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क्या आप जानते हैं गांव रूपावास का नाम कैसे रखा गया, नहीं जानते तो जानिए रूपावास का इतिहास, संस्कृति और वर्तमान, Village Rupawas

राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र का फौजियों का गांव रूपावास ( Village Rupawas ) अपने आप में 295 साल पूराना इतिहास समेटे हुए
 
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 Rupawas गांव में राजस्थानी बागड़ी भाषा बोली जाती है

Chopta Plus News ( Naresh Beniwal (9896737050) --- राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र का फौजियों का गांव रूपावास ( Village Rupawas ) अपने आप में 295 साल पूराना इतिहास समेटे हुए है। वर्तमान में गांव से करीब 75 युवा फौज में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं तथा गांव के 10 से ज्यादा रिटायरर्ड फौजी हैं। इसके अलावा दो स्वतंत्रता सेनानीयों मौजी राम व भागू राम पूनियां ने आजादी की लडा़ई में भाग लेकर देश को आजाद कराने में अपना अहम् योगदान दिया।

गांव के मनीराम ढिल्लों ने विधायक बनकर हल्के व प्रदेशवासियों की सेवा की है। करीब 4700 की आबादी वाले गांव रूपावास का रक्बा 7000 बीघा (4375 एकड़) है। व करीब 2800 मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनकर देश की प्रजातान्त्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं। गांव में गलियां तो ठीक ठाक हैं। गंाव में, बिजली आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाएं, पशुओं की स्वास्थ्य सेवाएं, पेयजल सुविधा लचर हैं। गांव में माहौल धार्मिकता से सराबोर शान्तिपूर्वक व सौहार्दपूर्ण है। Rupawas village ka name kese rakha, Freedom fighter in Rupawas,

गांव का इतिहास व सामाजिक तानाबाना - : सिरसा जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर चोपटा खंड के बड़े गावों में सुमार रूपावास के ग्रामीणों ने गांव के इतिहास व वर्तमान के बारे में बताते हुए बताया कि राजस्थान की सीमा नजदीक होने  के कारण राजस्थानी संस्कृति का काफी प्रभाव है व गांव में राजस्थानी बागड़ी भाषा बोली जाती है। उन्होनें बताया कि करीब 295 वर्ष पूर्व औलख व चूरनियां ग्रौत्र के लोगो ने आकर यहां डेरा डाला। पहले चौधरी रूपाराम के नाम से इस जगह को रूपराम वाला बास कहा जाता था बाद में समय गुजरने के बाद  गांव का नाम रूपावास पड़ गया।

गांव की सबसे पहले 12000 बीघा जमीन थी परन्तु पास ही रायपुर व जोड़कियां गांव बसने के कारण जमीन बंट गई व अब 7000 बीघा जमीन रूपावास गंाव की रह गई।  उसके बाद गांव मे धीरे धीरे ढिल्लों, पूनियांकासनियां, जेवलिया, गजरोईया, भाम्भू, ढूकिया, भिढासरा, फगेडिय़ा, राजपूत, सिहाग, ढाका, महला, कड़वासरा सहित कई जातियों के लोग आकर बस गये। गांव की 70 प्रतिशत आबादी जाट है। तथा सभी लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं।

गांव में सबसे पहला सरंपच रूपावास व रायपूर की सांझी पंचायत में बस्ती राम ढिल्लों को बनाया गया। अब निवर्तमान सरपंच अनिरूद्ध है। गांव से मनी राम ढिल्लों विधायक व मार्केट कमेटी के चेयरमैन बनकर लोगों की सेवा कर चुके हैं। rupawas  me gram panchyat kb honge

धार्मिक आस्था से ओत प्रोत गांव में कई धार्मिक स्थल हैं, गांव में भगवान विष्णु जी मन्दिर, जाहरवीर गोगाजी की गोगामेड़ी, शनिदेव मन्दिर है जिसमें सभी गांव के लोग पूजा अर्चना करते हैं। राधास्वामी आश्रम दिनोद की शाखा भी गांव में हैं यहां पर सत्संग होता है।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बाबा गोपालपुरी का आश्रम व मन्दिर बना हुआ है, जिसके प्रति लोगों की अटूट आस्था है। सिद्ध बाबा गोपालपुरी सन् 1986 में 12 वर्ष की तपस्या करके लौटे व गंाव में आश्रम बनाया, बाबा गोपालपुरी द्वारा सन् 1992 पोष मास की शुक्ल पक्षकी एकादशी को समाधी में लीन होने के बाद ग्रामीणों ने बाबा की मन्दिर में समाधी बना दी व हर वर्ष बाबा के निर्वाण दिवस पर जागरण व भंडारा आयोजित किया जाने लगा । तथा हर मंगलवार को भी गांव के लोग पूरी आस्था के साथ यहां पूजा अर्चना करते हैं। वर्तमान में पुजारी राजेंदर शर्मा मन्दिर व आश्रम में पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से धोक लगाने से मनोकामना पूरी होती है।

गांव के दो स्वतंत्रता सेनानी मौजी राम व भागू राम पूनियां ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ग्रामीणों ने बताया के गांव के युवायों में देश की सेवा करने का जज्बा है, इस समय गांव से  75 युवा फौज में भर्ती होकर देश की रक्षा कर रहे हैंतथा युवक फौज में भर्ती होने के लिए हर रोज प्रैक्टिस कर पसीना बहा रहें हैं। इसके अलावा गांव से 10 से ज्यादा रिटायर्ड फौजी हैं। जो गांव में युवकों को देश की रक्षा के लिए प्ररित करते हैं। ग्रामीण युवा नहर की पटरी व सडक़ पर दौड़ आदी करते नजर आते हैं।

5 आंगनबाड़ी केंद्र , एक स्वास्थय केंद्र, पशु हस्पताल, जलघर बना हुआ है। गांव के युवा कबड्डी, दौड़, बालीबाल आदि खेलों में रूचि लेते हैं व गांव में युवा कल्ब व ग्राम पंचायत द्वारा समय समय पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाती है।

ग्रामीणों की मुख्य समस्या- : गांव में राजकीय सीनियर सैकैंडरी स्कूल बना हुआ है, गांव में जलघर तो बना हुआ है लेकिन पानी सप्लाई में हमेशा दिक्कत रहती है गांव के आधे घरों मेंं ही पानी सप्लाई हो पा रहा है। मजबूरन ग्रामीणों को टयूबवैलों का लवण युक्त पानी पीना पड़ता है। जिससे अक्सर बिमारियां घेरे रहती है।

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