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जानीयें धरती पर आज भी तीन प्राणी देवी सीता का श्राप भोग रहे हैं.

 
 सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सीता का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन देवी सीता की विधिवत उपासना की जाती है. क्या आप जानते हैं कि धरती पर आज भी तीन प्राणी देवी सीता का श्राप भोग रहे हैं.
 
सीता ने कौवे को श्राप दिया कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और उसकी आकस्मिक मृत्यु होगी. सीता ने फल्गु को श्राप देते हुए कहा कि उसमें पानी गिरने के बावजूद वो हमेशा सूखी रहेगी. सीता ने गाय को आजीवन लोगों की जूठन खाने का श्राप दिया.. 

 
 सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सीता का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन देवी सीता की विधिवत उपासना की जाती है. क्या आप जानते हैं कि धरती पर आज भी तीन प्राणी देवी सीता का श्राप भोग रहे हैं.
  भगवान राम और लक्ष्मण के वनवास पर जाने के बाद अयोध्या नरेश राजा दशरथ उनके वियोग का दर्द झेल नहीं सके. राम-लक्ष्मण के  वनवास पर जाने के कुछ समय बाद ही  उनकी मृत्यु हो गई. पिता की मृत्यु की खबर से राम और लक्ष्मण दोनों को गहरी ठेस पहुंची. ऐसे में दोनों भाइयों ने जंगल में ही पिता का श्राद्ध, पिंडदान करने का फैसला किया.

दोनों भाई पिता के श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने निकल पड़े. लेकिन श्राद्ध तिथि का समय बीता जा रहा था और राम-लक्ष्मण का कहीं कुछ पता नहीं था. तब समय का महत्व समझते हुए देवी सीता ने अपने पिता समान ससुर दशरथ का पिंडदान राम-लक्ष्मण की गैर-मौजूदगी   में ही कर दिया. सीता ने पूरे विधि-विधान से अपने ससुर का पिंडदान किया.

श्राद्धकर्म संपन्न होने के बाद जब राम-लक्ष्मण लौटे तो उन्होंने सीता आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया. तब सीता ने उन्हें पूरा वाकया समझाया और कहा कि उन्होंने पूरे विधि-विधान से राजा दशरथ का श्राद्ध किया है. सीता ने कहा कि   श्राद्ध के समय पंडित, गाय, कौवा और फल्गु नदी वहां उपस्थित थे. वे साक्षी के तौर पर इन चारों से सच्चाई का पता लगा सकते हैं. 


सीता ने किसे दिया श्राप?
जब भगवान राम ने पुष्टि के लिए इन चारों से पूछा तो चारों ने यह कहते हुए झूठ बोल दिया कि यहां कोई श्राद्धकर्म नहीं किया  गया है. यह सुनकर दोनों भाई देवी सीता से नाराज हो गए. तब क्रोध में आकर सीता ने चारों को झूठ बोलने की सजा के तौर पर श्राप दे दिया. देवी सीता ने पंडित  श्राप दिया कि जीवन में उसे भले ही कितना भी मिल जाए, लेकिन उसकी दरिद्रता समाप्त नहीं   होगी.

सीता ने कौवे को श्राप दिया कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और उसकी आकस्मिक मृत्यु होगी. सीता ने फल्गु को श्राप देते हुए कहा कि उसमें पानी गिरने के बावजूद वो हमेशा सूखी रहेगी. सीता ने गाय को आजीवन लोगों की जूठन खाने का श्राप दिया.. 

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