चंचल मन Fickle Mind

 

लघु कथा

अध्यात्मिक कहानी

एक आश्रम में आधी रात को किसी ने संत का दरवाजा खटखटाया। संत Sant ने दरवाजा खोला तो देखा, सामने उन्हीं का एक शिष्य रुपयों से भरी थैली लिए खड़ा है। शिष्य बोला, ‘‘स्वामीजी, मैं रुपए दान में देना चाहता हूँ।’’ यह सुनकर संत हैरानी से बोले, ‘‘लेकिन यह काम तो सुबह में भी हो सकता था।’’

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शिष्य बोला, ‘‘स्वामीजी, आपने ही तो समझाया है कि मन बड़ा चंचल है। यदि शुभ विचार मन में आए तो एक क्षण भी देर मत करो, वह कार्य तत्काल ही कर डालो। लेकिन कभी मन में बुरे विचार आ जाएँ तो वैसा करने पर बार-बार सोचा। मैंने भी यही सोचा कि कहीं सुबह होने तक मेरा मन Mind बदल न जाए, इसी कारण आपके पास अभी ही चला आया।’’

शिष्य की बात सुनकर संत Sant अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने शिष्य को गले से लगाकर कहा, ‘‘यदि हर व्यक्ति इस विचार को पूरी तरह अपना ले तो वह बुराई के रास्ते पर चल ही नहीं सकता, न ही कभी असफल हो सकता है।’’