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किसान भरत सिंह सहारण ने 1 एकड़ में लगाए ऑर्गेनिक तरबूज, खाने में मीठे और स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक

नरेश बैनीवाल चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में हमेशा ही नहरी पानी की कमी के कारण अधिकतर जमीन बरानी है । ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर होती है। समय पर बारिश होने से फसलों का उत्पादन अच्छा हो जाता है और बारिश ना होने पर जमीन खाली रह जाती
 

नरेश बैनीवाल चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में हमेशा ही नहरी पानी की कमी के कारण अधिकतर जमीन बरानी है । ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर होती है। समय पर बारिश होने से फसलों का उत्पादन अच्छा हो जाता है और बारिश ना होने पर जमीन खाली रह जाती है। ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति डावांडोल रहती है।

 

लेकिन वर्तमान समय में किसान परम्परागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से फल, सब्जियां आदि लगाकर कमाई करने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में परंपरागत खेती में घाटे के चलते अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के  लिए गांव जसानिया  (सिरसा) के  किसान भरत सिंह सहारण ने अपने खेत में 1 एकड़ में तरबूज लगाकर कमाई का जरिया खोजा। जिससे 150 किवंटल तरबूज की पैदावार से करीब 2 लाख रुपए की कमाई हुई।

 

खास बात यह है कि इन तरबूजों में किसान ने रसायनिक खाद्य व दवाइयों का प्रयोग नहीं किया है पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरबूज तैयार किए । जो कि खाने में मीठे और स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। ऑर्गेनिक तरबूज के कारण किसान भरत सिंह सहारण को हरियाणा के साथ-साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस-पास के गांवों में अलग पहचान बनाई है। इनका कहना है कि किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से  खेती करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

 

गांव जोड़कियां के ही किसान राकेश कुमार से प्रेरणा लेकर लगाया तरबूज– गांव जसानिया के किसान भरत सिंह ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर ही बचत होती है वरना घाटा ही लगता है। उसने खेती के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई करने का जरिया खोजना शुरू किया तो   आधुनिक तरीके से खेती करने वालों किसानों से विचार विमर्श शुरू किया। ऐसे में गांव जोड़कियां के किसान राकेश कुमार जिसने कई वर्षों से ऑर्गेनिक तरबूज की खेती शुरू कर रखी है। उनसे प्रेरणा लेकर अपने खेत में 1 एकड़ जमीन में तरबूज लगाने का फैसला किया।

उन्होंने फतेहाबाद से तरबूज के बीज लाकर 1 एकड़ जमीन में तरबूज लगाए। जिससे 150 किवंटल तरबूज की पैदावार हुई। जिससे करीब 2 लाख रुपए की कमाई हुई।  उन्होंने बताया कि अपने खर्च से खेत में पानी की डिग्गी बना रखी है जिसमें पानी एकत्रित कर लिया जाता है और जरूरत पड़ने पर फसल को पानी दिया जाता है।  उन्होंने बताया कि इसके अलावा आगे मौसमी सब्जियां लगाने के लिए और जमीन तैयार कर रहे है।

आधुनिक तरीके और बिना रासायनिक खाद के प्रयोग किए उगाए गए तरबूज मीठे, स्वादिष्ट व स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है। जिससे आसपास के कुम्हारिया, राजपुरा साहनी, जमानियां इत्यादि गांवों के लोग उनके खेत से तरबूज लेने के लिए आते हैं और ऑर्गेनिक तरबूज की तारीफ करते हैं। उन्होंने बताया कि किसान खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से व्यवसाय कर कमाई करके आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

 

समय पर मिले सरकारी सहायता तो बढ़ाया जा सकता है सब्जी का व्यवसाय– भरत सिंह सहारण ने बताया कि  सरकारी सहायता मिल जाए तो सब्जी के व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। इसके अलावा नाथूसरी चौपटा के आसपास फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर या सब्जी मंडी विकसित हो जाए तो किसानों को काफी फायदा होने लगेगा। यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी और ठेकेदारों के चंगुल से निकला जा सकेगा।

 

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