बसंत ऋतु का महत्त्व-
बसंत ऋतु की विशेषताएं-
साहित्य में बसंत-
वसंत ऋतु पर निबंध – इस लेख में हम वसंत ऋतु बसंत ऋतु का महत्त्व, बसंत ऋतु की विशेषताएं आदि के बारे में जानेंगे | मौसम को छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता हैं – ग्रीष्म ऋतु, शीत ऋतु, वर्षा ऋतु, बसंत ऋतु, शरद ऋतु, शिशिर ऋतु | इन सबमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानि उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है।
वसंत ऋतु छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो भारत में फरवरी मार्च और अप्रैल के बीच में आता है। इस ऋतु के आने पर मौसम बहुत सुहावना हो जाता है। न ज्यादा सर्दी लगती है और न ज्यादा गर्मी लगती है, मौसम सामान्य रहता है। मौसम सामान्य रहने से पेड़-पौधे, फूल, पत्तियां, फसलें पूरी तरह से खिल उठते हैं। आम के पेड़ों पर बौर आ जाता है और बौर से लदे हुए आम के पेड़ देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगते हैं।
खेतों में लगे सरसों में पीले फूल खिल जाते है। जिससे प्रकृति की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। अत: वसंत ऋतु को प्रकृति की सुंदरता का ऋतु कहा जाता है।
इन सबमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है | सभी ऋतुओं में यह सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं | इस ऋतु के आते ही धरती अपना श्रंगार करती है और हरियाली की चादर ओढ़ लेती है | पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है | इस मौसम में हवा में एक अलग ही ताजगी आ जाती है | खेतों में लहलहाती फसल और बगीचों में फूलों की सुगंध, वातावरण को खुशनुमा बना देती है | इस ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति में कई बदलाव होते है | पतझड़ के कारण झड़ चुके पेड़ों में नई कोपले आ जाती हैं और फूल आने लगते है | मैदानों में हरी-हरी घास उग आती है | वृक्षों पर पक्षी घोंसला बनाते हैं और सुबह सवेरे उनकी चहचहाहट पुरे वातावरण में गुंजायमान रहती है | पूरी धरती दुल्हन की तरह श्रंगार कर लेती है | सरसों के खेत सोने की तरह चमकने लगते हैं, इसी मौसम में किसान फसल काटने की तैयारी में जुट जाते है |
बसंत ऋतु का महत्त्व-
बसंत का अपना महत्त्व है | जिस प्रकार हम पुराने वस्त्र उतारकर नए वस्त्र धारण करते हैं, ठीक उसी प्रकार धरती बसंत ऋतु में अपना श्रंगार करती है | इसी मौसम में पेड़ो पर फल लगते हैं, नए फूल आते हैं | जिन पर भवरे, मधुमक्खियाँ, तितलियाँ बैठकर रस का पान करते हैं |
किसानो के लिए इस ऋतु का अपना महत्त्व है | इस मौसम के आने तक फसल पककर तैयार हो जाती है और कटाई की जाती है | जिससे किसान का पेट भरता है |
बसंत ऋतु हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होती है | इस समय शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है |
बसंत ऋतु की विशेषताएं-
नीचे हमने बसंत ऋतू की कुछ विशेषतायें संक्षिप्त में लिखी हैं –
इस मौसम में ना तो ज्यादा ठंडी रहती हैं ना तो ज्यादा गरमी | दिन सुहावने होते हैं |
यह ऋतु सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं |
इस मौसम में शरीर और मन दोनों में नई चेतना का संचार होता हैं |
वातावरण शुद्ध हो जाता हैं |
तापमान संतुलित रहता हैं |
इस मौसम में मानव, पशु पक्षी पेड़ पौधे सभी नव ऊर्जा से भर जाते हैं |
साहित्य में बसंत-
जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में योवन आता है उसी प्रकार बसंत, प्रकृति का यौवन हैं | इसलिए यह मौसम हमेशा से काव्य प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा हैं और हिंदी भाषा के कई सुकुमार कवियों ने बसंत ऋतु पर कविताएँ लिखी है | इन कविताओ के माध्यम से कवि-लेखकों ने ना केवल प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया हैं बल्कि देश भक्ति की भावना का प्रचार प्रसार भी किया हैं | हिंदी भाषा की महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना भी कुछ इस प्रकार हैं –
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत
वीरों का कैसा हो बसंत
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पंहुचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग
है वीर देश में किन्तु कान्त
वीरो का कैसा हो बसंत
भर रही कोकिला इधर तान
मारू बाजे पर उधर गान
रंग और है रण का विधान
मिलने आये हैं आदि अंत
वीरों का कैसा हो बसंत
इस कविता के माध्यम से सुभद्रा कुमारी चौहान ने ना केवल प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया है बल्कि हमारे देश के वीर जवानों की व्यथा का भी मार्मिक चित्रण किया है जो अपनी जान की परवाह किये बिना सीमा पर पहरा देते हैं और देश की रक्षा करते हैं |
इसी प्रकार प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पन्त ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास चिदंबरा से बसंत ऋतु पर एक सुन्दर कविता लिखी है –
फिर बसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण
अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति साँस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर बसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूँथ स्वर्ण कण,
किंशु, को कर ज्वाल वसन तन !
चंचल पग दीप-शिखा से धर
गृह, मग, वन में आया बसंत !
सुलगा फाल्गुन का सूनापन
सौन्दर्य शिखाओं में अनन्त !
इनके अलावा अनेकों कविओं ने बसंत ऋतु पर मनोभावन कविताएं लिखी हैं।
देखो देखो बसंत ऋतु आई चारों तरफ हरियाली छाई।
रंग बिरंगे फूल खिलाए
खेतों में सरसों लहराए।
फूलों पर भंवरे मंडराएं
मस्ती से तितली भी नाचे भी पीले वस्त्र पहन के बच्चे
नाचे गाए खुशी मनाएं।
अलसी की शोभा निराली कोयल कूके डाली डाली
कैसी कैसी मस्ती है छाई
देखो देखो बसंत ऋतु आई।