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2026 से साल में दो बार होगी CBSE परीक्षा: नया सिलेबस और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई।

अब 2026 से CBSE एक नया इंटरनेशनल करिकुलम शुरू कर रहा है। 
 
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CBSE का यह नया बदलाव भारतीय शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार ला सकता है।

CBSE 2026 से बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) 2026-2027 के शैक्षणिक सत्र से अंतरराष्ट्रीय स्तर का नया पाठ्यक्रम लागू करने की योजना बना रहा है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना है।

इसके तहत छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं देने का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपने सर्वोत्तम अंकों को सुरक्षित रख सकेंगे।

साल में दो बार CBSE बोर्ड परीक्षा – नया पैटर्न

CBSE छात्रों को अधिक लचीलापन देने के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को अपनी तैयारी के अनुसार परीक्षा देने का विकल्प देना है। इस बदलाव से कई फायदे होंगे:

  1. परीक्षा का तनाव कम होगा: एक ही बार परीक्षा देने का दबाव नहीं रहेगा।
  2. छात्रों को सुधार का मौका मिलेगा: यदि किसी परीक्षा में अंक कम आते हैं, तो वे अगली परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
  3. समग्र मूल्यांकन प्रणाली बेहतर होगी: छात्रों की क्षमताओं का मूल्यांकन कई अवसरों पर किया जा सकेगा।

CBSE का नया अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम

CBSE ने पहले भी 2010 में CBSE-i (CBSE International) पाठ्यक्रम की शुरुआत की थी, जो भारतीय और वैश्विक शिक्षा प्रणाली का मिश्रण था। हालांकि, कुछ कारणों से इसे बंद कर दिया गया। अब 2026 से CBSE एक नया इंटरनेशनल करिकुलम शुरू कर रहा है, जिसमें आधुनिक शिक्षा पद्धतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखा जाएगा।

इस पाठ्यक्रम में निम्नलिखित प्रमुख बदलाव देखने को मिल सकते हैं:

  • क्रिटिकल और क्रिएटिव थिंकिंग पर जोर
  • रिसर्च और प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा
  • प्रभावी संचार और भाषा कौशल पर ध्यान
  • लाइफ स्किल्स और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप सुधार

NEP 2020 ने भारत में शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और आधुनिक बनाने का लक्ष्य रखा है। CBSE के नए पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली में NEP 2020 के ये प्रमुख तत्व शामिल होंगे:

  1. मल्टीडिसिप्लिनरी लर्निंग: छात्रों को विभिन्न विषयों को जोड़कर सीखने का अवसर मिलेगा।
  2. व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा: शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर व्यावहारिक बनाया जाएगा।
  3. डिजिटल लर्निंग: ऑनलाइन और टेक्नोलॉजी आधारित लर्निंग को शामिल किया जाएगा।
  4. छात्रों को अधिक लचीलापन: परीक्षा देने के कई अवसर होंगे, जिससे वे अपने कौशल को बेहतर बना सकेंगे।

इस बदलाव के संभावित फायदे और चुनौतियाँ

 फायदे:

  • छात्रों को कम तनाव के साथ परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
  • उन्हें बेहतर अंक लाने का एक और अवसर मिलेगा।
  • भारत की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जाएगा।

चुनौतियाँ:

  • शिक्षकों और स्कूलों को नए पैटर्न के अनुसार खुद को ढालना होगा।
  • साल में दो बार परीक्षा होने से प्रशासनिक दबाव बढ़ सकता है।
  • कुछ छात्र और अभिभावक नए सिस्टम को अपनाने में समय ले सकते हैं।

निष्कर्ष

CBSE का यह नया बदलाव भारतीय शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार ला सकता है। परीक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और छात्र-केंद्रित बनाकर छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा देने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि स्कूल, शिक्षक और छात्र इस बदलाव के साथ कैसे तालमेल बिठाते हैं। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिला सकता है।

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