण है कि उसे आहार नियोजन करने का कार्यभार गृहनी पर होता है । यही कारण है की उसे आहार नियोजन को   प्रभावित करने वाले कारकों, उनके सिद्धां तो तथा विभिन्न चरणों की जानकारी होना आवश्यक है। गृहिणी के लिये परिवार का सुचारु रूप से पालन-पोषण करने हेतु आहार आयोजन का बहुत महत्व है । उचित आहार आयोजन  से वह परिवार के सभी सदस्यों की पोषक आवश्यकताओं को पूरा करने क जरूरतों को ध्यान में रखते हुये वह उसे संतुलित आहार दे सकती है।

भोज्य  पदार्थों ,उनके रंग ,सुनगंध तथा पाक विधियों में   विभिन्नता लाकर भोजन को आकर्षक तथा रुचिकर बना सकती है जिसे सभी परिवारजन शौक से ग्रहण करते हैं । आहार आयोजन का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि गृहिणी अपने  समय ,शर्म व धन की बचत कर सकती हैं ।   बहुत-सी तालिकायें एक साथ बनाने से समय तथा श्रम की बचत होती है, बाजार से समान लाने की सूचियां एक  साथ   बन  जाती हैं, खरीददारी एक साथ की जा सकती है तथा सोच-समझकर बड़े विक्रताओं   से सस्ते दामों पर बड़िया समान खरीदा  सकता है।

आयोजन के अनुसार भोजन पकाने से पूर्व उसकी तैयारी कर समय तथा  ईधन की बचत की जा सकती है। दालों   को भिगोकर रखना या अगले आहार में काम आने वाली वस्तुओं को पहले ही दूसरी वस्तुओं के साथ उबाल लेना आदि । खाध्य  बजट पर नियन्त्रण रखना भी सम्भव होता है।

यदि एक दिन किसी कारणवश कुछ महंगे पदार्थ प्रयोग में लाए गयेँ हैं तो आगे  खर्च में कमी की जा सकती है। आहार आयोजन के समय इस वात का ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रकार के व्यजन बनाने की सोची जाय जो न तो  अधिक महंगे हों और न ही उन्हें बनाने में बहुत अधिक समय व शक्ति लगे। गृहनी को कहना बनाने के अतिरिक्त   भी बहुत से  दूसरे काम करने होते हैं विशेषकर यदि वह कामकाजी हो। प्रायः खाया जाने वाला भोजन सरल , सादा व समुचित होना चाहिए कई दिनों के लिये एक ही बार आयोजित कर लिया जाए, खरीददारी भी इकट्ठे समय रहते तथा ऐसे वक्त की जाय जब अधिक  भीड़-भाड़ न हो; रसोईघर को सुव्यवस्थित रखा जाए; समय तथा श्रम बचाऊ उपकरणों का भी प्रयोग किया जाना चाहिए

 

 

 

 

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