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स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Swami Vivekananda Essay in Hindi)

स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू संत और नेता थे, जिन्होंने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी।
 
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स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की,

जो आज भी समाज सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।

स्वामी विवेकानद का ह्रदय परिवर्तन

स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण


स्वामी विवेकानंद एक महान हिन्दू संत और नेता थे, जिन्होंने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी। हम उनके जन्मदिन पर प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाते हैं। वह आध्यात्मिक विचारों वाले अद्भूत बच्चे थे। इनकी शिक्षा अनियमित थी, लेकिन इन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीए की डिग्री पूरी की। श्री रामकृष्ण से मिलने के बाद इनका धार्मिक और संत का जीवन शुरु हुआ और उन्हें अपना गुरु बना लिया। इसके बाद इन्होंने वेदांत आन्दोलन का नेतृत्व किया और भारतीय हिन्दू धर्म के दर्शन से पश्चिमी देशों को परिचित कराया।

 

 


स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वे एक महान भारतीय संत, विचारक और समाज सुधारक थे। उनके गुरु, श्री रामकृष्ण परमहंस, ने उनके जीवन में गहरा प्रभाव डाला। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रचार पूरी दुनिया में किया।

उन्होंने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और उन्होंने भारत की महानता को दुनिया के सामने रखा, वहां उनके भाषण ने सभी को प्रभावित किया। उन्होंने कहा, “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए”, उनके ये शब्द आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।

स्वामी विवेकानंद ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी समाज सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची सफलता सेवा और परिश्रम से मिलती है। उनका निधन 4 जुलाई 1902 को हुआ, लेकिन उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी हमें प्रेरित करते हैं। वे हमेशा युवाओं को उनके लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देते रहेंगे। उनके जीवन और कार्यों से हमें सच्ची देशभक्ति और मानवता की सेवा का पाठ मिलता है।

स्वामी विवेकानद का ह्रदय परिवर्तन

 एक दिन वह श्री रामकृष्णसे मिले, तब उनके अंदर श्री रामकृष्ण के आध्यात्मिक प्रभाव के कारण बदलाव आया। श्री रामकृष्ण को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने के बाद वह स्वामी विवेकानंद कहे जाने लगे।

वास्तव में स्वामी विवेकानंद एक सच्चे गुरुभक्त भी थे क्योंकि तमाम प्रसिद्धि पाने के बाद भी उन्होंने सदैव अपने गुरु को याद रखा और रामकृष्ण मिशन की स्थापना करते हुए, अपने गुरु का नाम रोशन किया।

स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण

स्वामी विवेकानंद ने अपने ज्ञान तथा शब्दों द्वारा पूरे विश्व भर में हिंदु धर्म के विषय में लोगो का नजरिया बदलते हुए, लोगो को अध्यात्म तथा वेदांत से परिचित कराया। अपने इस भाषण में उन्होंने विश्व भर को भारत के अतिथि देवो भवः, सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकार्यता के विषय से परिचित कराया।

निष्कर्ष

स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं, जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की कट्टरता और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं।
 

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