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टीम को देखकर ग्रामीणों का दर्द छलक उठता है , सेम से विरान खेत व जर्जर मकान दिखाते है पीड़ित

सिरसा जिले के चौपटा क्षेत्र के 25 गावों में 30  साल से करीब 23 हजार एकड़ जमीन सेम के कारण बेकार 
 
same ki jamin

चोपटा/ सिरसा जिले के चौपटा क्षेत्र के 25 गावों में 30  साल से करीब 23 हजार एकड़ जमीन सेम के कारण बेकार  हो गई है। जमीन में लवणता की मात्रा अधिक होने के कारण अनाज का एक दाना भी नहीं उग पाता। जमीन दलदली होने के कारण किसान खेती से महरूम हो गए हैं। व मजदूरी करने को मजबूर हैं। जिनकी जमीन सेम की चपेट में है उन किसानों की हालत बदतर हो गई है। सेम से मकान भी गिर रहे हैं।

सरकार ने सेम नाला निकाल कर समस्या के समाधान के प्रयास किए लेकिन सेम नाला अक्सर गाद से भरा रहता है तथा वह पानी को सोख नहीं पाता । सेम की समस्या कम होने की बजाय दिनों दिन बढ़ती जा रही है।  सेम की समस्या से त्रस्त ग्रामीणों के गांवों में जब भी कोई  टीम आती है तो लोगों  गांव में पहुंचते ही दर्द छलक उठता है| 

पीड़ित लोगों को आस होती है की कोई समाधान होगा लेकिन 30 साल से कोई स्थाई समाधान नहीं हुआ| इस बार बारिश के मोसम में तो समस्या काफी गंभीर हो गई| सावनी की फसल पूरी तरह से पानी में डूब गई| गाँव शक्कर मंदोरी, शाहपुरिया ,गुडिया खेड़ा सहित कई गांवों में तो सेम नाला भी टूट गया|


चोपटा क्षेत्र के दड़बा कलां, मानक दिवान, रूपाणा खुर्द, नारायण खेड़ा, माखोसरानी, लुदेसर, रूपाना बिश्रोइयां, गंजा रूपाना, शक्कर मंदोरी, निरबाण, गुडिया खेड़ा, रूपावास, तरकावाली, नाथूसरी कलां, कैरावाली, शाहपूरिया सहित करीब 20 गांवों की जमीन में 1992 को सेम की समस्या शुरू हो गई थी। इन गांवों में भूमिगत पानी जल्दी उपर आने लगा।  और बारिश होते ही जमीन में पानी खड़ा रहने लगा।

उसके बाद कई वर्षों तक तो पानी सूखा ही नहीं। किसान खेती को मजबूरन खेती छोडऩी पड़ी। व मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ा। किसान जुगती राम, महेंद्र सिंह व भीम सिंह ने बताया कि जमीन दलदली हो गई है। इसमें अनाज बोना तो दूर की बात कई जगह तो जमीन में पांव भी नहीं रख सकते। दलदल व लवणता के कारण जमीन बंजर हो गई है। अब तो ख्ेाती किए अरसा बीत गया। मजदूरी या दुकान बगैरा करके परिवार का पेट भरना पड़ रहा है।


टीम को देखकर ग्रामीणों का दर्द छलक उठता है , सेम से विरान खेत व जर्जर मकान दिखाते है पीड़ित
क्षेत्र में सेम की समस्या के हल के लिए जब भी कोई उच्च स्तरीय टीम  सेमग्रस्त नहराणा, तरकांवाली, गंजा रूपाणा, रूपाणा खुर्द, गुडिया खेड़ा, रूपाणा बिश्रोईयां गावों में सर्वे करने व् सेम की स्थिति की जांच कर  लोगों से राय जानने केलिए आती है तो टीम के आते ही सेम की समस्या से त्रस्त ग्रामीणों का  दर्द छलक उठता है ।  ग्रामीणो  को एक बार आस होती है की कोई समाधान होगा लेकिन बाद में कोई स्थाई समाधान नही होने पर उदास हो जातें हैं|  लोग सेम के खात्मे  के सुझाव भी देते है ।

एक बार जब हरियाणा ऑपरेशनल पायलट प्रोजैक्ट टीम मेें आजाद सिंह सर्वेयर, मुके श कुमार, कर्मजीत सिंह, महावीर, अजय कुमार व एमएल गुप्ता के साथ जेई नरेश कुमार को इन गावों का दोरा किया तो  ग्रामीणों ने कहा कि साहब जमीन के म्हां तो सेम आ गई।  बंजर जमीन के म्हां 25 सालों तो एक दाणा भी ना उग्या। ईब घर म्हां तो खाने के दाणे भी नहीं रहे। हम तो दाणे दाणे को मोहताज हो गए हैं।

ग्रामीणों ने टीम को बताया कि क्षेत्र में वर्ष 1992 में सेम की शुरूआत हो गई थी। चौपटा क्षेत्र के 20 गावों में 25 साल से करीब 22 हजार एकड़ जमीन सेम के कारण बजंर हो गई है। जमीन में लवणता की मात्रा अधिक होने के कारण अनाज का एक दाना भी नहीं उग पाता। जमीन दलदली होने के कारण किसान खेती से महरूम हो गए हैं। व मजदूरी करने को मजबूर हैं। जिनकी जमीन सेम की चपेट में है उन किसानों की हालत बदतर हो गई है। सेम से मकान भी गिर रहे हैं।

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