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भादरा विधानसभा चुनाव: चाचा, भतीजा और बलवान जाने किसका बिगड़ेगा खेल

 

भादरा विधानसभा चुनाव  चाचा, भतीजा और बलवान जाने किसका बिगड़ेगा खेल   

भादरा। विधानसभा क्षेत्र भादरा से 2003 से लगातार हार का स्वाद चख रही कांग्रेस पार्टी ने इस बार एक नये व युवा चेहरे अजीत बैनीवाल पर अपना दांव खेला है। इस बार भाजपा प्रत्याशी चाचा संजीव बेनीवाल व भतीजे अजीत बैनीवाल के बीच मुकाबला होगा।

गांधीबड़ी निवासी अजीत बैनीवाल के चाचा संजीव बैनीवाल पूूर्व मे एक बार कांग्रेस व एक बार भाजपा से विधायक रह चुके है, तो इस बार भतीजे के सामने बतौर भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है। यूं तो अजीत बैनीवाल के दादा लगने वाले चौधरी हरदत्तसिंह व दयाराम भी भादरा विधानसभा चुनाव से विधायक रह चुके है। विधानसभा चुनाव 1998 में संजीव बैनीवाल कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजय हुए थे इसके बाद कांग्रेस और संजीव को लगातार हार का सामना करना पड़ा है। हांलाकि 2013 के विधानसभा चुनाव में संजीव ने चुनाव के ऐन वक्त पर कांग्रेस छोड़क

भादरा। विधानसभा क्षेत्र भादरा से 2003 से लगातार हार का स्वाद चख रही कांग्रेस पार्टी ने इस बार एक नये व युवा चेहरे अजीत बैनीवाल पर अपना दांव खेला है। इस बार भाजपा प्रत्याशी चाचा संजीव बेनीवाल व भतीजे अजीत बैनीवाल के बीच मुकाबला होगा। गांधीबड़ी निवासी अजीत बैनीवाल के चाचा संजीव बैनीवाल पूूर्व मे एक बार कांग्रेस व एक बार भाजपा से विधायक रह चुके है, तो इस बार भतीजे के सामने बतौर भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है।

यूं तो अजीत बैनीवाल के दादा लगने वाले चौधरी हरदत्तसिंह व दयाराम भी भादरा विधानसभा चुनाव से विधायक रह चुके है। विधानसभा चुनाव 1998 में संजीव बैनीवाल कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजय हुए थे इसके बाद कांग्रेस और संजीव को लगातार हार का सामना करना पड़ा है। हांलाकि 2013 के विधानसभा चुनाव में संजीव ने चुनाव के ऐन वक्त पर कांग्रेस 

छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था तब चौकोने सघंर्ष में मुस्लिम वोटर्स के बिखराव के चलते भाजपा प्रत्याशी संजीव बैनीवाल विजय रहे। विधानसभा चुनाव 2013 में जहां माकपा प्रत्याशी बलवान पूनियां ने 36512, बसपा के सुखदेवसिंह गोगामेड़ी ने 33666, निर्दलीय हाजी दाऊद कुरेशी ने 16720 व निर्दलीय संदीप ढूकिया ने 5633 व कांग्रेस के जयदीप डूडी को 11680 मतों से संतोष करना पड़ा था। उस समय भादरा से पहली बार कमल खिला था। इस प्रकार 2018 के चुनाव में माकपा के बलवान पूनियां ने भाजपा के संजीव बैनीवाल को 23 हजार 153 मतों से पटखनी दी थी। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ.सुरेश चौधरी को 37 हजार 574 मत प्राप्त हुए थे। वैसे देखा जाए तो विधानसभा चुनाव 2023 में एक बार माकपा के बलवान पूनियां और भाजपा के संजीव बैनीवाल में मुकाबला होगा। हांलाकि बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतात्रिक पार्टी, जेजेपी के साथ कई निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में दिखाई देगें। कांग्रेस ने अजीत बैनीवाल को मैदान में उताकर चुनाव को रोचक बना दिया है। जातिगत समीकरण देखें तो चाचा-भतीजा आमने-सामने होने से भाजपा प्रत्याशी संजीव बैनीवाल को इससे काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। वहीं इसका सीधा फायदा माकपा प्रत्याशी कामरेड बलवान पूनियां को होता दिखाई दे रहा है। यहां एक तस्वीर ओर स्पष्ट होती दिखाई दे रही है कि इस चुनावी अखाड़े में भतीजा बाजी मारे या ना मारे परंतु चाचा के खेल का दंगल बिगाड़ने की बाजी जरुर मार जायेगा।

छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था तब चौकोने सघंर्ष में मुस्लिम वोटर्स के बिखराव के चलते भाजपा प्रत्याशी संजीव बैनीवाल विजय रहे। विधानसभा चुनाव 2013 में जहां माकपा प्रत्याशी बलवान पूनियां ने 36512, बसपा के सुखदेवसिंह गोगामेड़ी ने 33666, निर्दलीय हाजी दाऊद कुरेशी ने 16720 व निर्दलीय संदीप ढूकिया ने 5633 व कांग्रेस के जयदीप डूडी को 11680 मतों से संतोष करना पड़ा था। उस समय भादरा से पहली बार कमल खिला था। इस प्रकार 2018 के चुनाव में माकपा के बलवान पूनियां ने भाजपा के संजीव बैनीवाल को 23 हजार 153 मतों से पटखनी दी थी। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ.सुरेश चौधरी को 37 हजार 574 मत प्राप्त हुए थे। वैसे देखा जाए तो विधानसभा चुनाव 2023 में एक बार माकपा के बलवान पूनियां और भाजपा के संजीव बैनीवाल में मुकाबला होगा। हांलाकि बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतात्रिक पार्टी, जेजेपी के साथ कई निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में दिखाई देगें। कांग्रेस ने अजीत बैनीवाल को मैदान में उताकर चुनाव को रोचक बना दिया है। जातिगत समीकरण देखें तो चाचा-भतीजा आमने-सामने होने से भाजपा प्रत्याशी संजीव बैनीवाल को इससे काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। वहीं इसका सीधा फायदा माकपा प्रत्याशी कामरेड बलवान पूनियां को होता दिखाई दे रहा है। यहां एक तस्वीर ओर स्पष्ट होती दिखाई दे रही है कि इस चुनावी अखाड़े में भतीजा बाजी मारे या ना मारे परंतु चाचा के खेल का दंगल बिगाड़ने की बाजी जरुर मार जायेगा।

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