Hindi Nibandh. मानव और विज्ञान पर हिंदी निबंध।
आज का युग विज्ञान के चमत्कारों का युग है। विज्ञान का शाब्दिक अर्थ हैं – वि + ज्ञान अथार्थ किसी वस्तु का विशेष ज्ञान । आज विज्ञान की उन्नति ने संसार को चकित कर दिया हैं । विज्ञान विवेक का द्वार हैं । भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिय मानव विज्ञान की शरण में आया और विज्ञान मानव के लिय कल्प वृक्ष सिद्ध हुआ । विज्ञान की चका चौंध देखकर मानव हैरान रह गया है।
विज्ञान और जीवन का घनिष्ट संबंध हैं। विज्ञान ने मानव जीवन को सुखमय बना दिया है। यक विद्वान के अनुसार , विज्ञान ने अन्धो को आँखें तथा बहरों को सुनने की शक्ति । उसने जीवन को दीर्घ बना दिया है । पागलपन को वश में कर लिया हैं और रोगों को रौंद डाला हैं। विज्ञान मानव के लिय वरदान भी है और अभिशाप भी।
विज्ञान ने मानव को अनेक सुविधाएं दी है । जीवन के प्रत्येक क्रियाक्लाप में विज्ञान का योगदान हैं। विज्ञान ने आज मानव की कल्पनाओं को यथार्थ रूप में बदल दिया है । भाप, बिजली और अणुशक्ति को वश में करके विज्ञान ने मानव जीवन को चार चाँद लगा दिए हैं।
विज्ञान ने मानव के मनोरंजन के लिए भी अनेक साधन पेश किए हैं। टेलीविजन, ग्रामोनफोन,टेपरेकार्ड ,सिनेमा आदि से मानव जीवन अधिक रोचक बन गया है। आज हम घर बेठे देश – विदेश के समाचारों को सुन सकते हैं। विदेश में हो रहे कार्यक्रमों को भी घर बैठकर आराम से देख सकते हैं। सिनेमा को जहां मनोरजन के साधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, वहाँ सिनेमा को शिक्षा के साधन के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है।
वैज्ञानिक आविष्कारों ने मनुष्य का जीवन सुविधापूर्ण तथा आनंदमय बना दिया है। मशीनों द्वारा ही सब काम संपन्न किए जा सकते हैं। अन्न उगाने तथा वस्त्र बनाने के लिए भी मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा है। पहले लोग मिट्टी के दीपक जलाकर घर में रोशनी करते थे, परंतु आज बटन दबाते ही सारा घर जगमग करने लगता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने आश्चर्यजनक उन्नति की है। एक्स-रे द्वारा शरीर के अंदर के चित्र लिए जाते हैं तया बिमारियों का पता लगाया जाता है जिससे फेफड़े, दिल, गुर्दे आदि के ऑपरेशन किए जाते हैं। अन्धो को दूसरों की आंखें देकर देखने योग्य बनाया जा सकता है। कैंसर जैसे असाध्य रोगों के लिए कोवास्ट किरणों का आविष्कार किया गया है।
परंतु जब मनुष्य विज्ञान का दुरुपयोग करने लगता है तो वहीं विज्ञान मानय के लिए अभिशाप बन जाता है। विज्ञान की भयानकता को देखकर मनुष्य का सारा उत्साह समाप्त हो जाता है। वैज्ञानिक आविष्कारों का प्रयोग मानव हित के लिए उतना नहीं हुआ , जितना अहित के लिए। विज्ञान ने एटम बम, हाइड्रोजन बम जैसे विनाशकारी अस्त्र-शस्त्र बनाए हैं जिनसे सारा संसार क्षण भर में नष्ट हो सकता है।
द्वितीय महायुद्ध में जितना विनाश हुआ, उसकी पूर्ति शायद विज्ञान सौ वर्षों में भी नहीं कर सकता। हिरोशिमा और नागासाकी नगरों पर गिरे अणु बमों के दुष्परिणाम हमारे सामने हैं। बम के प्रभाव के कारण वहीं की संतानें अब तक अपंग पैदा होती हैं। तीसरे महायुद्ध की कल्पना करने मात्र से ही हृदय कांप उठता है।
प्रदूषण की समस्या का मूल कारण भी विज्ञान ही है। हवाई जहाज़ों से बमों की वर्षा करके निरीह जनता तथा उनके घर- बार तबाह किए जाते हैं। विज्ञान से सबसे बड़ी हानि यह है कि इसने मनुष्य को बेकार बना दिया है। मशीनी युग के कारण अनेक लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है। वैज्ञानिक प्रगति के कारण मनुष्य की नैतिक धारणाएँ शिथिल हो गई हैं। हस्तकलाओं तथा लघु उधयोगों में निपुण अनेक लोग मशीनों की प्रगति के कारण बेकार हो गए हैं। विज्ञान ने मनुष्य को शक्ति दी है, शांति नहीं, सुविधाएं दी हैं,सुख नहीं।
विज्ञान तो केवल एक शक्ति है। मनुष्य इसका सदुपयोग भी कर सकता है तथा दुरुपयोग भी। वास्तव में, विज्ञान द्वारा जो विनाश हुआ है, उसे विज्ञान पर नहीं थोपा जा सकता क्योंकि वह तो निर्जीव है। उसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना तो मनुष्य पर निर्भर करता है। विज्ञान तो मनुष्य का दास है। मनुष्य उसे जैसी आज्ञा देगा, वह वैसा ही करेगा। विज्ञान की स्थिति एक तलवार की भाँति है जिससे किसी के प्राणों की रक्षा भी की जा सकती है तथा किसी के प्राण भी लिए जा सकते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह विज्ञान का प्रयोग मानव जाति के कल्याण के लिए ही करे, विनाश के लिए नहीं।