नारनौल: जहर खाने वाले परिवार के मुखिया का भी निधन, बेटे की हालत स्थिर; सूदखोरों का था दबाव
यह घटना नारनौल जिले के गुरुनानकपुरा मोहल्ले से जुड़ी हुई है, जहां एक परिवार ने सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या करने की कोशिश की। रविवार शाम को परिवार के मुखिया आशीष, उनकी पत्नी रूपेंद्र कौर, बेटा गगनदीप और शामदीप अपनी थार गाड़ी में सवार होकर नारनौल के नीरपुर फ्लाई ओवर के पास स्थित तुर्कियावास मोड़ के पास पहुंचे। वहां, चारों ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। जहरीला पदार्थ निगलने के बाद, उन्होंने अपने परिचितों को मैसेज भी किया, जिससे उनके इरादे का पता चला।
इसके बाद चारों को तत्काल अटेली अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने रूपेंद्र कौर और शामदीप को मृत घोषित कर दिया। आशीष और गगनदीप को गंभीर हालत में नागरिक अस्पताल भेजा गया, और वहां से उन्हें रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया। इस दौरान आशीष ने अस्पताल जाते हुए रास्ते में दम तोड़ दिया, जबकि गगनदीप की हालत स्थिर बताई जा रही है।
इस घटना के बाद पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें दो व्यक्तियों के नाम लिखे हुए थे। माना जा रहा है कि ये लोग परिवार के सूदखोर हो सकते हैं, जिनके दबाव और उत्पीड़न के कारण यह परिवार आत्महत्या के इस कृत्य तक पहुंचा।
घटना का कारण: इस परिवार के द्वारा उठाए गए इस कदम का मुख्य कारण सूदखोरों का अत्याचार बताया जा रहा है। आशीष और उनके परिवार पर सूदखोरों का कर्ज बढ़ चुका था, जिससे वे मानसिक और आर्थिक तनाव का शिकार हो गए थे। सूदखोरों से छुटकारा पाने के लिए इस परिवार ने जहरीला पदार्थ निगलने का खौ़फनाक निर्णय लिया।
सुसाइड नोट और सूदखोरी का प्रभाव: मृतकों के पास मिले सुसाइड नोट में दो व्यक्तियों के नाम थे, जो शायद सूदखोर थे। सुसाइड नोट से यह भी संकेत मिलता है कि परिवार ने अपने कर्जदारों के दबाव के कारण यह कृत्य किया। सूदखोरी का प्रभाव समाज में गहरे रूप से महसूस किया जाता है, और यह घटना उस दबाव को दर्शाती है, जो इस प्रकार के वित्तीय शोषण से उत्पन्न होता है।
पुलिस जांच: पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और सूदखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस दुखद घटना ने सूदखोरी और उसके नकारात्मक प्रभावों पर गंभीर सवाल उठाए हैं, और यह समाज में इस विषय पर चर्चा को और बढ़ावा दे सकता है।
मानसिक तनाव और आत्महत्या: यह घटना यह भी दिखाती है कि आर्थिक समस्याएं और मानसिक तनाव जब बढ़ जाते हैं तो वे किसी इंसान को ऐसे खतरनाक कदम उठाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इस तरह की घटनाएं हमें यह समझने के लिए प्रेरित करती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य, परिवारिक सहयोग और आर्थिक सुरक्षा कितनी अहम भूमिका निभाती है