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दांतों की सफाई करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

खराब दांतों से भोजन चबाने बहुत मुश्किल होती है। इससे हमारे पाचन तथा स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है ।
 
गृह -VIGYAN
 मजबूत दांतों के बनने के लिए  और उन्हे बीमारियों से बचाने के लिए  पौष्टिक आहार जरूरी है । 

दांत हमारे शरीर  का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। जो डेण्टाइन (Dentine) से बना होता है और डेण्टाइन के ऊपर इनेमल चढ़ा होता है ।   एक बार इनेमल बन जाने पर उसकी मरम्मत होनी असम्भव होती हैं,   

क्योंकि इसको बनाने वाली कोशिकाएं समाप्त हो जाती हैं । इनेमल दांत का खुला हिस्सा बनाता है।  मसूड़े के अंदर दांत का डेन्टिन भाग एक सीमेंट जैसे पदार्थ से ढका होता हैं ,जो सीमेंटम कहलाता है।

 

मजबूत दांतों के बनने के लिय और उन्हे बीमारियों से बचाने के लिए  पौष्टिक आहार जरूरी है ।  इसलिए हमें अपने आहार में दूध ,अंडे ,टमाटर , अमरूद ,आंवला और खट्टे रस वाले फल तथा हरी सब्जी शामिल करनी चाहिए ताकि विटामिन सी की जरूरत पूरी हो सके ।

आहार में खनिज ,लवण और विटामिन सी की कमी कमी होने पर बच्चों में टेड़े -मेडे दांत आते हैं ,दांत जल्दी टूट जाते है ,और पीले पड़ जाते हैं ।  

 

खराब दांतों से भोजन चबाने बहुत मुश्किल होती है। इससे हमारे पाचन तथा स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । दांतों की हर रोज  दो बार सफाई करना जरूरी है। दांतों के बीच में जहां भोजन इक‌ट्ठा होता है जिसकी वजह से वह   हिस्सा सड़ना  शुरू हो जाता है।

दांतों के बीच में छेद होने पर तुरन्त भरवा देने चाहिए। दांतों पर यदि  टारटर इकट्ठा हो जाए तो  उसे साफ करवाते रहना चाहिए नहीं तो दांतों की जड़े निकालने पर यह हिलना शुरू कर देगें । बच्चों में टौफ़ियाँ ,  चॉकलेट ,मिठाईयां और  चबाने वाली टॉफियां खाने से कार्बोज और मांड दांतों पर जमता रहता है। यह खमीरिकरण होकर अमल में परिवर्तित   हो जाते  हैं।

यह अमल  दांतों से इनेमल को कुरेद देता है और नीचे का डेण्टाइन निकल आता है । मुहँ के अंदर के जीवाणु तब दिखने वाले डैन्टा इन पर आक्रमण कर देते हैं ।  इसीलिए आवश्यक है कि बच्चों को मिठाइयां या  टौफ़ियाँ खिलाने के बाद उनके दांतों की सफाई  का विशेष ध्यान रखा जाए।

 

 पायरिया (Pyorrhoea)

पायरिया (Pyorrhoea) भारत में बहुत पाया जाता है। विटामिन 'सी' की कमी से यह रोग होता है । इसमे दांतों तथा मसूड़े के बीच पस भर जाती हैं ।  जिसके कारण वहाँ जीवाणु पैदा होते हैं। यह जीवाणु सारे शरीर में जहर फैला देते है । इन जीवानुओं से पाचन संस्थान में विकार, जोड़ों के दर्द, आँखों में विकार, हृदय और यकृत की बीमारियाँ  हो सकती है ।

दांतों में पस भरने से  मुह से बदबू आने लगती हैं और मसूड़ों से खून बहने लगता है। बुश करते समय बुश को एक तरफ से दूसरी ओर तथा ऊपर से नीचे की ओर होना चाहिए ।  दांतों के बीच का हिस्सा साफ  होना आवश्यक है। खाना खाने के बाद और सोने से पहले दांत साफ करना जरूरी है इसके बाद   गरम पानी से गरारे करने  चाहिए।

इससे दांतों में छेद और पायरिया रोग नहीं होता। मसूढ़ों के ऊपर अंगुली पर दांतों का पेस्ट लगाकर हल्की  मालिश करने से भी लाभ होता है।

उपाय 

ब्रश  को भी साफ रखना जरुरी है। एक बुश का काफी समय तक इस्तेमाल नहीं  करना चाहिए । ब्रश को गर्म पानी से धोकर  एक साफ बोतल में रखना चाहिए। हमारे देश में नीम अथवा कीकर की दातुन का इस्तेमाल किया जाता  है । दातुन चबानें से मसूड़ों की अच्छी मालिश हो जाती है। सफाई की दृष्टि से भी यह लाभकारी है। नीम और कीकर को चबाने से निकलने वाला पानी  गले को अच्छी तरह से साफ कर देता है।
 

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