किसान आंदोलन-2 के शहीद शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि देने तख्त श्री दमदमा साहिब में नतमस्तक हुआ बीकेई पैदल जत्था।

सिरसा। भारतीय किसान एकता (बीकेई) के नेतृत्व में किसानों का एक पैदल जत्था किसान आंदोलन-2 के शहीद शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए तख्त श्री दमदमा साहिब में नतमस्तक हुआ। जत्थे ने किसान आंदोलन की जीत और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तंदुरुस्ती के लिए विशेष अरदास की।
बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने जानकारी देते हुए बताया कि किसान आंदोलन-2 के दौरान 21 फरवरी 2024 को खनौरी बॉर्डर पर पुलिस फायरिंग में शहीद हुए शुभकरण सिंह की याद में पहला शहीदी समागम 21 फरवरी 2025 को उनके पैतृक गांव बल्लों, रामपुरा फूल (बठिंडा) में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में किसान और मजदूर भाई श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे।
इस शहीदी समागम में शामिल होने के लिए बीकेई की ओर से किसानों का पैदल जत्था कल सिरसा (हरियाणा) से रवाना हुआ था। इस जत्थे की अगुवाई किसान नेता सुनील नैन और संदीप सिंह सिद्धू कर रहे हैं। जत्थे ने पहले दिन की यात्रा के दौरान गुरुद्वारा साहिब तख्त श्री दमदमा साहिब, तलवंडी साबो में विश्राम किया। यहां किसानों ने गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकते हुए किसान आंदोलन की जीत और संघर्षरत किसानों की हिम्मत व हौसले के लिए अरदास की।
दूसरे दिन की यात्रा और रात्रि विश्राम
आज यात्रा के दूसरे दिन किसानों का जत्था गुरुद्वारा साहिब से आगे बढ़ा और शाम तक गांव फलनगढ़ के पास स्थित गुरुद्वारा साहिब में रात्रि विश्राम करेगा। इस दौरान किसान जत्थे का स्वागत करने के लिए कई गांवों में स्थानीय लोगों ने जगह-जगह लंगर और जलपान की व्यवस्था की। किसानों ने इस यात्रा के माध्यम से सरकार के दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए संघर्ष को जारी रखने का संकल्प दोहराया।
21 फरवरी को बल्लों गांव पहुंचेगा जत्था
तीसरे दिन यानी 21 फरवरी 2025 को यह पैदल जत्था शहीद शुभकरण सिंह के गांव बल्लों (बठिंडा) पहुंचेगा। यहां होने वाले शहीदी समागम में शामिल होकर किसान भाई शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इस कार्यक्रम में किसान आंदोलन से जुड़े कई प्रमुख नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता भी शामिल होगी।
किसान आंदोलन की लड़ाई जारी
किसान आंदोलन-2 के दौरान शुभकरण सिंह की शहादत ने किसानों को और अधिक संगठित किया। किसान नेताओं ने इस यात्रा को किसान एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि किसानों की यह लड़ाई जारी रहेगी जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। संदीप सिद्धू ने कहा कि यह यात्रा सरकार को संदेश देने का एक तरीका भी है कि किसान अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
यह पैदल यात्रा न केवल शहीद किसान को श्रद्धांजलि देने का एक जरिया है बल्कि यह किसान संघर्ष की एकता और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है।