Kotputli Borewell: 44 घंटे से बोरवेल में फंसी मासूम, रेस्क्यू के लिए प्रशासन ने बदली रणनीति
Borewell Accident: राजस्थान में बच्चों के बोरवेल में गिरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। दौसा में कालीखाड़ हादसे के बाद एक बार फिर राजस्थान में बोरवेल हादसा हुआ। कोटपूतली जिले के किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में सोमवार दोपहर 2 बजे बोरवेल में गिरी साढ़े तीन वर्षीय बालिका चेतना को बचाने का रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है।
Borewell Accident: राजस्थान में बच्चों के बोरवेल में गिरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। दौसा में कालीखाड़ हादसे के बाद एक बार फिर राजस्थान में बोरवेल हादसा हुआ। कोटपूतली जिले के किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में सोमवार दोपहर 2 बजे बोरवेल में गिरी साढ़े तीन वर्षीय बालिका चेतना को बचाने का रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है।
फरीदाबाद से मंगाई मशीन
बता दें कि देर रात तक बालिका को बाहर नहीं निकला जा सका। बोरवेल की मिट्टी ढहने से जुगाड़ के सहारे शुरू किया गया अभियान कारगर नहीं रहा। इसके बाद पाइलिंग मशीन से बोरवेल के समानान्तर खुदाई करवा कर बालिका को निकालने का निर्णय किया गया।
प्रशासन ने पाइलिंग मशीन फरीदाबाद से मंगवाई है, लेकिन मशीन के आने में देरी पर शाम को पांच बजे से फिर से रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया था।
150 फीट पर फंसी थी बच्ची
वहीं देर रात मशीन घटनास्थल पर पहुंच गई है। फिलहाल मशीन को सेट किया जा रहा है। इसके बाद खुदाई शुरू कर दी जाएगी। बता दें कि बालिका चेतना घर के बाहर खोदे गए 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर कर 150 फीट पर जाकर फंस गई थी। पाइप के जरिए लगातार आक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। वहीं, सीसीटीवी कैमरे में बच्ची द्वारा कोई हरकत या हलचल नजर नहीं आ रही है। ऐसे में परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। अभी तक बच्ची को 35 से 40 फुट ऊपर ही लिया गया है।
राजस्थान में बोरवेल हादसे अक्सर छोटे बच्चों के लिए जानलेवा साबित होते रहे हैं। ऐसी घटनाओं में प्रशासन और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयासों के बावजूद कुछ बार सफलता मिली है, तो कुछ बार दुःखद परिणाम सामने आए हैं।
बांदीकुई के मोराडी गांव में एक घटना में 3 साल की मासूम अंजू बोरवेल में गिर गई थी, लेकिन समय पर कार्रवाई करते हुए उसे सुरक्षित बचा लिया गया। वहीं, 2011 में लालसोट के रायमलपुरा गांव में 6 साल के अंकित मीना की बोरवेल में गिरने से मौत हो गई थी, जो इलाके के लिए एक बड़ी त्रासदी थी। 2015 में बिहारीपुरा गांव में एक और हादसा हुआ, जिसमें ढाई साल की ज्योति बोरवेल में गिरी। प्रशासन की मुस्तैदी से उसे सुरक्षित निकाल लिया गया, जिससे पूरे क्षेत्र ने राहत की सांस ली। इसी तरह, बांदीकुई के जस्सापाड़ा गांव में 2 साल की अंकिता को भी एक कठिन बचाव अभियान के बाद बचा लिया गया।
हालांकि, हर बार राहत भरी खबर नहीं आती। सितंबर 2024 में जोधपुरिया गांव में ढाई साल की नीरू गुर्जर बोरवेल में फंसी थी। गहन बचाव प्रयासों के बाद उसे सुरक्षित निकाला गया। लेकिन, 9 दिसंबर 2024 को नांगल के कालीखाड गांव में 5 वर्षीय आर्यन मीना को बचाने में प्रशासन असफल रहा, जिससे पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।