स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली में लालकीले पर मनाया जाता हैं ।
1.भूमिका, पराधीनता एक अभिशाप , स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष, स्वतंत्रता दिवस का समारोह ,
राष्टीय एकता को मज़बूत बनाने के प्रयास, उपसंहार।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में स्वतंत्रतापूर्वक जीने का अधिकार है। संसार में सभी प्राणी स्वतत्र रहना चाहते हैं । यहाँ तक कि पिंजरे में बंद पक्षी भी स्वतंत्रता के लिए निरंतर अपने पंख फड़फड़ाता रहता है। उसे सोने का होरी में रखा स्वादिष्ट भोजन भी अच्छा नहीं लगता। वह भी स्वतंत्र होकर मुक्त गगन में स्वच्छंद उड़ान भरना चाहता हैं । फिर मनुष्य तो मनुष्य है। उसे भी स्वतंत्रता प्रिय है। वह भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता हुआ प्राणों की बाजी लगा देता हैं । तुलसीदास ने भी कहा है-
'पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं'।
स्वतंत्रता जीवन और परतंत्रता मृत्यु के समान है। जब कोई राष्ट्र दुर्भाग्यवश पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ जाता है ,तो उसका जीवन अभिशाप बन जाता है। भारत जैसा महान देश भी आपसी फूट और वैरभाव के कारण सैकड़ों के अभिशाप को सहता रहा। पराधीनता के इतने लंबे दौर में हम घुन खाई हुई लकड़ी के समान कमज़ोर हो गए तथा अपनी परंपराओं को भूलने लगे।
भारत की स्वतंत्रता की कहानी भी लगातार संघर्षों और बलिदानों की कहानी है। स्वतंत्रता की यह चिंगारी सन् 1857 में सुलगी थी। उस समय रानी लक्ष्मीबाई, तॉत्या टोपे, नाना साहब आदि ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था। स्वतंत्रता की यह चिंगारी भीतर-ही-भीतर भारतीयों के हृदय में निरंतर सुलगती रही। महात्मा गांधी, पं० नेहरू, लोकमान्य तिलक, सरदार पटेल ,नेता जी सुभाष चंद्र बोस आदि ने स्वतंत्रता की इस चिंगारी को शोला बना दिया। भगतसिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर ने इसे हवा दी । हम स्वतंत्रता पाने के लिए संघर्ष करते रहे। देशभक्तों ने जेलयात्राएँ की, लाठियों और गोलियों खाई। अनेक वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया । अंत में 1942 ई० में गांधी जी के नेतृत्व में 'अंग्रेज़ो भारत छोड़ो' का नारा लगाया। इस आंदोलन में बहुत से भारतीयों ने भाग लिया ।
परिणामस्वरूप अंग्रेज हिल गए । उन्होनें 15 अगस्त ,1947 को भारत को स्वतंत्र कर दिया । इसी कारण प्रतिवर्ष 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली में लालकीले पर मनाया जाता हैं । इस दिन सार्व जनिक अवकाश होता हैं । 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर राष्टपती देश के नाम संदेश देते हैं । दिल्ली में लालकीले पर देश के प्रधानमंत्री राष्टीय ध्वज फहरातें हैं । रात्री को सरकारी भवनों पर रोशनी की जाती हैं । 15 अगस्त का राष्टीय पर्व केवल भाषण देने या सुनने के लिए नहीं हैं । यह उन अमर शहीदों के बलिदानों की याद दिलाता हैं ,जिनहोंने अपना जीवन देकर हमें आजादी का उपहार दिया । इस आजादी को बरकरार रखने के लियें हमें आपसी भेदभाव ,उंच नीच को भुलाते हुए देश की उन्नति में अपने तन -मन -धन से सहयोग करना चाहिए ।
यह राष्टीय पर्व हमें प्रतिवर्ष स्वतंत्रता के संघर्ष और उसमे शहीद होने वालों की याद दिलाता हैं । यह हमें स्वतंत्रता बनाए रखने की प्रेरणा देता हैं । इस दिन राष्ट स्वतंत्रता-सेनानियों के प्रति अपनी श्रद्धा जलीं अर्पित करता है और देश की स्वतंत्रता की रक्षा की शपथ लेता हैं ।