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हरियाणा को जल सुरक्षित राज्य बनाने के लिए विशेष पैकेज की मांग।

हरियाणा में नहर आधारित जल आपूर्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे जल घरों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
 
हरियाणा जल
राज्य सरकार जल संकट से निपटने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है।

हरियाणा के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर गंगवा ने प्रदेश को 2047 से पहले जल सुरक्षित राज्य बनाने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए केंद्र सरकार से विशेष पैकेज की मांग की है। उन्होंने यह मांग राजस्थान के उदयपुर में आयोजित ‘जल सुरक्षित राष्ट्र’ विषयक कॉन्फ्रेंस में की, जहां उन्होंने जल सुरक्षा से संबंधित विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं पर चर्चा की।

हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जहां जल स्रोतों की सीमित उपलब्धता और बढ़ती जनसंख्या के कारण जल संकट की चुनौती लगातार बढ़ रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है, जिनमें रेनीवेल परियोजना, जल जीवन मिशन, अमृत योजना और नहर आधारित पेयजल परियोजनाओं का विस्तार शामिल है।

मंत्री रणबीर गंगवा ने जल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता की मांग की है, जिससे राज्य में जल आपूर्ति और प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

जल संकट से निपटने के प्रयास

राज्य सरकार जल संकट से निपटने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है। हरियाणा में नहर आधारित जल आपूर्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे जल घरों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। जिन क्षेत्रों में जल आपूर्ति में कमी है, वहां जल स्रोतों को नहरों के ऊपरी छोर पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए सरकार नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) की वित्तीय सहायता का उपयोग कर रही है।

हरियाणा सरकार ने यमुना नदी से रेनीवेल परियोजना के माध्यम से 216 गांवों को स्थायी रूप से पीने का पानी उपलब्ध कराया है। विशेष रूप से मेवात क्षेत्र के गांवों को भी इस योजना के तहत लाने का प्रयास किया जा रहा है। जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन और भूजल स्तर में गिरावट को रोकने के लिए सरकार सकारात्मक कदम उठा रही है।

अपशिष्ट जल प्रबंधन और पुनः उपयोग

हरियाणा में 2137 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की कुल क्षमता वाले 177 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं, जिनमें से 1487 एमएलडी उपचारित जल का उत्पादन हो रहा है। सरकार का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक इस मात्रा को 1000 एमएलडी से अधिक करना है, और दिसंबर 2028 तक 100 प्रतिशत उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग की योजना बनाई गई है। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और राज्य को जल संकट से उबारने में मदद मिलेगी।

अमृत 2.0 योजना के तहत शहरों में जल आपूर्ति सुधार

शहरी क्षेत्रों में जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए अमृत 2.0 योजना के तहत राज्य सरकार ने 44 नए शहरों को राज्य जल कार्य योजना-2 में शामिल किया है। इस योजना के तहत गैर-राजस्व जल (Non-Revenue Water) की समस्या को हल करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए द्वितीयक मीटरिंग, बल्क मीटर और फ्लो मीटर लगाए जा रहे हैं ताकि जल आपूर्ति में रिसाव और चोरी को नियंत्रित किया जा सके।

इसके अतिरिक्त, ऊर्जा कुशल पंपिंग उपकरण लगाने की योजना बनाई गई है, जिससे ऊर्जा लागत को कम किया जा सके और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी लाई जा सके। इससे पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा और जल आपूर्ति को टिकाऊ बनाया जा सकेगा।

निष्कर्ष

हरियाणा सरकार जल सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है। केंद्र सरकार से विशेष पैकेज की मांग इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे जल प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग, ऊर्जा कुशल उपकरणों के उपयोग और जल संसाधनों के सुदृढ़ीकरण से राज्य को जल संकट से उबरने में मदद मिलेगी। यदि केंद्र सरकार विशेष पैकेज स्वीकृत करती है, तो हरियाणा जल सुरक्षित राज्य बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकेगा।

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