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सिरसा : गोपाल कांडा ने विधायक गोकुल सेतिया को बताया ‘यूट्यूबर’, सेतिया का तीखा पलटवार.

गोपाल कांडा की इस टिप्पणी के बाद विधायक गोकुल सेतिया ने भी जोरदार पलटवार किया।
 
nagar prishd
नगर परिषद चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा में बोलते हुए गोपाल कांडा ने विधायक गोकुल सेतिया की बातों को ‘बकवास’ करार दिया।

हरियाणा के सिरसा नगर परिषद चुनावों में राजनीतिक गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा और सिरसा के मौजूदा विधायक गोकुल सेतिया के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं, जिससे यह चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।

गोपाल कांडा का पलटवार

नगर परिषद चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा में बोलते हुए गोपाल कांडा ने विधायक गोकुल सेतिया की बातों को ‘बकवास’ करार दिया। उन्होंने कहा कि एक तरफ वह (कांडा) विकास की बात कर रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ सिर्फ निरर्थक बयान दिए जा रहे हैं। कांडा ने सीधे तौर पर विधायक सेतिया पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें नेता के बजाय ‘यूट्यूबर’ या ‘फेसबुकिया’ होना चाहिए था।

उनका इशारा इस बात की तरफ था कि सेतिया सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं और सिर्फ बयानबाजी करते हैं, जबकि वास्तविकता में कोई ठोस कार्य नहीं कर रहे।

विधायक गोकुल सेतिया का जवाब

गोपाल कांडा की इस टिप्पणी के बाद विधायक गोकुल सेतिया ने भी जोरदार पलटवार किया। उन्होंने कहा कि पहले बड़े महलों में रहने वाले लोग (कांडा परिवार) उन्हें नजरअंदाज करते थे, लेकिन अब दिनभर उन्हीं पर बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि पहले उनकी कोई अहमियत नहीं थी, लेकिन अब कांडा परिवार उनके नाम को लेकर लगातार चर्चा कर रहा है।

सेतिया ने गोपाल कांडा के छोटे भाई गोबिंद कांडा पर भी निशाना साधा और तंज कसते हुए कहा, "अब यह छोटा वाला कहता है कि मैं आ गया हूं। तो क्या ये कौन सा गब्बर है?" इस बयान से साफ है कि दोनों नेताओं के बीच तनातनी काफी बढ़ चुकी है और चुनावी माहौल में यह जुबानी जंग चरम पर पहुंच गई है।

चुनावी जंग का असर

सिरसा नगर परिषद चुनाव में यह वाकयुद्ध मतदाताओं पर क्या असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी। जहां गोपाल कांडा खुद को विकास का चेहरा बताने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं गोकुल सेतिया अपनी लोकप्रियता और जनता के बीच पकड़ को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। कांडा की छवि एक बड़े व्यवसायी और प्रभावशाली नेता की है, जबकि सेतिया खुद को जनता का आम नेता बताने की कोशिश कर रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह जुबानी हमले दोनों नेताओं के समर्थकों को सक्रिय कर सकते हैं, लेकिन आम जनता इन विवादों से कितना प्रभावित होगी, यह कहना मुश्किल है। मतदाता अक्सर विकास कार्यों और अपनी बुनियादी जरूरतों के आधार पर फैसला लेते हैं, लेकिन ऐसे बयानों से चुनावी राजनीति में गर्माहट जरूर आ जाती है।

निष्कर्ष

सिरसा नगर परिषद चुनाव में जुबानी जंग ने प्रचार को और रोचक बना दिया है। जहां गोपाल कांडा खुद को विकास समर्थक बताते हुए विधायक सेतिया को केवल सोशल मीडिया तक सीमित बता रहे हैं, वहीं सेतिया इसे अहंकार से जोड़ते हुए जनता के सामने खुद को ‘जमीनी नेता’ के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सियासी टकराव का असर चुनावी नतीजों पर कितना पड़ता है।

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