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सात साल पहले मात्र एक कनाल में हरी मिर्च लगाकर शुरू किया व्यवसाय अब 10 एकड़ में सब्जियां लगाकर हो रही है सालाना लाखों रुपए की कमाई

चोपटा प्लस नरेश बेनीवाल 9896737050 चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र में कई वर्षों से घाटे का सौदा बन रही खेती के चलते आर्थिक तंगी के कारण किसानों के घर परिवारों की स्थिति डांवाडोल होने लगी। ऐसे में कई किसानों ने परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके अपने घर
 
चोपटा प्लस नरेश बेनीवाल 9896737050
चौपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र में कई वर्षों से घाटे का सौदा बन रही खेती के चलते आर्थिक तंगी के कारण किसानों के घर परिवारों की स्थिति डांवाडोल होने लगी। ऐसे में कई किसानों ने परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखा। इसी कड़ी में गांव रायपुर ( सिरसा) के किसान रामचंद्र बैनीवाल ने हौसला हारने की बजाए साल 2015 में मात्र  एक कनाल जमीन  में हरी मिर्च की खेती कर कमाई शुरू की।  जिसमें बचत होने पर अगले साल 1 एकड़ में हरी मिर्च और 2 एकड़ में बैंगन की खेती कर 4 लाख रुपए की बचत हुई। उसके बाद 10 एकड़ में तरबूज, गाजर, बैंगन, तोरी, हरी मिर्च , देसी ककड़ी सहित मौसमी सब्जियां लगाकर सालाना 12 लाख रुपए की कमाई कर आत्मनिर्भर बन गया। कुल 12 एकड़ जमीन में से 10 एकड़ जमीन में ऑर्गेनिक तरीके से मौसमी सब्जियां लगाकर किसान ने अपने घर की आर्थिक स्थिति को काफी मजबूत कर लिया। किसान रामचंद्र बैनीवाल के खेत से हिसार, फतेहाबाद सहित राजस्थान के नोहर ,भादरा व  हनुमानगढ़ सहित दूर-दूर से सब्जियां व तरबूज लेने के लिए व्यापारी आते हैं। विपरीत परिस्थितियों में कुछ करने के जज्बे ने किसान को आस-पास के गांवों सहित हरियाणा व निकटवर्ती राजस्थान में  अलग पहचान दिलवाई और जिससे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया।



10 एकड़ में मौसमी सब्जियां लगाकर हो रही है कमाई
जिला सिरसा के गांव रायपुर के किसान रामचंद्र बैनीवाल ने बताया कि परंपरागत कृषि के साथ-साथ कोई अन्य काम धंधा करने का मन उन्होंने 12वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद ही बना लिया था । ऐसे में उन्होंने परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त कमाई करने का जरिया खोजना शुरू किया।  उन्होंने ने बताया कि परंपरागत खेती में खर्चा ज्यादा बचत कम होने पर घाटा ही लगता है ऐसे में घर की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक हो गई।  तो उन्होंने साल 2015 में मात्र एक कनाल में हरी मिर्च की बिजाई प्रयोग के तौर पर की।  उससे उन्हें ठीक-ठाक मुनाफा हुआ।  अगले साल अपने घर वालों के सहयोग से 1 एकड़ जमीन में हरी मिर्च और 2 एकड़ जमीन में बैंगन की खेती की जिससे करीब 400000 रुपए की बचत हुई । धीरे-धीरे करके मौसमी सब्जियां लगाने का सिलसिला शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने रासायनिक दवाइयों का प्रयोग भी सब्जियों में बिल्कुल ही बंद कर दिया। साल 2020 में पूरी तरह से ऑर्गेनिक सब्जियां लगाने में जुट गए। इस दौरान कद्दू, गाजर, मूली,  धनिया, आलू, तरबूज, देसी ककड़ी, हरी मिर्च, तोरी, लौकी सहित कई प्रकार की मौसमी सब्जियां लगाकर अपनी कमाई को बढ़ाया।  जिससे उन्हें करीब 12 लाख रुपए की हर साल बचत होने लगी और उसमें उन्होंने पूरी तरह से जैविक खाद्य, दवाइयों का प्रयोग किया।  जैविक दवाइयां बनाने के लिए उन्होंने लस्सी, मेथी दाना, गाय का गोबर, गोमूत्र तथा हरी खाद का ही प्रयोग किया।  इसके बारे में बताया कि इस समय इन फसलों में रासायनिक खादों व कीटनाशक का प्रयोग नहीं करता। इस साल उन्होंने 6 एकड़ में तरबूज और 3 एकड़ जमीन में देसी ककड़ी की बिजाई की। जो कि पूरी तरह पक कर तैयार है और उसके खेत से तरबूज खरीदने के लिए हिसार, फतेहाबाद, राजस्थान के हनुमानगढ़, नोहर, भादरा से लोग आते हैं और उनके तरबूज व देसी ककड़ी को खूब पसंद किया जाता है। पिछले वर्ष उन्होंने अकेले तरबूज की खेती से 10 लाख रुपए की कमाई की थी। रामचंद्र बैनीवाल ने बताया कि उन्होंने अपने खर्चे से खेत में पानी की डिग्गी बना रखी है तथा उन्हें सरकार की सहायता से 7 एकड़ जमीन के लिए ड्रिप सिस्टम मिला हुआ है । जिससे सब्जियों के पौधों व बेलों की सिंचाई करता है। उन्होंने बताया कि ड्रिप सिस्टम से पानी की काफी बचत होती है और पानी, खाद इत्यादि पौधों की जड़ों में सीधे मिल जाता है। किसान रामचंद्र बैनीवाल का कहना है कि मार्केट में उन्नत किस्म की ककड़ी और तरबूज की मांग ज्यादा है और किसान परंपरागत फसलों के साथ-साथ इस प्रकार की मौसमी सब्जियां हुआ कर अपनी कमाई को बड़ा कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।



पानी की डिग्गी का खर्च और सोलर सिस्टम मिल जाए तो बचत ज्यादा हो सकती है
किसान रामचंद्र बैनीवाल ने बताया कि उन्होंने अपने खर्चे से खेत में पानी की डिग्गी बनाई हुई है तथा इसके अलावा उन्होंने काढा विभाग से पानी की एक और बड़ी डिग्गी बनवाने के लिए अप्लाई किया हुआ है लेकिन अभी तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है। इसके अलावा सौर ऊर्जा आधारित ट्यूबेल के लिए भी उन्होंने अप्लाई कर रखा है। वह भी नहीं मिला है।  अगर यह दोनों उन्हें जल्द मिल जाए तो इन फसलों में बचत ज्यादा हो सकती है । किसान रामचंद्र ने बताया कि सरकार को फल सब्जियों इत्यादि की सब्सिडी लोन व अन्य योजनाओं का सरलीकरण करना चाहिए । ताकि किसानों को समय पर सहायता व योजनाओं का लाभ मिल सके और परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके और देश आर्थिक तरक्की में भी सहयोग दिया जा सके।
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