सदाचरण पर छोटे-बड़े निबंध
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परिचय
“अच्छे के साथ अच्छा बनें, बुरे के साथ बुरा नहीं। क्योकि हीरे को हीरे से तराशा जा सकता है पर कीचड़ से कीचड़ साफ नहीं हो सकता।”
सदाचार अच्छे आचरण पर जोर देता है। है। सदाचारी होने के लिए चरित्र की पवित्रता का होना बहुत जरुरी होता हैं । शिष्टाचार और सदाचरण में थोड़ा फर्क होता है। सदाचार के अन्तर्गत शिष्टाचार आता है। शिष्टाचार हमारे बाहरी व्यक्तित्व का आइना होता है, जबकि सदाचार आत्मिक गुण होता है।
सदाचार का अर्थ
सदाचार का अर्थ है अच्छा नैतिक व्यवहार, व्यक्तिगत आचरण और चरित्र। दूसरे शब्दों में सदाचार, व्यवहार और कार्य करने का उचित और स्वीकृत तरीका है। सदाचार जीवन को सहज, आसान, सुखद और सार्थक बनाता है। मनुष्य भी एक जन्तु ही है, लेकिन यह सदाचरण ही है, जो उसे बाकी जन्तुओं से, अलग करता है।
सच्चरित्रता एक नैतिक गुण
सच्चरित्रता सदाचार का सबसे बड़ा गुण होता है। सदाचारी व्यक्ति का हर जगह गुणगान होता है। सच्चरित्र विशेषताएं ही मानव को सबसे अलग और श्रेष्ठ बनाती हैं। तर्क और नैतिक आचरण ही ऐसे गुण है, जो मनुष्यों को श्रेष्ठतम की श्रेणी में लाते हैं। तर्क और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता जैसे असाधारण लक्षण केवल मनुष्यों में ही पाए जाते हैं।
समाज – एक स्रोत
सच्चरित्रता एक नैतिक गुण होता है। हम समाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान, अनेक नैतिक मानदंडों और मानकों का अधिग्रहण कर सकते हैं। बच्चे समाज के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत करते समय नैतिक मूल्यों का अनुकरण कर सीख सकते हैं। इसके अतिरिक्त रीति-रिवाज भी नैतिक आचरण का एक स्रोत है, जिसे समाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान विकसित किया जा सकता है।
जन्मजात गुण
पियाजे, कोहलबर्ग आदि मनोवैज्ञानिकों के सिद्धांतों के अनुसार बच्चे नैतिक मानकों के साथ पैदा होते हैं और बड़े होने पर उन्हें विकसित करते हैं। ये वह नैतिक मूल्य होते हैं जो हमारे माता-पिता और परिवार से हमें विरासत में मिलते है।
निष्कर्ष
एक अच्छा आचरण या व्यवहार ही सदाचरण की श्रेणी में आता है। अच्छे आचरण से आप सबका मन मोह सकते हैं। शिष्टाचार, सदाचार से थोड़ा भिन्न होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि एक दुराचारी व्यक्ति भी शिष्ट आचरण कर सकता है, किन्तु एक सदाचारी मनुष्य कभी अशिष्ट नहीं हो सकता है और न ही दुराचार कर सकता है। प्रायः लोग इसे एक ही समझते हैं, और इसमें भेद नहीं कर पाते।