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पति के लिए 1400 किलोमीटर से आई, ससुराल के दरवाजे नहीं खुले: एक ही रट - मुझे मेरे पति से मिला दो

 
dulhan

 

जोधपुर-- कर्नाटक के बेलगांव से 1433 किलोमीटर का सफर करके एक महिला जोधपुर पहुंची। वह एक ही रट लगा रही है- मुझे मेरे पति से मिला दो। लेकिन ससुराल के दरवाजे उसके लिए बंद कर दिए गए हैं। महिला ने माता का थान पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस ने उसे जोधपुर के सखी सेंटर पहुंचा दिया। पति गायब है। परिवार वाले महिला को अपनाना नहीं चाहते। ये दर्दभरी कहानी है कर्नाटक के बेलगांव की रहने वाली ज्योति सुथार (33) की।

 

शुक्रवार को जोधपुर सखी सेंटर की प्रबंधक निशा गौड़ के सामने ज्योति की जेठानी बिदामी देवी व अन्य परिजन उपस्थित हुए। उम्मीद थी कि समझाइश के बाद ये लोग मान जाएंगे और ज्योति को उसका अधिकार देंगे। लेकिन बिदामी देवी ने साफ कह दिया कि ज्योति का पति चाहे तो उसे कहीं भी ले जाए, वे ज्योति को अपने घर में घुसने नहीं देंगी। ज्योति एक महीने पहले घर से रुपए गहने लेकर भाग गई थी। उनके साथ शादी के नाम पर फ्रॉड हुआ। उदयपुर में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा रखा है। ज्योति की दलील है कि अगर वह रुपए गहने चुराकर भागती तो वापस लौटकर नहीं आती। अपने हक के लिए रोती नहीं।

ज्योति का कहना है कि 14 जनवरी को उसकी शादी उदयपुर में सुरेंद्र से हुई थी। जोधपुर आकर आर्य समाज में फेरे भी लिए थे। लेकिन 1 महीने के लिए पीहर गई तो पति ने बात करना बंद कर दिया। ससुराल वाले भी पति से मिलने नहीं दे रहे हैं।

अनाथ ज्योति का पति सुरेंद्र के अलावा कोई नहीं--- ज्योति अनाथ है। माता-पिता का देहांत हो चुका है। पिछले साल के आखिर में शादी के लिए उसने मैरिज ब्यूरो का सहारा लिया था। एक मीडिएटर ने उसे जोधपुर माता के थान निवासी बिजनेसमैन सुरेंद्र जांगिड़ (40) से संपर्क कराया। दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया। 14 जनवरी 2022 को उदयपुर में ज्योति और सुरेंद्र शादी के बंधन में बंध गए। सुरेंद्र अपने बड़े भाई के साथ जोधपुर में फर्नीचर के बिजनेस में लगा था। भाभी बिदामी देवी भी कपड़े का बिजनेस कर रही थी।

परिवार अच्छा था। ज्योति अनपढ़ है। उसे लगा कि उसके तकदीर खुल गए। 5 महीने खुशी-खुशी बीत गए। जून महीने में ज्योति का अपने पति से बेलगांव जाने को लेकर झगड़ा हुआ। पति सुरेंद्र नहीं चाहता था कि ज्योति जाए। ज्योति जाना चाहती थी। पति ने उसे पैसे दिए थे, वह पति को बताए बिना 16 जून को ट्रेन में बैठी और कर्नाटक के लिए रवाना हो गई।

रुठकर पीहर गई तो ससुराल के दरवाजे बंद हो गए--- ज्योति का कहना है कि जब वह कर्नाटक जा रही थी तो आधे रास्ते में पति सुरेंद्र का फोन आया। पूछा कि तुम क्यों चली गई, तुम्हें घर से नहीं जाना चाहिए था। ज्योति ने कहा कि आप मुझे समझ नहीं सके, भाभी से डरते हो। इसके बात पति ने फोन नहीं किया। न ही फोन रिसीव किया। एक महीने तक उनके फोन का इंतजार किया। अपने पीहर से ननद व जेठानी को फोन कर पति से बात कराने की बात कही लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आखिर 12 जुलाई को मैं बेलगांव से जोधपुर के लिए रवाना हो गई। 15 जुलाई को जोधपुर पहुंची। मैंने चार दिन से कुछ नहीं खाया था। 15 जुलाई की शाम मैं अपने ससुराल माता की थान पहुंच गई।

पति का फोन बंद-- तब पति सुरेंद्र घर के बाहर बैठे थे। मुझे देख जेठानी ने  घर का दरवाजा बंद कर दिया। पति ने दरवाजा खोलने को कहा तो जेठानी ने दरवाजा नहीं खोला। पति भाभी पर गुस्सा होकर चले गए। इसके बाद वे नहीं आए। मैं रात भर मकान के दरवाजे पर भूखी-प्यासी बैठी रही। मिन्नतें करती रही। लेकिन दरवाजा नहीं खोला। सुबह 6 बजे जेठानी घर से निकली और मंगलसूत्र छीन लिया। मुझे धकेल कर बाहर निकाल दिया। मेरे पास पैसे नहीं थे। एक रिक्शे वाले ने मुझे महिला थाना पहुंचाया। जहां से सखी सेंटर भेज दिया गया।

सखी सेंटर में मिला खाना, उन्हीं से न्याय की उम्मीद-- ज्योति 16 जुलाई से अब तक सखी सेंटर ही है। उसका कहना है कि सखी सेंटर के लोग नहीं मिलते तो वह मर जाती। यहां उसे खाना मिला। ससुराल के बाहर उसे पानी भी नसीब नहीं हुआ। रातभर घर के बाहर बैठने के बाद सुबह घर के सामने टंकी पर जाकर पानी पिया। पति सुरेंद्र के अलावा उसका कोई नहीं है। सुरेंद्र का फोन बंद है। ज्योति का आरोप है कि ससुराल के लोग पति को सामने नहीं लाना चाहते। मैं न्याय के लिए लड़ रही हूं। अपने अधिकार के लिए लड़ रही हूं। मेरा ससुराल मेरा घर है। ज्योति का कहना है कि पति सुरेंद्र अगर उसे अपनाना नहीं चाहता तो एक बार मिल कर कह दे, वह वापस अपने घर बेलगांव चली जाएगी। फिलहाल पुलिस व सखी सेंटर दोनों पक्षों को समझाइश कर रहे हैं।

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