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हरियाणा के दस जिलों में खोले गए 36 आरोही मॉडल स्कूलों में स्टाफ और बच्चों की संख्या हुई कम

हरियाणा के दस जिलों में खोले गए 36 आरोही मॉडल स्कूलों में नौ साल में स्टाफ भी 2232 से कम होकर 308 रह गया है। बच्चों की संख्या 11 हजार ही रह गई है, जो कभी दोगुना से अधिक होती थी। शिक्षक, गैर शिक्षक स्टाफ नौकरी छोड़-छोड़कर जा रहा है। चूंकि, सरकार के आश्वासन के
 

हरियाणा के दस जिलों में खोले गए 36 आरोही मॉडल स्कूलों में नौ साल में स्टाफ भी 2232 से कम होकर 308 रह गया है। बच्चों की संख्या 11 हजार ही रह गई है, जो कभी दोगुना से अधिक होती थी। शिक्षक, गैर शिक्षक स्टाफ नौकरी छोड़-छोड़कर जा रहा है। चूंकि, सरकार के आश्वासन के बावजूद न तो नियमितीकरण हुआ न सातवें वेतनमान का लाभ मिला।

पानीपत के गांव छज्जूकलां, पलवल के रामगढ़, अली ब्राह्मण, लड़ियका, गदपुरी, मेवात के हसनपुर बिलोंडा, मोहम्मदपुर नगर, नूंह केरेवासन, पुन्हाना के मुंडेट, बावला, फतेहाबाद के सरवरपुर, दुलत, बनगांव, रतिया के जालूपुर, टोहाना के कनहेरी, महेंद्रगढ़ के मनधाना, कैथल के ग्यौंग, कलायत के रामगढ़ पंदवा, राजौंद के सोंगरी, जींद के हसनपुर, नरवाना के नारायणगढ़, उचाना के घेसुंखुर्द, हिसार के अग्रोहा, बरवाला के गेबीपुर, हांसी के घिराई, भिवानी रोहिला, खेरी लोचब, उकलाना, भिवानी के तोशाम, सिवानी खेरा, सिरसा के झीरी, कालूवाना, खारी सुरेरा, नौथसरी कलां, रानिया के मोहम्मद पुरिया। पहले ये स्कूल नौवीं से बारहवीं तक थे। इस सत्र से छठी से बारहवीं तक कर दिया गया था, लेकिन न तो शिक्षक हैं, न ही स्टाफ और  ही अन्य सुविधाएं। 2013 में सरकार ने 36 पिछड़े खंडों में हरियाणा बैकवर्ड ब्लॉक एजुकेशनल सोसायटी के अंतर्गत ये स्कूल खोले थे। शिक्षक न होने से विद्यार्थी दाखिलों में कम रुचि ले रहे हैं। स्टाफ न होने के कारण पंचायतों ने भी सहयोग करना छोड़ दिया है। यह सोसायटी पहले केंद्र सरकार से वित्त पोषित थी, जिसे बाद में प्रदेश सरकार ने अपने अधीन ले लिया।

सरकार ने निर्देश जारी किए थे कि न तो कोई शिक्षक छोड़कर जाएगा और न बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा। स्टाफ को पक्का करने, सेवा नियम बनाने और सातवें वेतनमान का लाभ देने की फाइल 2018 से कार्यालयों में ही घूम रही है। बीते वर्ष आरोही स्कूल स्टाफ एसोसिएशन मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिली थी। उस समय वित्त व स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जल्दी नियमितीकरण व अन्य मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसोसिएशन के राज्य समन्वयक मनोज मोर ने कहा कि सरकार अपने वादे जल्द पूरा करे ताकि शिक्षक, गैर शिक्षक स्टाफ का भविष्य सुरक्षित हो और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

 

36 प्राचार्य, 756 लेक्चरर, 576 मास्टर्स, 36 लाइब्रेरियन, 108 क्लर्क एवं अकाउंटेंट, 144 लैब सहायक, 144 सेवादार, 72 चौकीदार, 144 महिला सहायक, 144 सफाई कर्मचारी, बच्चों के स्वास्थ्य की देखरेख को 36 नर्स व 36 रिसेप्शनिस्ट के पद स्वीकृत किए गए थे। पांच साल बाद वर्ष 2018 में संतोषजनक कामकाज वाले कर्मियों को पक्का करना था।

शिक्षा मंत्री कंवर पाल के आदेश के बावजूद स्कूल शिक्षा विभाग आरोही स्कूलों के पात्र स्टाफ को नियमित करने एवं अन्य सुविधाएं देने को लेकर कदम नहीं उठा रहा। जबकि, वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद इन स्कूलों को सरकार के अधीन लेने का फैसला किया था। इनमें उच्च स्तरीय सुविधाएं देंगे। शिक्षकों व अन्य स्टाफ के खाली पदों को भरने के लिए जल्द प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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