गांव शक्कर मंदोरी के किसान ओमप्रकाश सहारण ने सेम से बंजर जमीन में अमरूद का बाग और प्याज लगाकर खोजा कमाई का जरिया

सेम के कारण बंजर हो रही जमीन में आधुनिक तकनीक अपनाकर किसान बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर कमाई कर रहे
 

नरेश बैनीवाल 9896737050 चौपटा । राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र में करीब 20 गांवों में सेम की समस्या से झूझते किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीके से खेती करके कमाई करके अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने में जुटे हुए हैं। सेम के कारण बंजर हो रही जमीन में आधुनिक तकनीक अपनाकर किसान बागवानी, पशुपालन, सब्जियां इत्यादि लगाकर कमाई कर रहे हैं।

इसी कड़ी में गांव शक्कर मंदोरी के किसान ओमप्रकाश सहारण पुत्र जगमाल सहारण ने 2 साल पहले अढाई एकड़ जमीन में अमरूद का बाग लगा कर परंपरागत खेती के साथ बागवानी की खेती शुरू की।  ओमप्रकाश का कहना है कि सेम के कारण जमीन में फसलों का उत्पादन कम होता जा रहा है। इससे निजात पाने के लिए उन्होंने अमरूद का बाग लगाया है अभी बाग में अमरूद की पैदावार शुरू नहीं हुई है तो उन्होंने अमरूद के पौधों की कतारों में प्याज, मटर टिंडे इत्यादि सब्जियां लगाकर कमाई का जरिया खोजा है।  इनका कहना है कि किसान आधुनिक तरीके से खेती की तकनीक अपनाकर बंजर जमीन से भी पैदावार लेकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

फिर 1 एकड़ जमीन में प्याज और अन्य जमीन में टिंडे इत्यादि सब्जियां लगाई जिससे उन्हें करीब 100000 रुपए की बचत हुई।  किसान ओमप्रकाश के बेटे अभय सिंह ने बताया कि सेम के कारण इस जमीन में डिग्गी नहीं बनाई जा सकती जिससे सिंचाई करने में काफी दिक्कत आती है और अब ट्यूबेल से अमरूद के पौधों में सब्जियों इत्यादि में सिंचाई करते हैं। उनका कहना है कि सेम के कारण बंजर होती जमीन में पैदावार लेने के आधुनिक तरीके ही खोजने पड़ेंगे जिससे कि घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत रखा जा सके। इस महंगाई के जमाने में किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती को अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

ओमप्रकाश सहारण ने बताया कि उनके गांव से सिरसा मंडी करीब 40 किलोमीटर दूर पड़ती है जिससे फलों व सब्जियों को वहां ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है। बचत कम होती है। इसके अलावा नजदीक में कोई वैक्सिंग प्लांट भी नहीं है।

जिससे कि फलों को संभाल कर रखा जाए उसका कहना है कि अगर फलों व सब्जियों की मंडी नाथूसरी चौपटा विकसित हो जाए तो यातायात खर्च कम होने से बचा ज्यादा हो जाएगी तथा एक वैक्सिंग प्लांट लगाया जाए।