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भादरा में पानी की टंकी पर चढी शहीद की पत्नी, प्रशासन ने दिया अतिक्रमण हटाने का ठोस आश्वासन, बाद में नीचे उतरी

भादरा न्यूज : राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के भादरा कस्बे के वार्ड नंबर 37 निवासी शहीद देशराज पचार की पत्नी शकुंतला पचार
 
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शहीद की पत्नी शकुंतला की मांग

भादरा न्यूज: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के भादरा कस्बे के वार्ड नंबर 37 निवासी शहीद देशराज पचार की पत्नी शकुंतला पचार मुख्य बस स्टैंड स्थित जलदाय विभाग की टंकी पर चढ़ गई। देखते ही देखते मौके पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। सूचना पर हवलदार पलटू राम पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। शकुंतला के परिवार वाले भी गांव से मौके पर पहुंच गए।

 

bhadra news : शहीद की पत्नी शकुंतला की मांग है कि उसकी गली में उसके घर के आसपास लोगों ने सड़क पर अतिक्रमण किया है। उसे हटाया जाए और उसका कोई पैसों का विवाद है, वह सुलझाया जाए। महिला शकुंतला ने आरोप लगाया कि वह अतिक्रमण हटाने को लेकर नगर पालिका से लेकर उच्च अधिकारियों के सैकड़ों चक्कर लगा चुकी है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मूल रूप से शेरडा गांव की निवासी शकुंतला के पति देशराज पचार 1998 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे।

आरोप है कि महिला की गली जहां शुरू में 13 से 14 फीट थी, लेकिन धीरे-धीरे दोनों साइड से अतिक्रमण होने के चलते शकुंतला के घर के पास मात्र 8 फीट की सड़क रह गई है। जिसमें शकुंतला ने खुद भी सड़क पर अतिक्रमण किया है। महिला के घर के पास वन विभाग की भूमि शुरू होती है। जिस पर वन विभाग द्वारा दीवार बना देने से आगे रोड बंद हो गई है।

 

ठोस आश्वासन के बाद नीचे उतरी महिला

भादरा बस स्टैंड पर पानी की टंकी पर चढ़ी शहीद की पत्नी प्रशासन से मिले ठोस आश्वसन के बाद नीचे उतर गई है। महिला शकुंतला ने बताया कि प्रशासन ने बुधवार तक का समय मांगा है। बुधवार तक सभी बताए गए अतिक्रमण का मौका मुआयना करके आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन मिला है।

महिला बोली- टंकी साथ थोड़ी ले जाएगा प्रशासन, फिर चढ़ जाऊंगी

महिला शकुंतला ने बताया कि वो नगर पालिका के पिछले 2 साल से चक्कर काट रही हूं। कई बार फरियाद की, लेकिन कोई भी सुनवाई करने को तैयार नहीं है। इस मामले में स्थानीय एसडीएम को भी पत्र दिया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। थक हार कर मुझे टंकी पर चढ़ने का फैसला लेना पड़ा। अगर मांगें अब भी आश्वासन के बाद नहीं मानी गई तो प्रशासन टंकी अपने साथ उखाड़ कर तो ले नहीं जाएगा। फिर वापस आकर चढ़ जाऊंगी।

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