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पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment Day in Hindi)

गर्मी और तापमान बढ्ता जा रहा है, पर्यावरण दिवस का महत्व भी बढ़ रहा है।
 
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विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है।


पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून, 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना तथा साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया। साल 2021 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की मेजबानी “पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण” विषय के साथ की थी।

पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण विषय के साथ साल 2021 से साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र दशक की घोषणा भी की गई थी, जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण (Environment) को हुई क्षति की भरपाई करना हैं। चाहे वह जंगल हो, पहाड़ हो, मरुभूमि या सागर हो, प्रत्येक का पुनर्निर्माण करना इस दशक का उद्देश्य रखा गया।

हाल के दिनों में जिस तरह से गर्मी और तापमान बढ्ता जा रहा है, पर्यावरण दिवस का महत्व भी बढ़ रहा है। 2024 में भारत की राजधानी दिल्ली में 29 मई को पारा रिकॉर्ड 52.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसने देश में सर्वाधिक गर्म दिन का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि मौसम विभाग का कहना था कि पारा मापने की मशीन में कुछ गड़बड़ी के चलते ऐसा हुआ है। इससे पहले राजस्थान केफलौदी में 2016 में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस था जो देश में अब तक का सबसे ऊंचा तापमान था। इसी तरह देश के अन्य राज्यों यूपी, बिहार, पंजाब, राजस्थान में भी भीषण गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी हैऔर ऐसे में लोगों को पर्यावरण का महत्व समझ में आ रहा है। पर्यावरण में असंतुलन ने लोगों के जनजीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 के लिए थीम और मेजबान देश


इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय या थीम भूमि पुनर्स्थापन मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार, दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत भूमि वर्तमान में क्षरण के दायरे में है, जो सीधे दुनिया के आधे निवासियों को प्रभावित कर रही है और दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत आर्थिक उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रही है, जो लगभग 44 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। 2000 के बाद से सूखे की आवृत्ति और लंबाई में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। त्वरित हस्तक्षेप के बिना, सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और सऊदी अरब ने घोषणा की कि भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे के लचीलेपन पर ध्यान देने के साथ सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और पिछले पांच दशकों में यह दिन पर्यावरण जागरूकता के लिए सबसे बड़े वैश्विक मंचों में से एक बन गया है। पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता को लेकर चल रही तैयारियों में कई मुद्दों और आ रही परेशानी पर समाधान को लेकर चर्चाएं हो रही है।

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