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डबवाली स्कूल अग्निकांड : 29 साल पहले की वह त्रासदी आज भी दिल दहला देती है , जानिए क्या हुआ था उस दिन -

सिरसा का 23 दिसंबर 1995 का अग्निकांड
 
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सिरसा का 23 दिसंबर 1995 का अग्निकांड एक दिल दहला देने वाली घटना थी, जिसे लोग आज भी एक काले अध्याय के रूप में याद करते हैं। इस भयावह अग्निकांड में 442 लोगों की जान चली गई, जो एक भीषण त्रासदी थी। यह घटना सिरसा के एक सिनेमाघर में हुई थी, जहाँ फिल्म देखने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे। एक शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई और देखते-देखते पूरी इमारत में फैल गई।

इस घटना में लोग चिल्लाते हुए अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन दरवाजे बंद होने की वजह से कोई भी बाहर नहीं निकल पाया। यह अग्निकांड सिरसा और पूरे देश के लिए एक भयानक हादसा था और आज भी इसे उस समय के सबसे भीषण और दर्दनाक हादसों में गिना जाता है।

आज उसकी 29वीं बरसी पर, हम उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिनकी जानें चली गईं और उनके परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करते हैं।साल 1995 में 23 इसी दिन हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली के डीएवी स्कूल में साल का जश्न मनाया जा रहा था। लेकिन इस खुशी में ऐसी खलल पड़ी कि खुशी का माहौल मातम में बदल गया और देखते ही देखते 442 लोग जिंदा जल गए थे।

सिरसा में हुआ अग्निकांड 29 साल पहले 23 दिसंबर 1995 को एक बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आया था। यह घटना हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली गांव में स्थित एक स्कूल में हुई थी, जहां एक धार्मिक आयोजन के दौरान आग लग गई थी। इस अग्निकांड में 442 लोग अपनी जान गंवा बैठे थे, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।

घटना की पूरी जानकारी:

  • तारीख और समय: 23 दिसंबर 1995
  • स्थान: डबवाली, सिरसा (हरियाणा)
  • आग की शुरुआत: आग एक धार्मिक सभा के दौरान लगी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे। यह आयोजन एक धार्मिक गुरु के नेतृत्व में हो रहा था।
  • आग लगने का कारण: आयोजकों के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि आग की लपटें एक छोटे से पर्दे या कपड़े से फैल गईं, जिससे हादसा और भी भयंकर हो गया।
  • स्थिति: आग इतनी भयंकर थी कि स्कूल की इमारत में लोगों के पास भागने का कोई मौका नहीं था। सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद थे, जिससे लोगों का निकलना मुश्किल हो गया।
  • मृतक: इस अग्निकांड में 442 लोग मारे गए, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे, जो धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे।
  • घायलों की संख्या: सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से कुछ को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया। अस्पतालों में जगह की कमी हो गई, और श्मशान घाट भी शवों को संभालने में असमर्थ हो गए।
  • प्रतिक्रिया: इस घटना के बाद, प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों पर कई सवाल उठे थे, खासकर सुरक्षा उपायों और इमारत की संरचना को लेकर। आग की स्थिति इतनी भयंकर थी कि जब तक दमकल विभाग मौके पर पहुंचा, बहुत कुछ खत्म हो चुका था।

डबवाली के डीएवी स्कूल में वार्षिक महोत्सव के दौरान आग लगने से 248 बच्चे और 150 महिलाओं समेत कुल 442 लोग जिंदा जल गए थे। शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया था। 23 दिसंबर के उस काले दिन को डबवाली के लोग आज भी भुला नहीं पाते। ये तारीख आज भी डबवाली के लोगों को झकझोर कर रख देती है और वो जख़्म आज भी ताजा कर देती है।

पंडाल में लगी आग ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया हरियाणा के लोग आज भी इसे देश की सबसे बड़ी अग्नि त्रासदी मानते हैं। 29 साल पहले राजीव मैरिज पैलेस में ये हादसा हुआ था। यहां डीएवी स्कूल का वार्षिकोत्सव चल रहा था। बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुतियां दे रहे थे। अचानक पंडाल में लगी आग ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। पंडाल के पास ही खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर रखा था, जो आग से जल उठा।

वहीं बिजली के तार ने भी आग पकड़ ली। पास रखे जनरेटर में भी डीजल होने के कारण आग और भड़क गई। पंडाल के ऊपर तिरपाल की छत बिछाई गई थी। तिरपाल की पॉलीथिन में आग लग जाने से वो पिघलती हुई लोगों पर गिरी और देखते ही देखते लाशों का ढेर बीछ गया। जिस जगह पर ये हादसा हुआ था आज यहां अग्निकांड स्मारक है।

तिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई इस घटना ने पूरे देश व विदेश को हिलाकर रख दिया। यह हादसा इतना भयावह था कि शवों को दफनाने और अंतिम संस्कार करने के लिए शहर के रामबाग में भी जगह नहीं बची थी। वहीं, गंभीर रूप से झुलसे हुए घायलों के लिए अस्पतालों में न तो पर्याप्त स्थान था, न ही इलाज करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर मौजूद थे। इस दर्दनाक घटना के बाद भी डबवाली के प्रभावित परिवारों को मुआवजे और सहायता के लिए लंबी कानूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ी

50 करोड़ का मिला मुआवजा पीड़ितों ने 1996 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इलाहाबाद के सेवानिवृत जस्टिस टीपी गर्ग पर आधारित एक सदस्यीय आयोग बनाया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजा ब्याज सहित देने के आदेश दिए थे। पीड़ितों को 50 करोड़ मिला है। इस कड़ी में डबवाली अग्निकांड एसोसिएशन और डबवाली फायर विक्टिम्स ट्रस्ट बनाई गई। जिसने उस जगह पर स्मारक और लाइब्रेरी का निर्माण किया है। उस पूरी जगह पर अब कैसे आगजनी से बचना है, उसके चित्र नजर आते हैं।

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