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कौन है ब्लडमैन ऑफ इंडिया ? blodman of india 106 बार रक्तदान,1000 रक्तदान कैंपों मे शिरकत, 40 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा

गर्व है कि मुझे  दुनिया भर के लोग ब्लडमैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं- अमर सिंह नायक  
 
bloodmen of india

 blodman of india समाजसेवा का जज्बा हो तो रुपये पैसे कोई मैने नहीं रखते। बिना धन के भी समाजसेवा की जा सकती है। समाजसेवा मे रक्तदान सबसे बड़ा दान माना गया है इसी कड़ी मे देश के ब्लडमैन ऑफ इंडिया अमर सिंह नायक  ने 106 बार रक्तदान कर की लोगों को जीवनदान दिया है। नाथूसरी चोपटा मे आयोजित रक्तदान शिविर मे शिरकत करने पँहुचे अमर सिंह ने युवाओं का हौंसला बढ़ाया। उनका कहना है की उन्हें गर्व है कि मुझे  दुनिया भर के लोग ब्लडमैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं-  blodman of india
 blodman of india कौन है ब्लडमैन ऑफ इंडिया अमर सिंह नायक, 106 बार रक्तदान,1000 रक्तदान कैंपों मे शिरकत, 40 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा    
गर्व है कि मुझे  दुनिया भर के लोग ब्लडमैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं- अमर सिंह नायक  

राजस्थान के गांव श्योदानपुरा में पैदा हुए अमर सिंह नायक को आज पूरे भारत में ब्लडमैन ऑफ इंडिया के नाम के साथ जाना जाता है। यू-ट्यूब व गुग्गल पर ब्लडमैन ऑफ इंडिया सर्च करते ही उसका नाम सब से पहला सामने आता है। भले ही अमर सिंह नायक खुद एक अनपढ़ खेतिहर मजदूर है परन्तु वह पढ़े- लिखे लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़ा रहा है क्योंकि अमर सिंह नायक आज तक खुद 106 बार रक्तदान करके और अपने खर्च पर ही अब तक करीब 1000 रक्तदान कैंपों का आयोजिन करके पिछले 39 साल से लोगों की जिन्दगियों को बचाने में लगा हुआ है। अमर सिंह नायक ने बताया कि सन 1985 में जब उन्होंने सड़क पर एक सिख भाईचारे के आदमी को घायल हालत में पड़े देखा तो उसका मन व्याकुल हो उठा। उसने उस आदमी को उठाकर अस्पताल पहुंचाया और उसके लिए अपना रक्तदान भी दिया1 
ब्लड मैन के नाम  से मशहूर अमर  सिंह  कई बार सम्मानित भी हो चुके 

टिब्बी के पास गांव श्योदानपुरा के रहने वाले अमरसिंह नायक 106 बार रक्तदान कर चुके हैं। उनको ब्लड मैन के नाम से पुकारा जाता है। वर्ष 1985 में महज 18 वर्ष की आयु में सड़क पर पड़े एक घायल को अस्पताल पहुंचाने के साथ  ही रक्तदान कर जिंदगी बचाई। इसके बाद दूसरों को भी प्रेरित करने की मुहिम शुरू की। डबवाली अग्निकांड पीड़ितों की मदद के लिए युवाओं को साथ लेकर रक्तदान किया। खुद के खर्चे पर न केवल कैंप लगाए बल्कि यात्रा भी निकाली। रक्तदान शिविर का खर्च उठाने के लिए 3 बीघा जमीन बेच दी। इसी वजह से अमरसिंह रक्तदान के लिए कई बार सम्मानित भी चुके हैं।रक्तदान किया। इसके साथ ही सिंह की मां के निधन के दौरान बारहवें पर परम्परागत मृत्यु भोज जैसी बुराईयों को त्याग कर श्योदानपुरा में रक्तदान कि लगाया।  रक्तदान के उनके जुनून के कारण अनेक उन्हे प्रशासन व समाज संस्थाओं द्वारा सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जा चुका है 

बेटे की शादी व मां के बारहवें पर भी लगाया रक्तदान शिविर 
अमर सिंह नायक ने अपने बेटे की शादी के दौरान रक्तदान शिविर लगाया तथा घोषणा की जो रक्तदान करेगा वही बारात में जाएगा। नोहर में आयोजित इस शिविर में 117 बारातियों ने पहले रक्तदान कर बारात मे गए .उनके अनुसार वे अब तक 40 हजार किलोमीटर साइकिल यात्रा कर चुके हैं।
घायल ने दी दिशा

अमर सिंह नायक के रक्तदान करने व रक्तदान शिविरों में भाग लेने के जुनून का कारण एक घायल युवक की मदद करना रहा। वे बताते हैं कि सन् 1985 में सिरसा में सडक़ पर पडे एक घायल युवक को उसने चिकित्सालय पहुंचाया तथा वहां पहली बार रक्तदान कर उस घायल युवक की जान बचाई। उस समय उस घायल युवक के परिवार के सदस्यों व युवक द्वारा दी गई ढेरों आशीषों ने उसकी जीवनचर्या को बदल दिया और उन्होने अपने जीवन का लक्ष्य अधिक से अधिक रक्तदान करने तथा इसके शिविर लगाने को बना लिया।

इसका ही नतीजा हैकरने में जुटे है टिब्बी क्षेत्र के गांव श्योदानपुरा निवासी अमर सिंह नायक। छोटे से गांव के मजदूर परिवार से जुडे अमर सिंह नायक अब तक 106 बार रक्तदान कर चुके है। तथा एक हजार से अधिक रक्तदान शिविरों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भाग ले चुके हैं। जिनमें हजारों यूनिट रक्त संग्रह किया जा चुका है। जिले में कहीं भी रक्तदान के लिए लगाए जा रहे शिविर की उन्हे जानकारी मिलती है तो वे अपने सभी जरूरी काम छोड़कर शिविर में पहुंचते है तथा जब भी मौका मिलता है वे रक्तदान करके अपनी मुहिम को जारी रखते हैं। उनके साथ उनके परिवार के सदस्य भी रक्तदान के लिए आगे रहते है।

खास बात यह भी है कि वे अधिकतर शिविरों में अपनी साइकिल पर जाते कहना है कि जब तक उसकी जिंदगी रहेगी वह ऐसे रक्तदान कैंपों का आयोजिन करके लोगों को रक्तदान के लिए हमेशा प्रेरित करता रहेगा।

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