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श्रीकृष्ण की 5 अद्भुत मैनेजमेंट स्किल जो कुरुक्षेत्र ही नहीं, जीवन के कर्मक्षेत्र में भी न्याय दिलाएंगे

भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है।
 
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व्यक्तिगत रिश्तों से ऊपर उठकर हमेशा न्याय का साथ देना​

श्रीकृष्ण को केवल देवता ही नहीं माना जाता बल्कि उनकी युद्ध रणनीतियों और नेतृत्व क्षमता की सराहना आज के युग में भी की जाती है। श्रीकृष्ण की लाइफ मैनेजमेंट स्किल आम जिंदगी के साथ वर्क लाइफ में भी बहुत कारगर है क्योंकि कोई भी व्यक्ति इन जीवन बदलने वाले सबक के साथ सही और गलत के बीच निर्णय ले सकता है। आइए, जानते हैं श्रीकृष्ण के पांच अद्भुत मैनेजमेंट स्किल्स।


भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। जब भी महाभारत के युद्ध की बात की जाती है, तो श्रीकृष्ण का नाम जरूर लिया जाता है क्योंकि श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में कभी शस्त्र नहीं उठाए लेकिन भागवत गीता के ज्ञान से अर्जुन का मार्गदर्शन करके उन्हें शस्त्र उठाने के लिए प्रेरित किया। श्रीकृष्ण से गीता का ज्ञान प्राप्त करने के बाद अर्जुन ने अपनी भावनाओं को नियंत्रित करके एक योद्धा की तरह युद्ध किया।

इससे पता चलता है कि भगवान श्रीकृष्ण केवल एक देवता के रूप में ही पूज्नीय नहीं थे बल्कि उनकी मैनेजमेंट स्किल और लीडरशिप क्वालिटी भी प्राचीन होकर भी उन्हें आधुनिक पुरुष बनाती थी। अपनी इन्हीं मैनेजमेंट स्किल के कारण श्रीकृष्ण एक अच्छे लीडर भी माने जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण से हर किसी को मैनेजमेंट के 5 अद्भुत मैनेजमेंट स्किल जरूर सीखने चाहिए।

व्यक्तिगत रिश्तों से ऊपर उठकर हमेशा न्याय का साथ देना​
श्रीकृष्ण ने इस सिद्धांत को युद्ध की रणनीति में भी शामिल किया था। वाल्मिकी रामायण के अनुसार श्रीकृष्ण का महाभारत के पात्रों के साथ कोई न कोई रिश्ता था। अर्जुन का विवाह श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा से हुआ था। वहीं, कौरवों में से दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा का विवाह श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब के साथ हुआ था। इस रिश्ते से श्रीकृष्ण और दुर्योधन एक-दूसरे के समधी लगते थे लेकिन श्रीकृष्ण ने सही को चुना और हमेशा न्याय को रिश्तों से ऊपर रखा।

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