Haryana News. क्या कांग्रेस सांसदों को टिकट नहीं देकर हुड्डा के लिए रास्ता बना रही है, रास्ता।
कांग्रेस ने ऐलान किया है कि हरियाणा चुनाव में सांसदों को टिकट नहीं दिया जाएगा. ऐसा हुआ तो कुमारी शैलजा और रणदीप सुजेवाला चुनाव मैदान में नहीं होंगे. क्या कांग्रेस ऐसा कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए रास्ता बना रही है?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं. इन चुनावों में जीतकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की जुगत में है तो वहीं कांग्रेस भी गुटबाजी से पार पाकर लोकसभा चुनाव में मिले मोमेंटम को आगे लेकर जाने की कोशिश में जुटी है. हरियाणा में कांग्रेस के लिए गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या रही है. पार्टी की बैठकों में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला की एकसाथ तस्वीरें आ रही हैं, यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सब साथ हैं. अब पार्टी ने टिकट वितरण के लिए जो फॉर्मूला बताया है, उसको भी हरियाणा कांग्रेस में 'ऑल इज वेल' का संदेश देने की रणनीति से देखा जा रहा है.
बाबरिया ने बताया टिकट बंटवारे का ये फॉर्मूला
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने साफ कहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी के किसी भी मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया जाएगा. स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई तत्काल आवश्यकता है तो उन्हें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अनुमति लेनी होगी. सीटिंग विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी होगी तभी उनका टिकट कटेगा. दीपक बाबरिया ने ये भी कहा कि 10-15 सीटों को लेकर चर्चा हुई है लेकिन अंतिम फैसला लेने में अभी कुछ दिन और लगेंगे.
क्या हुड्डा के लिए रास्ता बना रही है कांग्रेस?
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया के इस ऐलान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए रास्ता बना रही है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि हरियाणा कांग्रेस में दो गुट हैं. एक गुट है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा का और दूसरा गुट है कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला का. कुमारी शैलजा हालिया लोकसभा चुनाव में सांसदों को टिकट नहीं देने के फॉर्मूले की बात कर रही है तो इसका सीधा मतलब है कि कुमारी शैलजा और सुरजेवाला, दोनों ही नेता टिकट की होड़ से बाहर हो जाएंगे.
कुमारी शैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा जताते हुए कहा भी था, "मुझे लगता है कि हरियाणा विधानसभा में काम करने की जरूरत है. अपनी इच्छा आलाकमान के सामने जाहिर कर दी है. इसे स्वीकार या अस्वीकार करना आलाकमान पर है." हरियाणा कांग्रेस प्रभारी के ताजा ऐलान के बाद एक अखबार के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "दीपक बाबरिया ने यह कहा है कि कोई सांसद चुनाव नहीं लड़ेगा और अगर लड़ना चाहता है तो हाईकमान से अनुमति लेनी होगी. पहले ही कह चुकी हूं कि कि विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हूं. हाईकमान के आदेश पर ही लोकसभा चुनाव लड़ा था और अनुमति मिली तो विधानसभा चुनाव भी लड़ूंगी."
विधायक नहीं रहीं तो कमजोर पड़ेगी शैलजा की दावेदारी
कुमारी शैलजा भी समझ रही हैं कि विधायक ही नहीं रहे तो मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी कमजोर होगी. हरियाणा में कांग्रेस का का पिछला अतीत तो यही बताता है. हरियाणा विधानसभा के 1968 चुनाव में सूबे के पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा और चौधरी देवीलाल, दोनों ही मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार थे. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में दोनों को ही टिकट नहीं दिया. चौधरी देवीलाल ने प्रचार की कमान संभाली और पूरे प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे. कांग्रेस की जीत के बाद शर्मा ने 33 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए सीएम पद के लिए दावेदारी ठोक दी तो वहीं देवीलाल ने दिल्ली में डेरा डाल दिया. कांग्रेस नेतृत्व ने इसके बाद ये ऐलान कर दिया कि नया सीएम विधायकों में से ही चुना जाएगा.
हरियाणा चुनाव के बाद अगर सीएम पद के लिए रार छिड़ी तो बात विधायकों में से ही सीएम चुनने की आ सकती है. अगर ऐसा हुआ तो भी भूपेंद्र हुड्डा की दावेदारी मजबूत रहेगी क्योंकि बाबरिया के फॉर्मूले से टिकट बंटा तो हुड्डा गुट को चुनौती देने वाले एसआर गुट के दोनों ही बड़े नेता विधानसभा में ही नहीं होंगे. कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दोनों ही नेता इन सारे समीकरणों को समझ रहे हैं और यही वजह है कि कांग्रेस सांसद विधायकी लड़ने के लिए आलाकमान अनुमति लेने की बात कर रही हैं तो वहीं पूर्व सीएम चुनाव बाद विधायकों की राय से सीएम चुनने की.
सीएम फेस से कांग्रेस कर रही परहेज
कांग्रेस भी हरियाणा चुनाव में सीएम फेस घोषित कर मैदान में उतरने से परहेज कर रही है. हरियाणा बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि राहुल गांधी अगर ओबीसी और दलित के इतने ही हितैषी हैं तो कांग्रेस कुमारी शैलजा को सीएम कैंडिडेट घोषित करें. कांग्रेस की ओर से पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने इस पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी ने सीएम कैंडिडेट घोषित किए थे क्या. एक इंटरव्यू में जब भूपेंद्र हुड्डा से भावी सीएम पर सवाल हुआ तो उन्होंने गेंद आलाकमान और जीतकर आने वाले विधायकों के पाले में डाल दी.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की इमेज ऐसे नेता की रही है जो अपने मन की ना हो तो आलाकमान के भी खिलाफ लाइन ले लेते हैं. हरियाणा के पिछले चुनाव में ऐसा हुआ भी भी था. तब कांग्रेस ने किसी भी नेता को सीएम कैंडिडेट घोषित किए बिना चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया था. लेकिन हुड्डा ने चुनाव प्रचार के दौरान खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया था. चर्चा इस बात की भी है कि हो सकता है, कांग्रेस नेतृत्व ने सीएम फेस घोषित किए बगैर चुनाव मैदान में उतरने, लड़ने के हुड्डा को विश्वास में लेने के लिए ही सांसदों को टिकट नहीं देने का ऐलान किया हो.