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M.A. के बाद स्टूडेंट लोन कैसे लें:

यह ऋण ट्यूशन फीस, किताबें, छात्रावास शुल्क और अन्य शैक्षिक खर्चों को पूरा करने के लिए लिया जाता है।
 
M.A. के बाद स्टूडेंट लोन कैसे लें: 
 शिक्षा ऋण  जो बैंक या वित्तीय संस्थान छात्रों को उनकी उच्च शिक्षा के लिए प्रदान करते हैं।

M.A. (Master of Arts) करने के बाद कई छात्र उच्च शिक्षा या किसी विशेष कोर्स के लिए वित्तीय सहायता चाहते हैं। ऐसे में, स्टूडेंट लोन (Student Loan) एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह उन छात्रों के लिए मददगार होता है जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाते।

इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि M.A. के बाद स्टूडेंट लोन कैसे लिया जा सकता है, इसकी पात्रता, आवश्यक दस्तावेज़, आवेदन प्रक्रिया और चुकाने के तरीके।

स्टूडेंट लोन क्या है? (What is a Student Loan?)

स्टूडेंट लोन एक प्रकार का शिक्षा ऋण है, जो बैंक या वित्तीय संस्थान छात्रों को उनकी उच्च शिक्षा के लिए प्रदान करते हैं। यह ऋण ट्यूशन फीस, किताबें, छात्रावास शुल्क और अन्य शैक्षिक खर्चों को पूरा करने के लिए लिया जाता है।

स्टूडेंट लोन लेने की पात्रता (Eligibility for Student Loan)

M.A. के बाद स्टूडेंट लोन लेने के लिए निम्नलिखित पात्रता होनी चाहिए:

  1. भारतीय नागरिकता: आवेदक को भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।

  2. कोर्स की मान्यता: लोन केवल UGC, AICTE, या अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों में पढ़ाई करने के लिए दिया जाता है।

  3. अकादमिक प्रदर्शन: बैंक आमतौर पर अच्छे शैक्षणिक रिकॉर्ड वाले छात्रों को प्राथमिकता देते हैं।

  4. को-साइनर (Guarantor): यदि लोन की राशि अधिक होती है, तो माता-पिता या अभिभावक को गारंटर बनाना आवश्यक होता है।

  5. भविष्य की आय क्षमता: बैंक यह भी देखता है कि छात्र की भविष्य की कमाई क्षमता कैसी होगी।

आवश्यक दस्तावेज़ (Required Documents)

स्टूडेंट लोन के लिए आवेदन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ आवश्यक होते हैं:

  1. पहचान प्रमाण: आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि।

  2. पते का प्रमाण: आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल या बैंक स्टेटमेंट।

  3. अकादमिक दस्तावेज़: 10वीं, 12वीं, ग्रेजुएशन और M.A. की मार्कशीट और प्रमाण पत्र।

  4. प्रवेश पत्र (Admission Letter): जिस संस्थान में दाखिला लिया है, उसका प्रमाण पत्र।

  5. फीस संरचना (Fee Structure): कॉलेज या यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई फीस संरचना।

  6. आय प्रमाण (Income Proof): माता-पिता या गारंटर का इनकम सर्टिफिकेट।

  7. बैंक स्टेटमेंट: पिछले 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट।

स्टूडेंट लोन के लिए आवेदन प्रक्रिया (Application Process for Student Loan)

1. बैंक या वित्तीय संस्थान का चयन करें

सबसे पहले, यह तय करें कि आप किस बैंक या NBFC (Non-Banking Financial Company) से लोन लेना चाहते हैं। प्रमुख बैंकों में SBI, HDFC, ICICI, PNB और BOI शामिल हैं।

2. पात्रता की जांच करें

बैंक की वेबसाइट पर जाकर पात्रता मानदंड जांचें और देखें कि आप लोन के लिए योग्य हैं या नहीं।

3. आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें

ऊपर बताए गए सभी दस्तावेज़ एकत्र करें और उनकी फोटोकॉपी तैयार रखें।

4. आवेदन फॉर्म भरें

बैंक की शाखा में जाकर या ऑनलाइन आवेदन पत्र भरें। इसमें व्यक्तिगत जानकारी, कोर्स का विवरण और गारंटर की जानकारी देनी होगी।

5. दस्तावेज़ जमा करें

सभी आवश्यक दस्तावेज़ बैंक में जमा करें और उनके सत्यापन की प्रतीक्षा करें।

6. ऋण स्वीकृति और वितरण (Loan Approval and Disbursement)

बैंक आपके आवेदन की समीक्षा करेगा और यदि सभी मानदंड पूरे होते हैं, तो लोन स्वीकृत किया जाएगा। इसके बाद राशि सीधे संस्थान के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।

स्टूडेंट लोन चुकाने की प्रक्रिया (Loan Repayment Process)

  1. छूट अवधि (Moratorium Period): अधिकतर बैंकों में, कोर्स पूरा होने के 6-12 महीने बाद लोन चुकाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

  2. EMI भुगतान: बैंक EMI (Equated Monthly Installment) के जरिए लोन चुकाने का विकल्प देता है।

  3. पूर्व भुगतान (Prepayment): यदि आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती है, तो आप लोन का पूर्व भुगतान भी कर सकते हैं।

  4. ब्याज दर (Interest Rate): आमतौर पर स्टूडेंट लोन की ब्याज दर 7% से 12% के बीच होती है। सरकारी योजनाओं के तहत ब्याज दर कम हो सकती है।

भारत में उपलब्ध प्रमुख स्टूडेंट लोन योजनाएं (Major Student Loan Schemes in India)

  1. SBI स्टूडेंट लोन योजना

  2. HDFC क्रेडिला एजुकेशन लोन

  3. PNB शिक्षा लोन योजना

  4. ICICI बैंक एजुकेशन लोन

  5. बैंक ऑफ बड़ौदा एजुकेशन लोन

  6. NSFDC एजुकेशन लोन (SC/ST छात्रों के लिए विशेष योजना)

स्टूडेंट लोन के फायदे और नुकसान (Pros and Cons of Student Loan)

फायदे:

  • उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता मिलती है।

  • भुगतान की सुविधा (EMI) होती है।

  • कर लाभ मिलता है (Section 80E के तहत)।

  • सरकारी योजनाओं में कम ब्याज दर मिलती है।

नुकसान:

  • ब्याज दर अधिक हो सकती है।

  • भुगतान में देरी होने पर क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है।

  • कुछ मामलों में गारंटर की ज़रूरत पड़ती है।

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