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जानें हारे उम्मीदवारों ने जोर लगाया तो फंसेगी दिग्गजों की सीट... ऐसे बन रहे समीकरण।

गोपाल कांडा भले ही कम अंतर से जीते हों, मगर आसपास की दो से तीन सीटों पर उनका अच्छा प्रभाव है।
 
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पांच साल के बाद भी इन 15सीटों पर सबकी नजरें हैं। इस बार भी मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है।

 

हरियाणा में पांच अक्तूबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती आठ अक्तूबर को होगी। राज्य में नामांकन 5 सितंबर से होंगे।

 

हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव में 17 सीटें ऐसी थी, जहां जीत-हार का अंतर 600 से 3500 वोट रहा था। बहुत ही कड़े मुकाबले में विधायकों की सीट निकल पाई थी।

कुछ ऐसी सीटें थी, जहां बाजी पलटते-पलटते रह गई थी। इनमें कई दिग्गज भी शामिल हैं, जिनका राज्य की राजनीति में अच्छा खासा रुतबा है। इनमें भाजपा-कांग्रेस और अन्य दलों के विधायक शामिल हैं।

पांच साल के बाद भी इन 15 सीटों पर सबकी नजरें हैं। इस बार भी मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है। कम अंतर से हारे उम्मीदवारों को यदि टिकट मिलता है और वह जोर लगाते हैं तो इस बार कई दिग्गजों की सीट फंस सकती है। उनके लिए जीतना मुश्किल हो सकता है।

602 मतों से जीते थे गोपाल कांडा

2019 के चुनाव में सबसे कम अंतर से हरियाणा लोकहित पार्टी के संस्थापक गोपाल कांडा मात्र 602 अंतर से जीते थे। सिरसा विधानसभा सीट से उतरे गोपाल कांडा को 44915 वोट मिले, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार गोकुल सेतिया को 44313 वोट मिले थे। गोपाल कांडा भले ही कम अंतर से जीते हों, मगर आसपास की दो से तीन सीटों पर उनका अच्छा प्रभाव है। वह कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे।

इसी तरह से दूसरे बड़े दिग्गज मेवात बेल्ट से आने वाले पुन्हाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास मात्र 816 वोट से जीते थे। उन्हें 35092 वोट मिले, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार रईस खान को 34276 वोट मिले। इलियास भजनलाल व चौटाला सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह ही एक ऐसे नेता हैं, जो मेवात बेल्ट की तीनों विधानसभा सीट नूंह, फिरोजपुर झिरका व पुन्हाना से विधायक रह चुके हैं।

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