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गणतंत्र दिवस पर इस गांव के ग्रामीण नहीं करेंगे ध्वजारोहण, आजाद देश में मान रहे खुद को गुलाम

रोहनात के लोगों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए बहादुर शाह जफर के आदेश पर 29 मई 1857 के दिन अंग्रेजी हुकूमत की जेल तोड़कर कैदियों को आजाद करवाया था।
 
DWJA
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहनात को अंग्रेजी हुकूमत ने तोपों से उड़ाकर तहस नहस कर दिया था

     

1857 से ही रोहनात के ग्रामीण खुद को आजाद देश में गुलाम मान रहे हैं। साढ़े पांच माह से रोहनात में स्वतंत्रता सेनानियों का गांव घोषित कराने की मांग को लेकर अनिश्चित धरना चल रहा है।

पूरा देश गणतंत्र दिवस को मना रहा है। वहीं हरियाणा के भिवानी जिले के रोहनात में गुरुवार को गणतंत्र पर ध्वजारोहण तक नहीं होगा, क्योंकि ग्रामीण पिछले साढ़े पांच माह से शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के गांव रोहनात को अपनी खोई जमीन व शहीद गांव का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना देते आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नाटक के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत की बर्बरता को देखा भी था। मगर रोहनात के लोगों की साढ़े साल के बाद भी मांगें नहीं मानी गईं हैं।

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहनात को अंग्रेजी हुकूमत ने तोपों से उड़ाकर तहस नहस कर दिया था और ग्रामीणों को बंदी बनाकर हांसी की सड़क पर रोड रोलर के नीचे लाकर कुचल दिया। हांसी में आज भी उस जगह को लाल सड़क के नाम से जाना जाता है।

आजादी के बाद से गांव रोहनात में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया था। मुख्यमंत्री ने यहां ग्रामीणों के साथ 23 मार्च 2018 को शहीदी दिवस पर राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया था। उस दौरान ग्रामीणों ने सीएम को बताया था कि आजादी के बाद उन्हें आज तक शहीदों के गांव का दर्जा नहीं मिला है न ही पंजाब सरकार में बीड फार्म पर अलाट 57 प्लाटों पर कब्जा मिला है।

जबकि स्वतंत्रता संग्राम में उनके बुजुर्गों ने सब कुछ खोकर अपना बलिदान दिया था। उन्हें भी शहीद का दर्जा नहीं मिला है।

ये दी थी ग्रामीणों ने कुर्बानी

रोहनात के लोगों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए बहादुर शाह जफर के आदेश पर 29 मई 1857 के दिन अंग्रेजी हुकूमत की जेल तोड़कर कैदियों को आजाद करवाया था। 12 अंग्रेजी अफसरों को हिसार और 11 को हांसी में मार दिया था।

इसी बौखलाहट में अंग्रेजी सेना ने गांव पुट्ठी के पास तोप लगाकर गांव पर आग बरसा दी। सैकड़ों ग्रामीण इस हमले में मारे गए और गांव पूरी तरह से तबाह हो गया था। दर्जनों लोगों को सरे आम जोहड़ के पास पेड़ों पर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। ये कुएं और पेड़ आज भी अंग्रेजी हुकूमत के जुल्मों गवाह बने हैं। हांसी की सड़क पर बुलडोजर चलाकर गांव के ग्रामीणों को कुचल दिया। जिसे आज भी लाल सड़क के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण महिलाएं अपनी लाज बचाने के लिए बच्चों सहित गांव के ऐतिहासिक कुएं में कूद गई थी।

नीलाम जमीन पर नहीं मिला हक

अंग्रेजी हुकूमत ने 14 सितंबर 1857 को रोहनात को बागी घोषित कर दिया। 13 नवंबर को पूरे गांव की नीलामी के आदेश दे दिए। 20 जुलाई 1858 को गांव की जमीन व मकानों को नीलाम कर दिया गया। जमीन को आसपास के पांच गांवों के 61 लोगों ने मात्र आठ हजार रुपये की बोली में खरीदा था। अंग्रेज सरकार ने यह भी फरमान जारी किया कि भविष्य में इस जमीन को रोहनात के लोगों को न बेचा जाए।

10 अगस्त से जारी है गांव में अनिश्चितकालीन धरना

गांव रोहनात में धरना कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप कौशिक ने बताया कि 10 अगस्त 2022 से अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है। ग्रामीण संतलाल की धरना स्थल पर ही शहादत हो गई थी। जिसमें सरकार ने मृतक के परिजनों को 12 लाख आर्थिक मदद और एक सरकारी नौकरी की लिखित में हां भरी थी।

सिर्फ छह लाख मृतक के आश्रितों को मिले हैं, छह लाख की मदद और नौकरी अभी तक नहीं दी है। मुख्यमंत्री ने जिस जगह राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया था वह जगह भी सुलतानपुर पट्टी में थी, इसलिए आज भी रोहनात गुलाम महसूस कर रहा है। ग्रामीणों का फैसला है कि गणतंत्र दिवस पर भी राष्ट्रीय ध्वजारोहण नहीं होगा।

मेरे समक्ष ऐसी कोई मांग नहीं आई है। अगर रोहनात के ग्रामीण या धरना कमेटी मेरे समक्ष ऐसी कोई मांग लेकर आती है तो मुख्यमंत्री से मिलकर उसका जल्द समाधान कराया जाएगा। -जेपी दलाल, कृषि मंत्री हरियाणा सरकार।

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