हरियाणा में त्रिभाषा फार्मूला: 9वीं और 10वीं के छात्रों के लिए सात विषय अनिवार्य.

हरियाणा सरकार ने स्कूल शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए त्रिभाषा फार्मूला लागू कर दिया है। इस नए नियम के तहत, अब कक्षा 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों को छह की बजाय सात विषय पढ़ने होंगे। इसका उद्देश्य छात्रों को भाषाओं की ओर अधिक प्रोत्साहित करना और नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना है।
क्या है त्रिभाषा फार्मूला?
त्रिभाषा फार्मूला के तहत अब संस्कृत, पंजाबी और उर्दू को अनिवार्य विषयों में शामिल कर दिया गया है। इससे पहले ये विषय वैकल्पिक हुआ करते थे और अधिकांश छात्र इनकी जगह शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, म्यूजिक या कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों को चुनते थे। इसके चलते भाषाओं की पढ़ाई में रुचि कम हो रही थी। इस नई व्यवस्था के तहत, छात्रों को इन तीनों में से किसी एक भाषा को छठे अनिवार्य विषय के रूप में चुनना होगा।
पुरानी और नई व्यवस्था में अंतर
पहले:
- 9वीं और 10वीं के छात्रों के लिए हिंदी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान अनिवार्य विषय थे।
- छठा विषय वैकल्पिक था, जिसमें संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, म्यूजिक और कंप्यूटर साइंस शामिल थे।
- विद्यार्थी अक्सर शारीरिक शिक्षा, कंप्यूटर साइंस या ड्राइंग को चुनते थे, जिससे भाषाओं की पढ़ाई सीमित हो रही थी।
अब:
- संस्कृत, पंजाबी और उर्दू में से एक भाषा को छठे विषय के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है।
- शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, म्यूजिक और कंप्यूटर साइंस में से कोई एक विषय सातवें विषय के रूप में रहेगा।
- इस बदलाव को सत्र 2025 से कक्षा 9वीं में लागू किया जाएगा, जबकि 10वीं कक्षा के लिए अगले शैक्षणिक सत्र से इसे लागू किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति (NEP-2020) से संबंध
भारत सरकार द्वारा लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) में त्रिभाषा फार्मूले की सिफारिश की गई थी, जिसमें स्थानीय भाषाओं को अधिक महत्व देने की बात कही गई थी। हरियाणा सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए इस नीति को अपनाने का निर्णय लिया।
अन्य कक्षाओं में भी बदलाव
केवल 9वीं और 10वीं ही नहीं, बल्कि कक्षा 1, 2, 3 और 6 के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किए गए हैं।
- गणित की किताबों को दो भागों में विभाजित किया गया है, जिससे विद्यार्थी उन्हें अधिक प्रभावी तरीके से पढ़ सकें।
- शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, डांस और ड्रामा जैसे विषयों के लिए अलग से पीरियड निर्धारित किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके।
- किताबों में 10% तक बदलाव किया गया है और इनमें क्यूआर कोड जोड़े गए हैं, जिससे भविष्य में कोई बदलाव या सुधार आसानी से किया जा सके।
फैसले पर शिक्षकों और संगठनों की प्रतिक्रिया
हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के राज्य प्रधान सतपाल सिंधु ने इस फैसले को सकारात्मक और जरूरी कदम बताया है। उनका मानना है कि इससे छात्रों को भाषा कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे वे अधिक बहुभाषी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बन सकेंगे।
निष्कर्ष
हरियाणा सरकार द्वारा लागू किया गया त्रिभाषा फार्मूला शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार है। इससे न केवल भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छात्रों को अपनी मातृभाषा और अन्य भारतीय भाषाओं में दक्षता हासिल करने का अवसर भी मिलेगा। नई शिक्षा नीति के अनुरूप यह बदलाव छात्रों के सर्वांगीण विकास और भारत की बहुभाषी संस्कृति को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।