नवजात ऊंट के पालन-पोषण पर मिलेंगे 20 हजाररुपए : इस राज्य सरकार ने बढ़ाई सहायता राशि
नवजात ऊंट के पालन-पोषण पर मिलेंगे 20 हजाररुपए :
इस राज्य सरकार ने बढ़ाई सहायता राशि
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उनके निर्देशन में बजट घोषणा के अनुसार अब नवजात ऊंट के पालन-पोषण के लिए सहायता राशि दोगुनी कर दी गई है। ऐसे में ऊंट पालकों को अब 20 हजार रुपए मिलेंगे। यह राशि 15 अक्टूबर के बाद नवीन आवेदकों को नियमानुसार मिलेगी। पूर्व में यह राशि 10 हजार रुपए ही थी।
राजस्थान पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. हरीश गुप्ता ने बताया कि ऊंट प्रजनन को प्रोत्साहित करने के लिए ऊंट संरक्षण और विकास नीति के अंतर्गत ऊंट संरक्षण योजना योजना लागू है। इसमें ऊंट पालकों को ऊंटों के प्रजनन में राशि का प्रावधान किया गया है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि 20 हजार रुपए सहायता राशि का भुगतान दो किश्तों में होगा। ऊंट के जन्म पर प्रथम किश्त (0-2 माह) 10 हजार दी जाएगी। एक वर्ष आयु पूरी होने पर द्वितीय किश्त में 10 हजार रुपए मिलेंगे।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि ऊंटनी जिसकी संतति नर/मादा (टोडिया) की आयु 0-2 माह है, को पालने वाले ऊंट पालक राजस्थान के मूल निवासी होने चाहिए। ऊंट पालकों को इंटीग्रेटेड ऑनलाइन मेडिसिन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर (पशु औषधी) पर निर्धारित आवेदन फार्म में स्वयं के बैंक खाता, आश्रित ऊंटों, चयन योग्य ऊंटनी और उससे जन्मी नर/मादा संतति (टोडिया) आयु 0-2 माह के विवरण के साथ आवेदन करना होगा।
संयुक्त निदेशक डॉ. गुप्ता ने बताया कि चयनित ऊंटनी और उससे जन्मी नर/मादा संतति (टोडिया) आयु 0-2 माह की टेगिंग करनी है। ऊंटपालक को चयनित ऊंटनी और उससे जन्मी नर/मादा संतति (टोडिया) के विक्रय/क्रय करने के मामले में पंजीकृत पशु चिकित्सा संस्था को सूचित करना होगा। ऊंट पालक को ऊंटनी के गर्भधारण काल/ब्याने/मृत्यु और टोडिया के मृत्यु पर पंजीकृत पशु चिकित्सालय/संस्था को सूचित करना होगा।
एक वर्ष आयु पर जारी होगा प्रमाण पत्र
डॉ. गुप्ता ने बताया कि चयनित संतति नर/मादा (टोडिया) की एक वर्ष आयु होने के बाद पहचान प्रमाण पत्र पशु चिकित्सा संस्था प्रभारी जारी करेंगे। इसके बाद पंजीकृत पशुपालक चयनित ऊंटनी और टोडिया का टैग दिखाते हुए संयुक्त फोटो को प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय/बहु उद्देश्य पशु चिकित्सालय संस्था प्रभारी पोर्टल पर अपलोड करेंगे।
इसके बाद ही द्वितीय किश्त की राशि पंजीकृत ऊंट पालक के बैंक खाते में डीबीटी की जाएगी। पंजीकृत चयनित टोडिये की मृत्यु होने की स्थिति में द्वितीय किश्त का भुगतान नहीं मिलेगा। एक पंजीकृत चयनित ऊंटनी की द्वितीय संतति को भी न्यूनतम 15 माह के अंतराल उपरांत ही योजनान्तर्गत लाभ मिल सकेगा। पंजीकृत टोडियों और ऊंटनी का विभागीय बीमा योजनान्तर्गत बीमा कराए जाने के लिए पशुपालकों को प्रेरित किया जा रहा है।